धौलपुर प्रजामंडल (Dhoulapur Prajamandal): 1910 ई. में ज्वाला प्रसाद और यमुना प्रसाद ने धौलपुर में आचार सुधारिणी सभा’ और 1911 ई. में आर्य समाज’ के माध्यम से जन चेतना जागृत करने के प्रयास किये।
आर्य समाज के प्रमुख स्वामी श्रद्धानंद में 1918 से ही धौलपुर के निरंकुश शासन व्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठानी आरंभ की थी। स्वशासन आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ता ज्वाला प्रसाद जिज्ञासु जोहरीलाल इंदू पुरोहित छितर सिंहविष्णु स्वरूप वैद्य और रामदयाल प्रमुख थे। इन्हें आंदोलन करने के कारण गिरफ्तार कर कठोर दंड दिया गया। धौलपुर में स्वशासन आंदोलन श्रद्धानन्द की मृत्यु के साथ खत्महो गया था।
- 1934 ई. में ज्वाला प्रसाद और जौहरीलाल ने धौलपुर में ‘नागरी प्रचारिणी सभा’ की स्थापना की। सभा के तत्वावधान में पुस्तकालय और वाचनालय खोलकर जनता में राजनीतिक चेतना का प्रयास किया गया।
- 1936 ई. में ज्वालाप्रसाद ने धौलपुर में हरिजनोद्धार आंदोलन चलाया। फलतः सरकार को हरिजन बालकों को सार्वजनिक स्कूलों में पढ़ने की इजाजत देनी पड़ी।
प्रजामंडल की स्थापना
- 1936 ई. में कृष्णदत्त पालीवाल, मूलचंद, ज्वाला प्रसाद एवं जोहरीलाल इंदु के प्रयासों से ‘धौलपुर प्रजामण्डल’ की स्थापना हुई।
- धौलपुर प्रजामंडल का उद्देश्य उत्तरदायित्व शासन व्यवस्था व नागरिक अधिकारों की रक्षा करना था
- धौलपुर प्रजामंडल का प्रथमअध्यक्ष श्री कृष्ण दत्त पालीवाल को बनाया गया।
- 14 जुलाई, 1938 को प्रजामण्डल ने राज्य में उत्तरदायी शासन स्थापित करने, प्रजामण्डल को मान्यता देने तथा इसकी शाखाएं खोलने की अनुमति देने, राजनीतिक बंदियों को जेल से मुक्त करने, आम सभा एवं हड़तालों की स्वीकृति देने को मांग की। लेकिन सरकार ने प्रजामण्डल की इन मांगों को स्वीकार नहीं किया।
- अप्रैल, 1940 में भदई गाँव में पूर्वी राजपूताना के राज्यों के राजनीतिक कार्यकर्ताओं का सम्मेलन हुआ, जिसमें सभी राज्यों में उत्तरदायी शासन स्थापित करने के प्रस्ताव पारित किए गए। लेकिन धौलपुर सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
- 1947 ई. में राज्य सरकार ने सभाओं और जुलूसों पर रोक लगा दी । धौलपुर प्रजामण्डल ने राज्य के इन आदेशों की अवहेलना की। भारत छोड़ो’ आंदोलन के दौरान धौलपुर में प्रजामण्डल ने आंदोलन चलाया और उत्तरदायी शासन स्थापना को माँग की।
- 17-18 नवम्बर, 1947 को प्रजामण्डल ने राम मनोहर लोहिया की अध्यक्षता में धौलपुर में एक राजनीतिक सम्मेलन आयोजित किया। इस अधिवेशन का उद्घाटन कांग्रेस महासचिव शंकरराव देव ने किया था।सम्मेलन में उत्तरदायी शासन की स्थापना, भष्टाचार और कालाबाजारी पर रोक लगाने के प्रस्ताव पारित किए गए।
- जनमत के दबाव के आगे महाराजा उदयभान सिंह को झुकना पड़ा। शासक ने उत्तरदायी शासन स्थापित करने एवं ‘तासीमों काण्ड’ की जाँच का आश्वासन दिया।
तसीमॉ काण्ड
- तसीमो धौलपुर में प्रजामंडल का गढ था। तसीमो गाँव के लोगों ने प्रजामण्डल की सहायता की थी
- 11 अप्रैल 1947 को तसीमो गाँव में एक नीम के पेड़ के नीचे सार्वजनिक सभाहो रही थी। नीम के पेड़ पर तिरंगा फहराया गया था। पुलिस ने वहां पहुंचकर तिरंगा उतारने की कोशिश की। उसके बाद में एक कार्यकर्ता छतर सिंह परमार पुलिस के सामने खड़ा हो गए, जिनकी पुलिस ने गोली मारकर हत्याकर दी।
- इसके बाद एक अन्य कार्यकर्ता ठाकुर पंचम सिंह कुशवाहा ने विरोध किया तो उसे भी गोली मार दी गई। इसके पश्चात सारी भीड़ ने पेड़ को घेरलिया और पुलिस को आगाहका दिया कि सारी भीड़ के मारे जाने के पश्चात ही तिरंगा उतारा जा सकता है। पुलिस को हार कर घटनास्थल पर से जाना पड़ा
- शहादत की याद में प्रतिवर्ष 11 अप्रैल को तसीमो में एक मेला लगता है।
Note: धौलपुर जिले का गठन 15 अप्रैल, 1982 को राजस्थान के 27वें जिले के रूप में किया गया।
NOTE: 4 मार्च 1948 को संवैधानिक सुधार कर उत्तरदायी शासन की स्थापना का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया। 18 मार्च 1948 मत्स्य संघ का गठन होने से धौलपुर मत्स्य संघ में विलय हो गया। |