अर्जुन लाल सेठी का जीवन परिचय: अर्जुन लाल सेठी को जयपुर में जनजागृति का जनक, राजस्थान का दधीची, राजस्थान का लोक मान्य तिलक(राम नारायण चौधरी ने कहा) कहा जाता है। अर्जुन लाल सेठी का जन्म 1880 ई. में जयपुर के जैन परिवार में हुआ। इन्होंने इलाहबाद कॉलेज से बी.ए. किया।
अर्जुन लाल सेठी का जीवन परिचय
- जन्म : 9 सितम्बर, 1880 ई. (जयपुर)
- मृत्यु : 22 सितम्बर, 1941 ई. (अजमेर)
अर्जुन लाल सेठी चौमू में देवी सिंह के यहां शिक्षक भी रहे। 1905 में अर्जुन लाल सेठ ने जैन शिक्षा प्रचारक समिति की स्थापना की। बाद में 1907 इसे सोसायटी नाम से अजमेर में स्थानान्तरित किया। 1908 में वापस जैन वर्धन पाठ्यशाला के नाम से जयपुर में स्थानान्तरित किया इस संस्था का मुख्य उद्देश्य क्रान्तिकारी युवक तैयार करना था इसमें अध्यापक विष्णुदत्त थे।
12 दिसम्बर 1912 ई. को भारत के गर्वनर जनरल लार्ड हॉर्डिंग्स के जुलूस पर बम फैंके जाने की घटना के पीछे रूपरेखा सेठी जी की ही थी। हार्डिंग बम काण्ड में अमीरचन्द नामक मुखबीर ने बताया कि यह अर्जुन लाल सेठी के दिमाग की उपज है। 1915 में सहशस्त्र क्रांति की राजस्थान में जिम्मेवारी अर्जुन लाल सेठी को सौंपी गयी। अर्जुन लाल सेठी ने मोतीचन्द व चार विद्यार्थियों को ‘आरा’ बिहार मुगलसराय जैन सन्त को लूटने के लिए भेजा। इसमें मोतीचन्द को फांसी, विष्णुदत्त को आजीवन कारावास, अर्जुन लाल को 5 साल की सजा हुयी व ‘वेल्लूर जेल’, तमिलनाडु भेजा गया।
वैल्लूर जेल में सेठी जी ने 70 दिन तक भूख हड़ताल भी की थी। वेल्लूर से वापस आते समय महाराष्ट्र में बाल गंगाधर तिलक ने इनका स्वागत किया। बारदौली(गुजरात) में सरदार वल्लभ भई पटेल के नेतृत्व में सेठी जी का स्वागत हुआ। सेठी जी की बग्गी में घोड़ों के स्थान पर छात्रों ने स्वयं बग्गी खींचकर पूरे शहर में घुमाया। इसके बाद सेठी जी अजमेर आ गए व अपना नाम करीम खान रख लिया। काकौरी ट्रेन डकैती (अगस्त 1925) से भागे आसफाक उल्ला व मेरठ षड़यन्त्र केस से भागे शौकत अली को सेठी जी ने शरण दी।
1930 ई, के सत्याग्रह आंदोलन में वे राजपूताना के प्रान्तीय डिक्टेटर नियुक्त किये गये व 1934 ई. में वे राजपूताना व मध्य भारतीय प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी के प्रांतपति चुने गये। नीति सम्बंधी मतभेदों के चलते उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया।
22 सितम्बर 1941 ई. को अजमेर में उनका देहान्त हो गया। सेठी जी हिन्दू मुस्लिम समन्वयकारी क्रान्तिकारी थे। अंतिम दिनों में अजमेर में ख्वाजा साहिब की दरगाह के पास मदरसे में मुस्लिम बच्चों को पढ़ाते थे। मृत्यु के बाद इन्हें मुस्लिम समझकर दफना दिया गया।
NOTE: इनकी पुस्तकें शुद्र मुक्ति, परामर्श यज्ञ, मदन पराजय है।
नोट – शुद्र मुक्ति नाटक महेन्द्र कुमार ने लिखा था।
NOTE: इन्हें चौमू के जिलाधीश का पद मिला। ये पद इन्होंने ये कहते हुए ठुकरा दिया कि ‘अर्जुनलाल सेठी नौकरी करेगा तो अंग्रेजो को बाहर कौन निकालेगा।’ |
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FAQs
अर्जुन लाल सेठी को किस जेल में रखा गया?
अर्जुन लाल सेठी को वेल्लूर जेल (तमिलनाडु) में रखा गया ।