26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की: प्रधान मंत्री, नरेंद्र मोदी ने सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों बाबा जोराबर सिंह, बाबा फतेह सिंह और माता गुजरी जी की मानवता की रक्षा के लिए दी गई कुर्बानी को नमन करते हुए हर साल 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ मनाने की घोषणा की है।
इस दिन को 4 साहिबजादों (गुरु गोबिंद सिंह जी के चार पुत्र) के साहस को श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जाएगा, जिन्होंने 17 वीं शताब्दी में शहादत प्राप्त की थी। यह घोषणा 09 जनवरी, 2022 को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी (Sri Guru Gobind Singh Ji) के प्रकाश पर्व या सिखों के 10वें गुरु और खालसा समुदाय के संस्थापक की जयंती के अवसर पर की गई थी।
इस दिन का इतिहास:
- 26 दिसंबर वह दिन है जिस दिन साहिबजादा जोरावर सिंह जी और साहिबजादा फतेह सिंह जी (साहिबजादे की छोटी जोड़ी) ने 6 और 9 साल की छोटी उम्र में एक दीवार में जिंदा सील करके शहादत प्राप्त की थी। साहिबजादा अजीत सिंह जी और साहिबजादा जुझार सिंह जी (साहिबजादे की पुरानी जोड़ी) ने 18 और 14 साल की छोटी उम्र में चमकौर साहिब में दुश्मन से लड़ते हुए 21 दिसंबर, 1705 को शहादत प्राप्त की थी।
- गुरुजी के साहिबजादों की शहादत का बदला बाबा बंदा सिंह बहादुर ने लिया। उन्होंने सरहिंद में वजीर खान को उसके कर्मों की सजा दी और पूरे इलाके पर सिखों का आधिपत्य स्थापित किया। इसी बलिदान का परिणाम था कि आगे चल कर महाराजा रणजीत सिंह के नेतृत्व में एक बड़े सिख साम्राज्य का उदय हुआ।