पशुओं में बधियाकरण क्या है? बधियाकरण के लाभ, बधियाकरण की विधियाँ

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पशुओं में बधियाकरण क्या है?: आज केआर्टिकल में हम पशुओं में बधियाकरण क्या है? बधियाकरण के लाभ, बधियाकरण की विधियाँ के बारे में जानेंगे।

बधियाकरण टॉपिक राजस्थान पशु परिचर भर्ती (Rajasthan Pashu Paricharak Bharti), Livestock Assistant Exam एवंअन्य परीक्षाओं की दृष्टि से अतिमहत्वपुर्ण है।

पशुओं में बधियाकरण क्या है?

नर पशुओं की अंड ग्रंथियो को नष्ट करके उसकी जनन/प्रजनन शक्ति को विहीन करना बधियाकरण कहलाता हैं। अर्थात नरपशु का तकनीकी विधि द्वारा नसबंदी कराना ही बधियाकरण कहलाता है।

NOTE: बछड़ों में बधियाकरण की उचित आयु 2 से 8 माह के बीच होती हैंI

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बधियाकरण के लाभ:

अवांक्षित नर पशुओं का बधियाकरण बहुत ही आवश्यक कार्य है, जिसके बिना डेयरी पशुओं की नस्ल में सुधार करना असम्भव हैंI

  • बधियाकरण द्वारा निम्न स्तर के पशु के वंश को आगे बढने से रोका जा सकता है जिससे उसके द्वारा असक्षम एवं अवांक्षित सन्तान पैदा ही नहीं होती जोकि सफल एवं लाभकारी पशुपालन के लिए आवश्यक हैI
  • बधिया किए गये नर पशु को मादा पशुओं के साथ बिना किसी कठिनाई के रखा जा सकता है क्योंकि वह मद   में आई मादा के ऊपर नहीं चढताI
  • बधिया किए गये पशु को आसानी से नियन्त्रित किया जा सकता हैI
  • बधियाकरण से मांस के लिये प्रयोग होने वाले पशुओं के मांस की गुणवत्ता बढ़ जाती हैI

पशुओं में बधियाकरण की विधियाँ:

पालतू पशुओं में बधियाकरण की सबसे पुरानी विधि शल्य क्रिया विधि हैI

पशुओं में बधियाकरण निम्नलिखित विधियों से किया जा सकता हैI

ग्रामीण विधि  

वैज्ञानिक विधि

  • रक्तहीन
  • चीरा लगाकर
  • रासायनिक पदार्थों द्वारा

शल्य क्रिया द्वारा पशुओं का बधियाकरण:

शल्य क्रिया विधि द्वारा अंडकोषों के ऊपर चढ़ी चमड़ी (स्क्रोटम) को काटकर दोनों अंडकोषों को निकाल दिया जाता हैI इस क्रिया में पशु के एक छोटा सा घाव हो जाता है, जो कि एंटीसेप्टिक दवाईयों के प्रयोग करके कुछ समय के पश्चात ठीक हो जाता हैI

बर्डिजो कास्ट्रेटर द्वारा पशुओं का बधियाकरण:

यह विधि आज-कल नर गोपशुओं व भेंसों में बधियाकरण के लिये सर्वाधिक प्रचलित हैI इसमें एक विशेष प्रकार का यंत्र जिसे बर्डिजो कास्ट्रेटर कहते हैं प्रयोग किया जाता हैI

इस विधि में रक्त बिल्कुल भी नहीं निकलता क्योंकि इसमें चमड़ी को कटा नहीं जाताI इसमें पशु के अंड कोशों से ऊपर की और जुडी स्पर्मेटिक कोर्ड जिकी चमड़ी के नीचे स्थित होती है, को इस यन्त्र के द्वारा बाहर से दबा कर कुचल दिया जाता है जिससे अंडकोषों में खून का दौरा बन्द हो जाता है|फलस्वरूप अंडकोष स्वत:ही सुख जाते हैंI

बर्डिजो कास्ट्रेटर द्वारा बधियाकरण करते समय निम्नलिखित सावधानियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

  • बर्डिजो कास्ट्रेटर को दबाते समय स्पर्मेटिक कोड स्लिप नहीं करनी चाहिएI
  • कास्ट्रेटर को प्रयोग करने से पहले ठीक प्रकार से साफ कर लेना चाहिएI
  • कास्ट्रेटर में अंडकोष नहीं दबाना चाहिये अन्यथा अंडकोषों में भारी सूजन आ जाती है जिससे पशु को तकलीफ होती हैI
  • कास्ट्रेटर में चमड़ी का फोल्ड नहीं आना चाहिए क्योंकि इससे चमड़ी के नीचे घाव होने का खतरा रहता हैI

रबड़ के छल्ले द्वारा पशुओं का बधियाकरण:

यह विधि बहुत छोटी उम्र के बछड़ों में प्रयोग की जाती हैI इसमें रबड़ का एक मजबूत व लचीला छल्ला अंड कोषों के ऊपरी भाग स्थित स्परमेतिक कोर्ड के ऊपर चढा दिया जाता है, जिसके दबाव से अंडकोषों में खून का दौरा बन्द हो जाता हैI इससे अंडकोष सुख जाते हैं तथा रबड़ का छल्ला अंडकोषों से निकल कर नीचे गिर जाता हैI

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