राजस्थान में नृत्य (Rajasthani Dance – Folk Dances of Rajasthan)

राजस्थान में नृत्य नृत्य भी मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन है। यह एक सार्वभौम कला है, जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ है। बालक जन्म लेते ही रोकर अपने हाथ पैर मार कर अपनी भावाभिव्यक्ति करता है कि वह भूखा है- इन्हीं आंगिक -क्रियाओं से नृत्य की उत्पत्ति हुई है। यह कला देवी-देवताओं, … Read more

राजस्थान के दुर्ग एवं दर्शनिय स्थल (Fort and Monuments of Rajasthan)

राजस्थान के दुर्ग राजस्थान के राजपूतों के नगरों और प्रासदों का निर्माण पहाडि़यों में हुआ, क्योकि वहां शुत्रओं के विरूद्ध प्राकृतिक सुरक्षा के साधन थे। शुक्रनीति में दुर्गो की नौ श्रेणियों का वर्णन किया गया। एरण दूर्ग खाई, कांटों तथा कठौर पत्थरों से युक्त जहां पहुंचना कठिन हो जैसे – रणथम्भौर दुर्ग। पारिख दूर्ग जिसके … Read more

राजस्थान की जनजातियां (Tribes of Rajasthan)

राजस्थान की जनजातियां 1. मीणा निवास स्थान- जयपुर के आस-पास का क्षेत्र/पूर्वी क्षेत्र “मीणा” का शाब्दिक अर्थ मछली है। “मीणा” मीन धातु से बना है। मीणा जनजाति के गुरू आचार्य मुनि मगन सागर है। मीणा पुराण- आचार्य मुनि मगन सागर द्वारा रचित मीणा जनजाति का प्रमुख ग्रन्थ है। जनजातियों में सर्वाधिक जनसंख्या वाली जनजाति है। … Read more

राजस्थानी वेशभूषा (Traditional Rajasthani Dresses For Men And Women)

वेशभूषा वेशभूषा शरीर को ढ़कने के साथ-साथ उस क्षेत्र की संस्कृति को भी प्रदर्शित करती है। वेशभूषा किसी क्षेत्र विशेष की भौगोलिक और सामाजिक स्थित पर निर्भर करती है। जैसे ठण्ड वाले क्षेत्र में की वेशभूषा गर्म क्षेत्रों से अलग होती है। वहीं शहरी लोगों की वेशभूषा ग्रामीण लोगों से अलग होती है। राजस्थान में … Read more

राजस्थानी आभूषण (Rajasthani ornaments)

आभूषण आभूषण सौन्दर्य को बढ़ाने का काम करते हैं। हर मनुष्य सुंदर दिखना चहता है, और राजस्थान के निवासी भी इस मामले में पीछे नहीं है। कालीबंगा तथा आहड़ सभ्यता के युग की स्रियाँ मृणमय तथा चमकीले पत्थरों की मणियों के आभूषण पहनती थीं। कुछ शुंगकालीन मिट्टी के खिलौनों तथा फलकों से पता चलता है … Read more

राजस्थानी रीति -रिवाज ( Customs & Traditions of Rajasthan)

रीति -रिवाज     गर्भाधान     पुंसवन- पुत्र प्राप्ति हेतू     सिमन्तोउन्नयन- माता व गर्भरथ शिशु की अविकारी शक्तियों से रक्षा करने के लिए।     जातकर्म     नामकरण     निष्कर्मण- शिशु को जन्म के बाद पहली बार घर से बाहर ले जाने के लिए।     अन्नप्रसान्न- पहली बार अन्न खिलाने पर (बच्चे को)     जडुला/ चुडाकर्म … Read more

राजस्थान के मेले (Fairs Of Rajasthan)

राजस्थान के मेले (अ) राज्य के पशु मेले 1. श्रीबलदेव पशु मेला मेड़ता सिटी (नागौर) में आयोजित होता है। इस मेले का आयोजन चेत्र मास के सुदी पक्ष में होता हैं नागौरी नस्ल से संबंधित है। 2. श्री वीर तेजाजी पशु मेला परबतसर (नागौर) में आयोजित होता है। श्रावण पूर्णिमा से भाद्रपद अमावस्या तक चलता … Read more

राजस्थान में त्यौहार (Festivals of Rajasthan)

राजस्थान में त्यौहार महिने चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाठ, श्रावण, भाद्रपद, आषिवन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन । (बदी) कृष्ण पक्ष – अमावस्या(15) (सुदी) शुक्ल पक्ष – पूर्णिमा(30) प्रत्येक महीने में 30 दिन होते है- प्रतिपदा(एकम), द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अस्ठमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्थदशी, अमावस्या/पूर्णिमा। हिन्दी तारीख के लिए उदाहरण महीना-पक्ष-तिथी … Read more

राजस्थान में सम्प्रदाय (Religious Sects & Cults of Rajasthan)

राजस्थान में सम्प्रदाय 1. जसनाथी सम्प्रदाय संस्थापक – जसनाथ जी जाट जसनाथ जी का जन्म 1482 ई. में कतरियासर (बीकानेर) में हुआ। प्रधान पीठ – कतरियासर (बीकानेर) में है। यह सम्प्रदाय 36 नियमों का पालन करता है। पवित्र ग्रन्थ सिमूदड़ा और कोडाग्रन्थ है। इस सम्प्रदाय का प्रचार-प्रसार ” परमहंस मण्डली” द्वारा किया जाता है। इस … Read more

राजस्थान में लोक देवियां (Folk Deity: Lok Devis of Rajasthan)

राजस्थान में लोक देवियां 1.करणी माता देश नोक (बीकानेर) में इनका मंदिर है। चुहों वाली देवी के नाम से प्रसिद्ध है। बीकानेर के राठौड़ वंश की कुल देवी मानी जाती है। करणी माता के मंदिर का निर्माण कर्ण सिंह न करवाया तथा इस मंदिर का पूर्निर्माण महाराजा गंगा सिंह द्वारा करवाया गया। पुजारी – चारण … Read more