जवाहर कला केन्द्र (Jawahar Kala Kendra): जवाहर कला केंद्र जयपुर की संस्कृति का मुख्य आकर्षण है। इस केंद्र की स्थापना का उद्देश्य यही था कि राजस्थान की समृद्ध कला एवं शिल्प को संरक्षित रखा जाए। जवाहर कला केंद्र की डिजाईन भारतीय ज्योतिष की अवधारणा पर की गई है। विभिन्न ब्लॉक्स में विभाजित जवाहर कला केंद्र का हर भाग एक ग्रह की विशेषता को दर्शाता है।
जवाहर कला केंद्र राजस्थान के जयपुर में स्थित है|
जवाहर कला केन्द्र का वास्तु चित्र वास्तुकलाकार चार्ल्स कॉरिया ने 1986 में बनाया था। तथा 1993 में बनकर तैयार हुआ।
- जवाहर कला केंद्र में एक साथ कई कलात्मक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह राजस्थान सरकार द्वारा राजस्थानी कला और शिल्प के संरक्षण के उद्देश्य से निर्मित कराया गया था। जवाहर कला केंद्र में आठ ब्लॉक में ऑफिस, आवास, विविध संग्रहालय, थिएटर, सभागार, पुस्तकालय, आर्ट गैलरियां, कला स्टूडियो, ओपन थिएटर, कैफेटेरिया, गार्डन, शिल्पग्राम आदि बनाए गए हैं।
- इस कला केंद्र का नाम देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर पड़ा तथा यह उन्हीं को समर्पित है। इस केंद्र का डिज़ाइन महाराज जयसिंह के नौ मंडलों की आधुनिक व्याख्या के रूप में तैयार किया गया है।
- जवाहर कला केन्द्र चार परिसरों से मिलकर बना है। इसके उत्तरी खुले भाग में शिल्पग्राम है। एक परिसर में थिएटर की इमारत बनाई गई है, थिएटर के दक्षिणमुखी द्वार के सामने पुस्तकालय और वाचनालय भवन है तथा थिएटर एवं पुस्तकालय के बीच जवाहर कला केंद्र के मुख्य परिसर का द्वार है।
- थिएटर में रंगायन और कृष्णायन सभागार हैं। भीतरी परिसर में मुक्ताकाशीय मंच स्थित है।
- जवाहर कला केंद्र परिसर में ही एक बड़े मैदान में राजस्थान के विभिन्न अंचलों की पहचान को समेटने के उद्देश्य से यहां शिल्पग्राम विकसित किया गया है। शिल्पग्राम में राजस्थान के विभिन्न अंचलों में बने घरों के खूबसूरत मॉडल यहां बनाए गए हैं
जवाहर कला वर्तमान में न केवल जयपुर और राजस्थान बल्कि भारत और विश्व की संस्कृतियों के मेल-जोल का स्थल बन गया है। कलाप्रेमी जवाहर कला केन्द्र के इस रूप को पसंद भी कर रहे हैं।