मिल्खा सिंह (उड़न सिख) जीवन परिचय

मिल्खा सिंह (उड़न सिख): भारतीय धावक और “फ्लाइंग सिख” के नाम से विख्यात मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर सन् 1929 को लायलपुर, पाकिस्तान (वर्तमान फैसलाबाद) में हुआ था, जबकि अन्य रिपोर्टों का कहना है कि उनका जन्म 17 अक्टूबर सन् 1935 को हुआ था।

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वे भारत के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ एथलीट्स में से एक थे। वे एक जाट परिवार से थे। उनका पूरा नाम मिल्खा सिंह लाटियान था

बचपन

मिल्खा सिंह का बचपन बेहद कठिन दौर से गुजरा। भारत के विभाजन के बाद हुए दंगों में मिलखा सिंह ने अपने माता-पिता और कई भाई-बहन को खो दिया। उनके अंदर दौड़ने को लेकर एक जुनून बचपन से ही था।

मिल्खा सिंह विभाजन के बाद वर्ष 1947 में भारत चले आए। वर्ष 1952 में वह सेना की विद्युत मैकेनिकल इंजीनियरिंग शाखा में शामिल होने में सफल हो गये और इस दौरान मिल्खा सिंह ने एक धावक के रूप में अपनी पहचान बनाई।

करियर

1958 के एशियाई खेलों में सिंह ने 200 मीटर और 400 मीटर दोनों में जीत हासिल की। इसी वर्ष उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर दौड़ प्रतिस्पर्द्धा में स्वर्ण पदक प्राप्त किया, जो खेलों के इतिहास में भारत का पहला एथलेटिक्स स्वर्ण पदक था।

मिल्खा सिंह चार बार के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता थे, लेकिन उनका सबसे बेहतरीन प्रदर्शन वर्ष 1960 के रोम में 400 मीटर फाइनल में चौथा स्थान हासिल करना था, जहाँ वे मात्र 0.1 सेकंड पीछे होने के कारण कांस्य पदक प्राप्त नहीं कर सके थे। मिल्खा सिंह को वर्ष 1959 में पद्मश्री (भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक) से सम्मानित किया गया था।

सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने पंजाब में खेल निदेशक के रूप में कार्य किया। मिल्खा सिंह की आत्मकथा ‘द रेस ऑफ माई लाइफ’ वर्ष 2013 में प्रकाशित हुई थी।

फिल्म

इनकी आत्मकथा  पर फिल्म निर्माता, निर्देशक और लेखक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने वर्ष 2013 में भाग मिल्खा भाग नामक फिल्म बनायी। ये फिल्म बहुत चर्चित रही।

उड़न सिख के उपनाम से चर्चित मिलखा सिंह देश में होने वाले विविध तरह के खेल आयोजनों में शिरकत करते रहते थे। हैदराबाद में 30 नवंबर, 2014 को हुए 10 किलोमीटर के जियो मैराथन-2014 को उन्होंने झंड़ा दिखाकर रवाना किया।

निधन

मिल्खा सिंह का हाल ही में 18 जून 2021 को  चण्डीगढ़ के पीजीआईएमईआर अस्पताल में 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया  है। वे कोविड-19 से ग्रस्त थे।

सम्मान

1959 में मिलखा सिंह को भारत सरकार द्वारा भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया।

खेल कूद रिकॉर्ड, पुरस्कार

  • इन्होंने 1958 के एशियाई खेलों में 200 मीटर व 400 मी में स्वर्ण पदक जीते।
  • इन्होंने 1958 के राष्ट्रमण्डल खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
  • वर्ष 1958 के एशियाई खेलों की 400 मीटर रेस में – प्रथम
  • वर्ष 1958 के एशियाई खेलों की 200 मीटर रेस में – प्रथम
  • वर्ष 1962 के एशियाई खेलों की 400 मीटर दौड़ में – प्रथम
  • वर्ष 1962 के एशियाई खेलों की 4*400 रिले रेस में – प्रथम
  • वर्ष 1964 के कलकत्ता राष्ट्रीय खेलों की 400 मीटर रेस में – द्वितीय

फ़्लाइंग सिख के नाम से थे मशहूर

फ़्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह भारत के इकलौते ऐसे एथलीट हैं जिन्होंने 400 मीटर की दौड़ में एशियाई खेलों के साथ साथ कॉमनवेल्थ खेलों में भी गोल्ड मेडल जीता हुआ था.

1958 के टोक्यो एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह ने 200 मीटर और 400 मीटर की दौड़ में गोल्ड मेडल हासिल किया था जबकि 1962 के जकार्ता एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर और चार गुना 400 मीटर रिले दौड़ में गोल्ड मेडल हासिल किया था.

रोम ओलंपिक में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर की दौड़ 45.73 सेकेंड में पूरी की थी, वे जर्मनी के एथलीट कार्ल कूफमैन से सेकेंड के सौवें हिस्से से पिछड़ गए थे लेकिन यह टाइमिंग अगले 40 सालों तक नेशनल रिकॉर्ड रहा.

जीव मिलखा सिंह (पुत्र )

जीव मिलखा सिंह भारत के पहले प्रोफेशनल गोल्फर हैं। वे फ़्लाइंग सिंह नाम से जाने वाले प्रसिद्द भारतीय धावक मिलखा सिंह के पुत्र हैं। उनकी माता निर्मल कौर भारत की महिला वॉलीबाल टीम की कप्तान रह चुकी हैं। 2006 में उन्होनें विश्व के श्रेष्ठ 100 गोल्फरों में अपनी जगह बनायी थी।

सम्मान

2007 में इन्हें भारत सरकार द्वारा भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया।

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