Mahatma Gandhi Jayanti 2022: गांधी जी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें

Mahatma Gandhi Jayanti 2022: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज 153वीं जयंती है। हर साल देश में 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाई जाती है। बापू के जन्मदिवस को पूरा राष्ट्र राष्ट्रीय पर्व के तौर पर मनाता है और उनके सत्य व अहिंसा के विचारों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इस दिन पूरे देश में राष्ट्रीय अवकाश रहता है।

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Mahatma Gandhi Jayanti 2022: गांधी जी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें

गांधी जी को लोग बापू, महात्मा गांधी और देश के राष्ट्रपिता के तौर पर जानते हैं। उनका पूरा जीवन ही हर नागरिक के लिए एक संदेश है, जो सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह इस दिन राष्ट्रीय पर्व का दर्जा दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र ने 15 जून 2007 को महात्मा गांधी के सम्मान में दो अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया जिससे अब गांधी जयंती को दुनिया के अन्य देश अहिंसा दिवस के रूप में मनाई जा रही है। महात्मा गांधी ने अपने जीवन भर न सिर्फ अहिंसा की लड़ाई लड़ी

महात्मा गांधी, जिन्होंने कभी राजनीति में कोई बड़ा पद हासिल नहीं किया, वह महात्मा गांधी क्यों और कैसे बनें? गांधीजी की जयंती के मौके पर जानिए उनके भारत के राष्ट्रपिता बनने की कहानी।

सत्य अहिंसा का था वो पुजारी, कभी ना जिसने हिम्मत हारी, साँस दी हमें आजादी की, जन जन है जिसका बलिहारी। गांधी जयंती की शुभकामनाएं  

महात्मा गांधी के विचार

  1. क्रूरता का उत्तर क्रूरता से देने का अर्थ अपने नैतिक व बौद्धिक पतन को स्वीकार करना है- महात्मा गांधी
  2. ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है – महात्मा गांधी
  3. गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती। वह तो केवल अपनी ख़ुशबू बिखेरता है। उसकी ख़ुशबू ही उसका संदेश है। – महात्मा गांधी
  4. व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित प्राणी है, वह जो सोचता है वही बन जाता है – महात्मा गांधी
  5. हम जिसकी पूजा करते हैं, उसी के समान हो जाते हैं – महात्मा गांधी
  6. धैर्य का एक छोटा सा हिस्सा भी, एक टन उपदेश से बेहतर है- महात्मा गांधी
  7. डर शरीर का रोग नहीं है, यह आत्मा को मारता है – महात्मा गांधी
  8. उफनते तूफ़ान को मात देना है तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना होगा -महात्मा गांधी
  9. स्वयं को जानने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है खुद को औरों की सेवा में लगा देना- महात्मा गांधी
  10. आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी – महात्मा गांधी

महात्मा गांधी जी का बचपन

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हिन्दू परिवार में हुआ। पिता करमचंद गांधी और मां पुतलीबाई द्वारा उनका नाम मोहनदास रखा गया, जिससे उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी हुआ। महात्मा गांधी की माता अत्यधिक धार्मिक महिला थी, अत: उनका पालन वैष्णव मत को मानने वाले परिवार में हुआ और उन पर जैन धर्म का भी गहरा प्रभाव रहा। यही कारण था कि इसके मुख्य सिद्धांतों जैसे- अहिंसा, आत्मशुद्ध‍ि और शाकाहार को उन्होंने अपने जीवन में उतारा था। हुआ था। वह बचपन से पढ़ाई में होनहार छात्र नहीं थे। गणित और भूगोल में कमजोर हुआ करते थे। उनकी लिखावट भी सुंदर नहीं थी। अक्सर उन्हें पढ़ाई और लिखावट के कारण डांट पड़ा करती थीं। हालांकि वह अंग्रेजी में निपुण छात्र थे। अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान होने के कारण उन्हें कई पुरस्कार और छात्रवृत्तियां मिल चुकी थीं।

महात्मा गांधी जी का परिवार

  • वह महज साल के थे, तो उनकी शादी पोरबंदर के एक व्यापारी परिवार की बेटी कस्तूरबा से कर दी गई। कस्तूरबा मोहनदास से उम्र में 6 माह बड़ी थीं।
  • उसके बाद साल की उम्र में ही गांधी जी एक बेटे के पिता बन गए। लेकिन उनका यह पुत्र जीविन नहीं रहा था।
  • बाद में कस्तूरबा और गांधी जी के चार बेटे हुए, जिनके नाम हरिलाल, मनिलाल, रामलाल और देवदास था। गांधी जी शादी के बाद पढ़ने के लिए विदेश चले गए, जहां से वह वकालत की पढ़ाई करके वापस आए।

स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी जी की भूमिका

सन् 1914 में गांधी जी भारत लौट आए। देशवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया और उन्हें महात्मा पुकारना शुरू कर दिया। उन्होंने अगले चार वर्ष भारतीय स्थिति का अध्ययन करने तथा उन लोगों को तैयार करने में बिताए जो सत्याग्रह के द्वारा भारत में प्रचलित सामाजिक व राजनीतिक बुराइयों को हटाने में उनका साथ दे सकें।

  • बापू ने स्वदेश लौटकर स्वतंत्रता संगाम की लड़ाई में हिस्सा लिया।
  • फरवरी 1919 में अंग्रेजों के बनाए रॉलेट एक्ट कानून पर, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए जेल भेजने का प्रावधान था, उन्होंने अंग्रेजों का विरोध किया।
  • फिर गांधी जी ने सत्याग्रह आंदोलन की घोषणा कर दी। इसके परिणामस्वरूप एक ऐसा
  • राजनीतिक भूचाल आया, जिसने 1919 के बसंत में समूचे उपमहाद्वीप को झकझोर दिया। उसके बाद गांधी जी ने अंग्रेजों के गलत कानून और कार्यशैली के खिलाफ सत्याग्रह की घोषणा की।

गांधीजी के आंदोलन

  • 1906 में महात्मा गांधी ने ट्रासवाल एशियाटिक रजिस्ट्रेशन एक्ट के खिलाफ पहला सत्याग्रह चलाया।
  • गांधी जी ने नमक पर ब्रिटिश हुकूमत के एकाधिकार के खिलाफ 12 मार्च 1930 को नमक सत्याग्रह चलाया, जिसमें वे अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों तक पैदल मार्च निकाला।
  • देश की आजादी के लिए दलित आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नागरिक अवज्ञा आंदोलन, दांडी यात्रा‘ और ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ शुरू किए।

गांधी जी को पहली बार राष्ट्रपिता किसने कहा

  • गांधी जी के आंदोलनों के चलते पूरे देश में वह प्रसिद्ध होने लगे थे। कई गरम और नरम दल के नेता गांधी जी से प्रभावित थे और उनका सम्मान करते थे। इन्हीं में एक थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस। 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो स्टेशन के जरिए पहली बार महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया गया था।
  • गांधी को राष्ट्रपिता कहने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे। उस दौरान नेताजी ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी और रेडियो के जरिए महात्मा गांधी से आशीर्वाद मांगा था। अपने भाषण के अंत में सुभाष चंद्र बोस ने कहा, ‘हमारे राष्ट्रपिता, भारत की आजादी की पवित्र लड़ाई में मैम आपके आशीर्वाद और शुभकामनाओं की कामना कर रहा हूं।’

महात्मा गांधी जी मृत्यु

महात्मा गांधी जी के इन सारे प्रयासों से भारत को 15 अगस्‍त 1947 को स्‍वतंत्रता मिल गई।उसके बाद 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे ने गांधीजी की हत्या कर दी। अहिंसा का संदेश देने वाले इस महान विभूति के जीवन का अंत हो गया। इसी के साथ नेताजी द्वारा पहली बार राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी देश के हर नागरिक के लिए राष्ट्रपिता बन गए।

महात्मा गांधी के पूर्व भी शांति और अहिंसा की के बारे में लोग जानते थे, परंतु उन्होंने जिस प्रकार सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता।उनकी यह यात्रा अहिंसा आंदोलन से लेकर उनके राष्ट्रपिता बनने तक, और उनके जीवन पर्यंत चलती रही।  

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