[A] घाणेराव
[B] रियाँ
[C] भिणाय
[D] बनेड़ा
Answer: D
राजस्थानी चित्रकला की मारवाड़ चित्र शैली में अनेक उप शैलियों का विकास व विस्तार हुआ। इनका विस्तार न केवल जोधपुर, बीकानेर, किशनगढ़, नागौर जैसे बड़े क्षेत्रों में हुआ बल्कि इस क्षेत्र के विभिन्न सामंतों, ठिकानों जैसे कि घाणेराव, कुचामन, मेड़ता, पाली, देसूरी, सांभर, जैसलमेर, लाडनूं, डीडवाना, खिंवसर, हससोलाव, भाउण्डा, परबतसर, नाडोल, अजमेर, सावर, भिनाय मसूदा तथा जूनिया में भी यह उप शैलियों के रूप में विकसित होती रही है।
अतः यह स्पष्ट हो जाता है कि मारवाड़ के ठिकानों, सांमतों, जागीरदारों के यहाँ अनेक लघु चित्र बने थे जो कि मारवाड़ चित्र शैली के विकास एवं विस्तार में सहायक रही।
भारतीय चित्रकला में राजस्थानी चित्रकला का तथा राजस्थानी चित्रकला के इतिहास में मारवाड़ चित्र शैली का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।