राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के भौगोलिक नाम(उपनाम)

राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के भौगोलिक नाम(उपनाम): आज के आर्टिकल में हम राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के भौगोलिक उपनाम के बारे में जानेंगे। आज का हमारा यह आर्टिकल RPSC, RSMSSB, REET, SI, Rajasthan Police,  एवं अन्य परीक्षाओं की दृष्टि से अतिमहत्वपुर्ण है। राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के भौगोलिक उपनाम से सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी यहाँ दी गई है।

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ऊपरमालः-

चित्तौड़गढ़ के भैसरोड़गढ़ से लेकर भीलवाडा के बिजोलिया तक का पठारी भाग ऊपरमाल कहलाता है।

  • जिसका संस्थापक अशोक परमार था उपरमाल की जागीर मेवाड़ के शासक सांगा ने अशोक परमार को खानवा के युद्ध में साथ देने के कारण दी थी, अशोक परमार जगनेर (उतरप्रदेश) का रहने वाला था।

भोराठ/भोराट का पठार:-

उदयपुर के कुम्भलगढ व गोगुन्दा के मध्य का पठारी भाग।

लासडि़या का पठारः

उदयपुर में जयसमंद से आगे कटा-फटा पठारी भाग।

  • यह पठार जयसमंद झील के पूर्व में  स्थित है

गिरवाः- उदयपुर में चारों ओर पहाड़ीयाँ होने के कारण उदयपुर की आकृति एक तश्तरीनुमा बेसिन जैसी है जिसे स्थानीय भाषा में गिरवा कहते है।

देशहरोः- उदयपुर में जरगा (उदयपुर) व रागा (सिरोही) पहाड़ीयों के बीच का क्षेत्र सदा हरा भरा रहने के कारण देशहरो कहलाता है।

नाल – अरावली के दर्रों को नाल कहा जाता है।

बग्गी – घग्घर नदी के उत्तरी उपजाऊ क्षेत्र को बग्गी कहा जाता है।

मगराः- उदयपुर का उत्तरी पश्चिमी पर्वतीय भाग मगरा कहलाता है।

नाकोडा पर्वत/छप्पन की पहाडि़याँ: बाडमेर के सिवाणा ग्रेनाइट पर्वतीय क्षेत्र में स्थित गोलाकार पहाड़ीयों का समुह नाकोड़ा पर्वत/छप्पन की पहाड़ीयाँ कहलाती है।

छप्पन का मैदानः- बासवाडा व प्रतापगढ़ के मघ्य का भू-भाग छप्पन का मैदान कहलाता है। यह मैदान माही नदी बनाती है।(56 गावों का समुह या 56 नालों का समुह)

राठः- अलवर व भरतपुर का वो क्षेत्र जो हरियाणा की सीमा से लगता है राठ कहते है।

कांठलः- माही नदी के किनारे-किनारे (कंठा) प्रतापगढ़ का भू-भाग कांठल है इसलिए माही नदी को कांठल की गंगा कहते है।

बीहड़/डाग/खादरः- चम्बल नदी सवाई माधोपुर करौली धौलपुर में बडे़-बडे़ गड्डों का निर्माण करती है इन गड्डों को बीहड़/डाग/खादर नाम से पुकारा जाता है।यह क्षेत्र डाकुओं की शरणस्थली के नाम से जाना जाता है।

  • सर्वाधिक बीहड़ क्षेत्र प्रतिशत के आधार पर  – धौलपुर
  • सर्वाधिक बीहड़ क्षेत्रफल के आधार पर सवाई माधोपुर
  • डाग की रानी – करौली
  • डाग का राजा – धौलपुर

भाखर/भाकरः- पूर्वी सिरोही क्षेत्र में अरावली की तीव्र ढाल वाली ऊबड़-खाबड़ पहाड़ीयों का क्षेत्र भाकर/भाखर कहलाता है।

खेराड़ः- भीलवाड़ा व टोंक का वो क्षेत्र जो बनास बेसिन में स्थित है।

मालानीः- जालौर ओर बालोत्तरा के मध्य का भाग।

देवल/ मेवल- डुंगरपुर व बांसवाड़ा के मध्य का भाग।

लिटलरणः- राजस्थान में कच्छ की खाड़ी के क्षेत्र को लिटल रण कहते है।

माल खेराड़ः- ऊपरमाल व खेराड़ क्षेत्र सयुंक्त रूप में माल खेराड़ कहलाता है।

पुष्प क्षेत्रः- डुंगरपुर व बांसवाड़ा संयुक्त रूप से पुष्प क्षेत्र कहलाता है।

सुजला क्षेत्रः- सीकर, चुरू व नागौर सयुंक्त रूप से सुजला क्षेत्र कहलाता है।

मालवा का क्षेत्रः- झालावाड़ व प्रतापगढ़ संयुक्त रूप से मालवा का क्षेत्र कहलाता है।

धरियनः- जैसलमेर जिले का बलुका स्तुप युक्त क्षेत्र जहाँ जनसंख्या ‘न’ के बराबर धरियन कहलाता है।

भोमटः- डुंगरपुर, पूर्वी सिरोही व उदयपुर जिले का आदिवासी प्रदेश।

कुबड़ पट्टीः- अजमेर, नागौर के आस-पास का क्षेत्र  जहाँ जल में फ्लोराइड़ कि मात्रा अधिक होती है।जिससे शारीरिक विकृति(कुब) होने की सम्भावना हो जाती है।

लाठी सीरिज क्षेत्रः– जैसलमेर में पोकरण से मोहनगढ्र तक  (60km) पाकिस्तानी सिमा के सहारे विस्तृत एक भु-गर्भीय मीठे जल की पेटी। इसी लाठी सीरिज के ऊपर सेवण घास उगती है।

पीडमांट मैदान – अरावली श्रेणी में देवगढ़ (राजसमंद) के समीप पृथक निर्जन पहाड़ियां जिनके उच्च भू-भाग टीले नुमा है।

बांगड़/बांगरः- शेखावाटी व मरूप्रदेश के मध्य संकरी पेटी।

वागड़ः- डुगरपुर व बांसवाड़ा।

शेखावाटीः- चुरू सीकर झुझुनू।

मेवातः- उत्तरी अलवर।

कुरूः- अलवर का कुछ हिस्सा।

शुरसेनः- भरतपुर, धौलपुर, करौली।

योद्धेयः- गंगानगर व हनुमानगढ़।

जांगल प्रदेशः- बीकानेर तथा उत्तरी जोधपुर।

गुजर्राजाः- जोधपुर का दक्षिण का भाग।

ढूढाड़ः- जयपुर के आस-पास का क्षेत्र।

माल/वल्लः- जैसलमेर।

कोठीः- धौलपुर (सुनहरी कोठी-टोंक)।

अरावलीः- आडवाल।

चन्द्रावतीः- सिरोही व आबु का क्षेत्र।

शिवि/मेदपाट/प्राग्वाटः- उदयपुर व चित्तौड़गढ़(मेवाड़)।

गोडवाडः– बाड़मेर, जालौर सिरोही।

प्रमुख पहाडि़याँ / पर्वतः

मालखेत की पहाडि़याः- सीकर

हर्ष पर्वतः- सीकर                  

हर्षनाथ की पहाडि़याँ: अलवर

बीजासण पर्वतः- माण्डलगढ़(भीलवाड़ा)

चिडि़या टुक की पहाड़ीः- मेहरानगढ़(जोधपुर)

बीठली/बीठडीः- तारागढ़(अजमेर)

त्रिकुट की पहाडि़याः- जैसलमेर(सोनारगढ़)

त्रिकुट पर्वतः-  करौली (कैलादेवी मन्दिर)

सुन्धा पर्वतः- भीनमाल(जालौर)

मुकुन्दवाड़ा की पहाड़ीयाः- कोटा व झालावाड़ के बीच।

प्रमुख पठार

पठारस्थानऊँचाई के आधार पर  
उडीया का पठार (1360 मी.)सिरोही1
आबू का पठार(1200 मी.)सिरोही2  
भोराठ का पठार(गोगुंदा, उदयपुर)3
मैसा का पठारचित्तौड़गढ़4

नोट:- चित्तौड़गढ़ दुर्ग मैसा के पठार पर स्थित है पहाडि़ पर नहीं। चित्तौड़ दुर्ग को राजस्थान का गौरव एवं  राजस्थान के सभी दुुर्गों का सिरमौर भी कहते हैं |

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