इन्दिरा गांधी नहर परियोजना (IGNP): इन्दिरा गांधी नहर परियोजना पूर्ण होने पर विश्व की सबसे बड़ी परियोजना होगी। इसे राजस्थान की जीवन रेखा तथा मरू गंगा (गोविन्द वल्लभ पंत द्वारा) कहा जाता है। इस परियोजना का प्रारम्भिक प्रारूप सार्दुल सिंह द्वारा तैयार किया गया था व बीकानेर के इंजीनियर श्री कंवर सेन को इस नहर का जनक माना जाता है। इस परियोजना की प्रारम्भिक लागत 64 करोड़ रूपये अनुमानित थी।
- उपनाम :- मरु गंगा तथा राजस्थान की जीवन रेखा
- पुराना नाम :- राजस्थान नहर
इन्दिरा गांधी नहर परियोजना की आधारशिला तत्कालीन गृहमंत्री गोविन्द वल्लभ पंत द्वारा 31 मार्च, 1958 को रखी गई। 11 अक्टुबर 1961 को इससे सिंचाई प्रारम्भ हो गई, जब तात्कालिन उपराष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन् ने नहर की नौरंगदेसर (हनुमानगढ़) वितरिका में जल प्रवाहित किया था।
NOTE: पहले इसका नाम राजस्थान नहर था। 2 नवम्बर 1984 को इसका नाम इन्दिरा गांधी नहर परियोजना कर दिया गया है।
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इन्दिरा गाँधी नहर का उद्गम व्यास तथा सतलज नदी के संगम पर स्थित हरिके बैराज फिरोजपुर, पंजाब से होता है। इस नहर की कुल लम्बाई 649 किलोमीटर है। (हरिके बैराज फिरोजपुर (पंजाब) से मोहनगढ़ (जैसलमेर) तक)
- इसमें 204 किलोमीटर राजस्थान फीडर (Rajasthan feeder) की लम्बाई है। जो हरिके बैराज से मसीतावली (हनुमानगढ़) तक है।
- मसीतावली से मोहनगढ़ (जैसलमेर) तक राजस्थान मुख्य नहर (Rajasthan Main Canal) है जो 445 किलोमीटर लम्बी है ।
IGNP का निर्माण दो चरणों में पूर्ण हुआ:
प्रथम फेज – प्रथम चरण का कार्य 1958 से जून, 1975 तक चला। हरिके बैराज (फिरोजपुर) से मसीतावाली (हनुमानगढ़) हेड तक 204 किलोमीटर फीडर नहर (राजस्थान में लम्बाई 35 किमी.) का निर्माण हुआ है जो कि मुख्य नहर को जलापूर्ति करती है। मुख्य नहर मसीतावाली से दातोर (बीकानेर) तक 189 किलोमीटर लंबी है। अतः कुल 393 किलोमीटर लंबाई में विस्तृत है।
द्वितीय फेज – दातौर (बीकानेर) से मोहनगढ़ (जैसलमेर) तक 256 किमी. लम्बाई तक निर्माण कार्य किया गया, जिसे बढ़ाकर मोहनगढ़ (जैसलमेर) से अन्तिम स्थान गडरा रोड (बाड़मेर, लम्बाई 165 किमी.) तक निर्माण किया गया है। गडरा रोड (बाड़मेर) को जीरो पॉइन्ट भी कहा जाता है।
IGNP नहर की कुल सिंचाई 30 प्रतिशत भाग लिफ्ट नहरों से तथा 70 प्रतिशत शाखाओं के माध्यम से होता है। IGNP का मुख्यालय(बोर्ड) जयपुर में है।
इन्दिरा गाँधी नहर की शाखाएं
IGNP पर 9 शाखाओं का निर्माण किया गया है। रावतसर शाखा के अलावा सभी शाखाएं दायीं तरफ है। इनके नाम उत्तर से दक्षिण तक निम्न हैं:
- रावतसर शाखा – एकमात्र शाखा जो बांयी ओर निकाली गई है।
- सूरतगढ़ शाखा – श्रीगंगानगर
- अनूपगढ़ शाखा – श्रीगंगानगर
- पूगल शाखा – बीकानेर
- दातोर शाखा – बीकानेर
- बिरसलपुर शाखा – बीकानेर
- चारणवाला शाखा – एकमात्र शाखा जो दो जिलों (बीकानेर व जैसलमेर) तक विस्तृत है।
- शहीद बीरबल शाखा – जैसलमेर
- सागरमल गोपा शाखा -जैसलमेर
IGNP की 4 उपशाखाएं है –
- लीलवा
- दीघा (ये दोनों उपशाखाएं मोहनगढ़ से निकाली गयी हैं।)
- बरकतुल्ला खां (गडरा रोड उपशाखा़) सागरमल गोपा शाखा से निकाली गई है।
- बाबा रामदेव उपशाखा
IGNP पर 7 लिफ्ट नहरें बनायी गयी हैं जो कि बायीं तरफ हैं।
क्र. स. | लिफ्ट नहर का पुराना नाम | लिफ्ट नहर का नया नाम | लाभान्वित जिले |
1. | गंधेली (नोहर) साहवा लिफ्ट | चैधरी कुम्भाराम लिफ्ट नहर | हनुमानगढ़, चुरू, झुंझुनू |
2. | बीकानेर – लुणकरणसर लिफ्ट | कंवरसेन लिफ्ट नहर | श्री गंगानगर, बीकानेर |
3. | गजनेर लिफ्ट नहर | पन्नालाल बारूपाल लिफ्ट नहर | बीकानेर, नागौर |
4. | बांगड़सर लिफ्ट नहर | भैरूदान चालनी वीर तेजाजी लिफ्ट नहर | बीकानेर |
5. | कोलायत लिफ्ट नहर | डा. करणी सिंह लिफ्ट नहर | बीकानेर, जोधपुर |
6. | फलौदी लिफ्ट नहर | गुरू जम्भेश्वर जलो उत्थान योजना | जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर |
7. | पोकरण लिफ्ट नहर | जयनारायण व्यास लिफ्ट नहर | जोधपुर, जैसलमेर |
तथ्य
- कँवरसेन लिफ्ट नहर इन्दिरा गाँधी नहर की पहली तथा सर्वाधिक लम्बी (151 किमी.) नहर है जिसे बीकानेर की जीवन रेखा भी कहते है।
- वीर तेजाजी लिफ्ट नहर सबसे छोटी लिफ्ट नहर है।
- चौधरी कुम्भाराम लिफ्ट नहर सर्वाधिक जिलों तक विस्तृत लिफ्ट नहर है।
- पन्नालाल बारूपाल लिफ्ट नहर विफ्लोराइडीकरण हेतु जायल (नागौर) में योजना चलायी जा रही है।
- IGNP में जल प्रबंधन हेतु स्काडा(SCADA) तकनीक का प्रयोग होता है। IGNP से भूमि में लवणीयता, सेम, दलदल, मरूस्थलीय जैव विविधता का ह्रास आदि समस्याएँ भी उत्पन्न हुई है।
- इराडी आयोग रावी – व्यास जल विवाद को हल करने के लिए गठित किया गया था जिसके तहत राजस्थान को 8.6MAF जल मिलेगा। इससे IGNP को अतिरिक्त जल मिल सकेगा।
- यह 8 जिलों की सिंचाई व 10 जिलों को पेयजल उपलब्ध कराती है। जिले- गंगानगर, जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर, हनुमानगढ़, नागौर, सीकर, चूरू, बाड़मेर सिंचाई व झुन्झुनूं में पेयजल के लिए।
आपणी योजना – गंधेली साहवा लिफ्ट नहर से जर्मनी के सहयोग से ‘आपणी योजना‘ बनाई गई है। इस योजना के प्रथम चरण में हनुमानगढ़, चुरू और इसके द्वितीय चरण में चुरू व झुंझुनू के कुछ गांवों में जलापुर्ति होगी। |
FAQ
इंदिरा गांधी मुख्य नहर की लंबाई कितनी है?
मुख्य नहर की लम्बाई 189 + 256 = 445 किमी. है
इंदिरा गांधी नहर में कितनी लिफ्ट नहरहै?
कुल लिफ्ट नहरे ‘7‘ हैं। एक प्रथम चरण में तथा छः द्वितीय चरण में। 2011-12 में इन लिफ्ट नहरों व IGNP को पूरा कर लिया जायेगा।
इंदिरा गांधी नहर परियोजना की कुल लंबाई कितनी है?
इंदिरा गांधी नहर (Ignp) की कुल लम्बाई 649 किमी. है।
इंदिरा गांधी नहर की 9 शाखाएं कौन कौन सी है?
शाखाएँ : (i) रावतसर शाखा- हनुमानगढ़ (नहर के बांयी तरफ) (ii) सूरतगढ़ शाखा-गंगानगर (iii) अनूपगढ़ शाखा-गंगानगर (iv) पूगल शाखा-बीकानेर (v) दन्तौर शाखा-बीकानेर (vi) बिरसलपुर शाखा-बीकानेर (vii) चारणवाला शाखा- बीकानेर-जैसलमेर (viii) शहीद बीरबल शाखा- जैसलमेर (ix) सागरमलगोपा शाखा-जैसलमेर।
इंदिरा गांधी नहर का पुराना नाम क्या है?
इंदिरा गाँधी नहर परियोजना को “राजस्थान की जीवन रेखा/मरूगंगा” भी कहा जाता है। पहले इसका नाम राजस्थान नहर था। 2 नवम्बर 1984 को इसका नाम इन्दिरा गांधी नहर परियोजना कर दिया गया है।
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