स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ (Statue of Equality) का अनावरण: प्रधानमंत्री 5 फरवरी 2022 को 216 फीट ऊँची ‘स्टेच्यू ऑफ इक्वलिटी’ देश को समर्पित करेंगे, बता दें कि यह बैठी हुई मुद्रा में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है। यह प्रतिमा पंचधातु से बनी है। इसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जिंक शामिल हैं।
जो 11वीं शताब्दी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की याद में बनाई गई है, जिन्होंने जाति एवं पंथ सहित जीवन के सभी पहलुओं में समानता के विचार को बढ़ावा दिया था।
संत श्री रामानुजाचार्य का जन्म वर्ष 1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरूमबुदूर गाँव में हुआ था। रामानुजाचार्य जयंती की तिथि तमिल सौर कैलेंडर के आधार पर तय की जाती है। वह एक महान धर्मशास्त्री थे, जिन्होंने सार्वभौमिक भाईचारे का संदेश दिया। रामानुजाचार्य, वेदांत और वैष्णववाद दर्शन के महान समर्थक थे।
स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी नाम क्यों?
रामानुज सभी वर्गों के लोगों के बीच सामाजिक समानता के हिमायती थे। उन्होंने ऊंच-नीच का भेद हटाते हुए समाज की सभी जातियों के लिए मंदिर के दरवाजे खोलने को प्रोत्साहित किया। उस समय कई जाति के लोगों को मंदिर में घुसने नहीं दिया जाता था। उन्होंने शिक्षा को उन लोगों तक पहुंचाया जो इससे वंचित थे।
संत रामानुजाचार्य ने तथा कथित अछूतों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव न करने की बात करते हुए कहा कि विश्व के रचयिता ने कभी भी किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया।
श्री रामानुजाचार्य ने ऐसा सिद्धांत प्रतिपादित किया जिसमें जन्म या जाति के बजाय व्यक्ति के आध्यात्मिक ज्ञान के आधार पर सम्मान दिया जाता है। उन्होंने वेदों के गोपनीय और सर्वोत्कृष्ट ज्ञान को आम लोगों तक पहुँचाया। श्री रामानुजाचार्य महान दार्शनिक, संत, चिंतक, समाज सुधारक और वेदांत की विशिष्टाद्वैत धारा के मुख्य उद्घोषक थे।
बुद्ध की प्रतिमा सबसे बड़ी लेकिन स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी है खास
- बता दें कि बैठी हुई मुद्रा में दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा थाइलैंड स्थित बुद्ध की प्रतिमा है। बुद्ध की प्रतिमा की ऊंचाई 302 फीट है। दूसरी ओर संत श्री रामानुजाचार्य की प्रतिमा की स्थापना हैदराबाद के बाहरी इलाके शमशाबाद में 45 एकड़ के भव्य मंदिर परिसर में की गई है।
- इस भव्य मंदिर का निर्माण 2014 में शुरू हुआ था। प्रतिमा का निर्माण मिश्र धातु पंचलोहा से किया गया है। इसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता जैसे पांच धातुओं का प्रयोग किया गया है। प्रतिमा को 64 फीट ऊंचे स्थान पर स्थापित किया गया है। इस स्थान (आधार) को भद्र वेदी नाम दिया गया है। इस भद्र वेदी में डिजिटल लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर बनाया गया है।
- गौरतलब है कि प्राचीन भारतीय ग्रंथों एवं संत श्री रामानुजाचार्य के कार्यों की जानकारी देती गैलरी भी इस मंदिर में स्थापित होगी है।