स्वास्थ्य का अधिकार प्रदान करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य

स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक को हाल ही में राजस्थान विधानसभा में पास कराया गया था। स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक राजस्थान के निवासियों को निजी प्रतिष्ठानों सहित अस्पतालों, क्लीनिकों और प्रयोगशालाओं में मुफ्त इलाज का अधिकार देने का प्रयास करता है।

मुख्य बिन्दु

  • स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक में कहा गया है कि राजस्थान के प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी पूर्व भुगतान के आपातकालीन चिकित्सा सेवा मिलेगी, जिसमें निजी प्रतिष्ठान भी शामिल हैं।
  • ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ लागू करने के प्रथम चरण में 50 बेड से कम के निजी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल को इस कानून के दायरे से बाहर रखा जाएगा।
  • जिन निजी अस्पतालों ने सरकार से कोई रियायत नहीं ली है या अस्पताल के भू-आंवटन में कोई छूट नहीं ली है, उन पर भी इस कानून की बाध्यता नहीं होगी।
  • प्राइवेट मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल्स, पीपीपी मोड पर संचालित अस्पताल, निःशुल्क या अनुदानित दरों पर भू-आवंटन वाले अस्पताल, ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पतालों पर यह कानून लागू होगा।
  • इस विधेयक में यह भी कहा गया है कि सभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाएं प्रत्येक व्यक्ति को नि:शुल्क उपलब्ध होंगी, जिसमें ओपीडी और आईपीडी सेवाएं, डॉक्टरों की सलाह, दवाइयां, जांच, आपात स्थिति में एंबुलेंस शामिल होंगी।
  • साथ ही सड़क दुर्घटना में घायलों को निर्धारित नियमानुसार नि:शुल्क एंबुलेंस, उपचार एवं बीमा का अधिकार मिलेगा। 
  • प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर चल रहे अस्पतालों का ‘कोटा मॉडल‘ के अनुरूप नियमितीकरण पर विचार किया जाएगा। कोटा मॉडल के तहत उन अस्पतालों के भवनों को नियमों में शिथिलता प्रदान कर नियमित करने पर विचार किया जाएगा, जो आवासीय परिसर में चल रहे हैं।
  • निजी अस्पतालों को लाइसेंस एवं अन्य स्वीकृतियां जारी करने के लिए सिंगल विण्डो सिस्टम लाए जाने पर विचार किया जाएगा। निजी अस्पतालों को फायर एनओसी प्रत्येक पांच साल में देने के बिंदु पर विचार किया जाएगा।
  • राज्य सरकार में स्वास्थ्य पर खर्च होने वाले बजट को 3 परसेंट से बढ़ाकर 7 परसेंट तक किया है जो कि देश में सबसे ज्यादा है। राज्य सरकार ने चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना के तहत होने वाले खर्च की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख तक कर दी है।

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