बीकानेर के लाखासर और हनुमानगढ़ के सतीपुरा में मिले पोटाश के भण्डार: माइंस विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया है कि राज्य में मात्रा 500 से 700 मीटर गहराई पर ही पोटाश के विपुल भण्डार के संकेत मिले हैं जबकि दुनिया के पोटाश भण्डार वाले देशों में पोटाश की उपलब्धता एक हजार मीटर या इससे भी अधिक गहराई में देखने को मिलती है।
मुख्य बिन्दु
- सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश के बीकानेर और हनुमानगढ़ में सिल्वाइट और पॉलिहाइलाइट पोटाश की संकेत मिलने से कन्वेसनल माइनिंग व सोल्यूशन माइनिंग तकनीक से पोटाश का खनन किया जा सकेगा।
- डॉ. अग्रवाल ने बताया कि बीकानेर के लखासर के 99.99 वर्गमीटर क्षेत्रा में 26 बोर किए गए हैं जिसमें से एमईसीएल द्वारा 22 बोर किए गए हैं व जियोलोजिकल सर्वें ऑफ इंडिया द्वारा 4 बोर किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इसमें दोनों ही तरह के यानी कि सिल्वाइट व पॉलिहाइलाइट पोटाश के संकेत मिले हैं। इसके साथ ही हनुमानगढ़ के सतीपुरा में जीएसआई द्वारा 300 वर्गमीटर क्षेत्रा में किए गए एक्सप्लोरेशन में पोटाश के संकेत मिल चुके हैं।
- उन्होंने बताया कि दोनों ही स्थानों पर जी 4 व जी 3 स्तर को एक्सप्लोरेशन हो चुका है। ऐसे में सतीपुरा में सीधे माइनिंग कार्य के लिए सीएल कम एमएल ऑक्शन की कार्यवाही की जा सकती है। वहीं लखासर में अभी पहले चरण में 8 और बोर के माध्यम से एक्सप्लोरेशन की आवश्यकता के साथ ही यहां भी प्लॉट तैयार कराकर कंपोजिट लाइसेंस की कार्यवाही आरंभ की जा सकती है।
- एसीएस माइंस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि अभी देश में पोटाश फर्टिलाइजर के लिए विदेशों से आयात पर निर्भरता है जबकि प्रदेश में पोटाश के खनन की प्रक्रिया आंरभ होने से विदेशों से आयात की निर्भरता कम हो जाएगी और विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
- एमईसीएल के सीएमडी घनश्याम शर्मा ने बताया कि सिल्वाइट पोटाश में सोल्यूशन माइनिंग की आवश्यकता होती है जबकि पॉलिहाइलाइट पोटाश में पंरपरागत तरीके से माइनिंग की जा सकती है।
- सीएमडी घनश्याम शर्मा ने बताया कि प्रदेश में पोटाश का एक्सप्लोरेशन और संकेत से आत्म निर्भर भारत की दिशा में बढ़ता कदम हैं। उन्होंने बताया कि राजस्थान में पोटाश खनन से देश में खेती के लिए पोटाश फर्टिलाइजर की आवश्यकता को काफी हद तक पूरा किया जा सकेगा।