राजस्थान संस्कृत अकादमी I Rajasthan Sanskrit Academy: राजस्थान संस्कृत अकादमी की स्थांपना वर्ष 1980 में संस्कृत दिवस के अवसर पर राजस्थान सरकार के द्वारा की गई।
- मुख्यालय – जयपुर
संस्कृत अकादमी की स्थापना के मूल उद्देश्यों में संस्कृत भाषा एवं उसके साहित्य का संरक्षण, विकास एवं प्रोत्साहन के लिए शोध संस्थान की स्थापना; संस्कृत वाड्मय में अन्तर्विष्ट ज्ञान का प्रकाशन एवं अन्य भाषाओं में अनुवाद तथा उसका प्रचार-प्रसार; वैदिक परम्परागत उच्चारण एवं प्रक्रियाओं का संरक्षण इत्यादि संस्कृत के उन्नयन से संबंधित अनेक कार्य सम्मिलित हैं।
संस्कृत में मौलिक लेखन को प्रोत्साहन देने की दृष्टि से अकादमी प्रतिवर्ष अखिल भारतीय तथा राज्य स्तर के पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान करती है। जिनमें माघ पुरस्कार, पद्मश्री डॉ. मण्डन मिश्र पुरस्कार तथा पं. अम्बिकादत्त व्यास पुरस्कार प्रमुख हैं।
राजस्थान संस्कृत अकादमी अब तक 100 से अधिक ग्रन्थों का प्रकाशन कर चुकी है| संस्कृत लेखन को प्रोत्साहित करने हेतु लेखकों को उनके स्वरचित ग्रन्थों को प्रकाशित करवाने के लिए भी अकादमी आर्थिक सहायता प्रदान करती है।
NOTE: अकादमी द्वारा त्रैमासिक पत्रिका 'स्वरमंगला' का प्रकाशन किया जाता है है। यह पत्रिका शनै: शनै: अत्यन्त उत्कृष्ट शोधपत्रिका का स्वरूप ग्रहण कर चुकी है तथा इसमें बहुधा संस्कृत वाड्य के गूढ विषयों पर गम्भीर चिन्तन से अध्येता लाभान्वित हो रहे हैं।
राजस्थान संस्कृत अकादमी के उद्देश्य
- संस्कृत शोध प्रत्रिका का प्रकाशन।
- संस्कृत नाटकों के मंचन को प्रोत्साहित करना।
- संस्कृत साहित्यकार कल्याण कोष की स्थापना तथा उसका उपयोग करना।
- संस्कृत भाषा एवं उसके साहित्य का संरक्षण, विकास एवं प्रोत्साहन करने की दृष्टि से केन्द्रीय शोध संस्थान, जयपुर में स्थापित करना।
- संस्कृत के वरिष्ठ विद्वानों के मार्गदर्शन एवं सान्निध्य में युगानुकूल शोध लेखन को प्रोत्साहन एवं उसका प्रकाशन करती है।
- संस्कृत सम्बन्धित पुस्तक संग्रहालय एवं पुस्तकालयों के समर्पण को स्वीकार करना तथा उनकी व्यवस्था करना।
- संस्कृत लेखकों, साहित्यकारों एवं कवियों से उत्कृष्ट कृतियां लिखवाना तथा उनका सम्पादन करवाना, प्रकाशित कृतियों पर पुरस्कार देना।
- अकादमी सम्पूर्ण प्रदेश में विभिन्न महत्त्वपूर्ण सामयिक विषयों पर विचार गोष्ठियाँ, कार्यशालाएं, विभिन्न जयन्तियां, संस्कृत कवि सम्मेलन, रचनाधर्मिता शिविर, ज्योतिष-पौरोहित्य-संस्कृत सम्भाषण शिविर, मंत्रोच्चारण प्रतियोगिता, सिद्धान्त एवं प्रयोग आधारित कार्यशालाओं का आयोजन करती है|
स्रोत: राजस्थान संस्कृत अकादमी