नाबार्ड ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए ‘जीवा कार्यक्रम’ शुरू किया

नाबार्ड ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए ‘जीवा कार्यक्रम’ शुरू किया: राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) ने 11 राज्यों में अपने मौजूदा वाटरशेड और वाडी कार्यक्रमों के तहत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए ‘जीवा कार्यक्रम (JIVA programme)’ शुरू किया है।

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जीवा कार्यक्रम’ शुरू किया

कृषि पारिस्थितिकी के सिद्धांतों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए दीर्घकालिक स्थिरता और पहले से मौजूद सामाजिक और प्राकृतिक पूंजी को कुशल खेती की ओर बदलना है।

जीवा एक कृषि-पारिस्थितिकी-आधारित कार्यक्रम है, जो नाबार्ड के वाटरशेड कार्यक्रम के तहत कई परियोजनाओं का एक समामेलन है और इसे 11 राज्यों में लागू किया जाएगा, जिसमें पांच कृषि क्षेत्र शामिल हैं, जो पारिस्थितिक रूप से नाजुक और वर्षा आधारित क्षेत्रों में हैं।

नाबार्ड

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) मुम्बई, महाराष्ट्र अवस्थित भारत का एक शीर्ष बैंक है।[3] इसे “कृषि ऋण से जुड़े क्षेत्रों में, योजना और परिचालन के नीतिगत मामलों में तथा भारत के ग्रामीण अंचल की अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए मान्यता प्रदान की गयी है।

शिवरामन समिति (शिवरामन कमिटी) की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम 1981 को लागू करने के लिए संसद के एक अधिनियम के द्वारा 12 जुलाई 1982, को नाबार्ड की स्थापना की गयी।

  • नाबार्ड गठन: 12 जुलाई, 1982
  • नाबार्ड मुख्यालय: मुंबई
  • नाबार्ड अध्यक्ष: गोविंदा राजुलु चिंताला

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