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राजस्थान की पहली वंदे भारत रेल का शुभारंभ

राजस्थान की पहली वंदे भारत रेल का शुभारंभ: 12 अप्रेल, 2023 को मुख्यमंत्री श्री गहलोत जयपुर रेलवे स्टेशन पर वंदे भारत रेल के शुभारंभ समारोह को संबोधित किया।

मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से विशिष्ट पहचान के कारण राजस्थान में रेलवे के विकास की सर्वाधिक आवश्यकता बनी हुई है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में तेज गति से औद्योगिक विकास हुआ है। इस कारण यहां रेल सुविधाएं बढ़े तो प्रदेश अर्थव्यवस्था की दृष्टि से देश में अग्रणी बनेगा।

वन्दे भारत ट्रेन राजस्थान के लिए सौगात

  • इस अवसर पर राज्यपाल श्री कलराज मिश्र,  मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत तथा रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने हरी झण्डी दिखाकर रेल को रवाना किया।
  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि वन्दे भारत ट्रेन राजस्थान के लिए एक बड़ी सौगात है। यह राजस्थान की प्रथम सेमी हाई स्पीड ट्रेन है,  जिससे जयपुर से दिल्ली के बीच यात्रा का समय कम होगा। मुख्यमंत्री ने रेलमंत्री से आग्रह किया कि बांसवाड़ा, टोंक, करौली आदि मुख्यालयों को भी रेलवे सुविधाओं से जोड़ा जाए।

डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम परियोजना को दी जाए उच्च प्राथमिकता

  • मुख्यमंत्री ने कहा कि डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम के बीच रेल सेवा के लिए राजस्थान सरकार और रेलवे बोर्ड के बीच एमओयू हुआ था। बांसवाड़ा में रेल लाइन का शिलान्यास भी किया गया था।
  • पहली बार किसी राज्य सरकार द्वारा एक मेजर रेल प्रोजेक्ट के लिए भूमि सहित 1250 करोड़ रुपये दिए गए थे। लेकिन जनहित का यह काम आगे नहीं बढ़ा। उन्होंने इस प्रोजेक्ट को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।

मेमू कोच फैक्ट्री स्थापना पर लिए जाएं सकारात्मक निर्णय

  • मुख्यमंत्री ने कहा कि जयपुर से चित्तौड़गढ़ वाया अजमेर ब्रॉडगेज रेलवे मार्ग पर स्थित गुलाबपुरा (भीलवाड़ा) में मेमू कोच फैक्ट्री की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा 323 हेक्टेयर भूमि निःशुल्क आवंटित की जा चुकी है।
  • उन्होंने आग्रह किया कि रेल मंत्रालय द्वारा गुलाबपुरा में मेमू कोच फैक्ट्री स्थापित करने के लिए सकारात्मक निर्णय लिया जाए।

भारत की पहली ‘सेमी हाई स्पीड’ ट्रेन

  • वंदे भारत पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन है जो मेड इन इंडिया है। वंदे भारत पहली ऐसी ट्रेन है जो इतनी कॉम्पैक्ट और कुशल है। वंदे भारत पहली स्वदेशी सुरक्षा तंत्र कवच के अनुकुल है। ये रेलवे के इतिहास की पहली ट्रेन है जिसने बिना अतिरिक्त इंजन के सह्याद्रि घाट की ऊंची चढ़ाई पूरी की है

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