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मतीरे की राड़ I तरबूज के लिए हुए युद्ध का ऐतिहासिक किस्सा

मतीरे की राड़: मतीरे की राड़ नामक युद्ध नागौर के शासक राव अमरसिंह व बीकानेर के शासक राजा करणसिंह के मध्य 1644 ई. में लड़ा गया था।

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मतीरे की राड़ नामक युद्ध

➤यह लड़ाई दुनिया की एकमात्र ऐसी लड़ाई है, जो सिर्फ एक फल की वजह से लड़ी गई थी। इतिहास में इस युद्ध को ‘मतीरे की राड़’ के नाम से जाना जाता है। दरअसल, राजस्थान के कुछ हिस्सों में तरबूज को मतीरा कहा जाता है और राड़ का मतलब झगड़ा होता है।

➤यह कहानी कुछ इस तरह है कि उस समय बीकानेर रियासत का सीलवा गांव और नागौर रियासत का जाखणियां गांव एक दूसरे से सटे हुए थे। यह दोनों गांव बीकानेर रियासत और नागौर रियासत की अंतिम सीमा थे।

➤हुआ कुछ यूं कि एक मतीरे (तरबूज) की बेल बीकानेर रियासत की सीमा में उगी, लेकिन फ़ैल गयी नागौर की सीमा में। कुछ दिन बाद उस पर एक मतीरा यानि तरबूज लग गया। और तरबूज नागौर रियासत की सीमा में चला गया।

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➤अब बीकानेर रियासत के लोगों का मानना था कि तरबूज की बेल उनकी सीमा में है तो मतीरा भी उनका ही हुआ, लेकिन नागौर रियासत के लोगों का कहना था कि जब तरबूज उनकी सीमा में आ गया है तो वो उनका हुआ।

इसी बात को लेकर दोनों रियासतों में झगड़ा हो गया और धीरे-धीरे ये झगड़ा एक खूनी लड़ाई में तब्दील हो गया।

➤इस अजीबोगरीब लड़ाई में बीकानेर की सेना का नेतृत्व रामचंद्र मुखिया ने किया था जबकि नागौर की सेना का नेतृत्व सिंघवी सुखमल ने। हालांकि दोनों रियासतों के राजाओं को तब तक इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था, क्योंकि उस समय बीकानेर के शासक राजा करणसिंह एक अभियान पर गए हुए थे जबकि नागौर के शासक राव अमरसिंह मुगल साम्राज्य की सेवा में थे।

 ➤दरअसल, दोनों राजाओं ने मुगल साम्राज्य की अधीनता स्वीकार कर ली थी। दोनों राजाओं को युद्ध की जानकारी मिलते ही राव अमरसिंह ने आगरा लौटते ही बादशाह से इसकी शिकायत की, वहीं राजा करण सिंह ने सलावत खां बख्शी (यह शाहजहां का मीर था) को पत्र लिखा और बीकानेर की पैरवी करने को कहा।

➤हालांकि तब तक बहुत देर हो गई। बात मुगल दरबार तक पहुंचती, उससे पहले ही युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में भले ही नागौर रियासत की हार हुई, लेकिन कहते हैं कि इसमें दोनों तरफ से हजारों सैनिक मारे गए।

इस प्रकार से राजस्थान की दो रियासतों बीकानेर और नागौर के बीच एक फल यानी कि तरबूज के लिए लड़ाई लड़ी गई। इस लड़ाई को इतिहास में ‘मतीरे की राड़’ नाम से जाना जाता है।

मतीरे की राड़’ नामक युद्ध कब लड़ा गया था?

मतीरे की राड़ नामक युद्ध नागौर के शासक राव अमरसिंह व बीकानेर के शासक राजा करणसिंह के मध्य 1644 ई. में लड़ा गया था।

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