(A) महाराणा मोकल
(B) भोज परमार
(C) महाराणा अरिसिंह
(D) नागभट्ट प्रथम
Answer: B
चित्तौड़गढ़ के किले में त्रिभुवन नारायण मन्दिर भोज परमार द्वारा बनवाया गया था।
त्रिभुवन नारायण मन्दिर
- इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था। त्रिभुवन नारायण मंदिर का निर्माण महाराजा भोज ने करवाया था, इसलिए इसे भोज का मंदिर नाम से जाना जाता है। जबकि सन 1428 ईसवी (विक्रम संवत 1485) में महाराणा मोकल ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था।
- अन्य नाम – समाधिश्वर महादेव का मंदिर, राजा भोज का मंदिर और मोकलजी का मंदिर।
- तीन मुंह वाली यह भगवान शिव की मूर्ति जन्मदाता, पालक और संहारक के रूप में मौजूद है। समाधिश्वर महादेव मंदिर (त्रिभुवन नारायण मंदिर) के गर्भग्रह में जाने के लिए तीन मुख्य द्वार है, जो पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशा में स्थित है।
- गर्भग्रह मंदिर के सामान्य स्थल से थोड़ा नीचे स्थित है। गर्भ ग्रह में भगवान समाधिश्वर महादेव की मूर्ति तक जाने के लिए 6 सीढ़ियां बनी हुई है।
- भगवान शिव की मूर्ति के तीन मुंह दिखाए गए हैं, जो अलग-अलग संदेश देते हैं। तीनों शहरों में तीसरी आंख हैं और दाया चेहरा भयानक रूप को दर्शाता है। जबकि बाएं और केंद्र में शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति देखने को मिलती है।
इस मंदिर में 2 शिलालेख हैं।
- पहला शिलालेख 1150 ईस्वी का हैं, जिसमें गुजरात के सोलंकी सम्राट कुमारपाल द्वारा अज़मेर के राजा आणाजी चौहान को युद्ध में शिकस्त देने और चित्तौड़गढ़ आगमन का उल्लेख किया गया हैं। राजा कुमारपाल यहां आए और भगवान श्री समाधिश्वर महादेव, चित्तौड़गढ़ के दर्शन किए और मंदिर के बाहर, दक्षिण दिशा में स्थित मुख्य द्वार पर एक शिलालेख खुदवाया था।
- दूसरा शिलालेख: महाराणा मोकल से संबंधित है, सन 1428 में इसे उत्कीर्ण किया गया था। जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा महाराणा मोकल ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था, उसी के संबंध में यह शिलालेख है।