राजस्थान में मुख्य परिवहन (Major Transport in Rajasthan)

परिवहन माल, मनुष्य व संदेशों को एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जाने की प्रक्रिया परिवहन कहलाती है। राजस्थान में मुख्य रूप से 3 प्रकार का परिवहन है     सड़क     रेल     वायु सड़क परिवहन राजस्थान में सर्वप्रथम राजकीय बस सेवा 1952 में टोंक में प्रारम्भ की गई। राज्य सरकार द्वारा 1994 में … Read more

राजस्थानी भाषा एवं बोलियां (Rajasthani Language & Dialects)

राजस्थानी भाषा एवं बोलियां राजस्थानी भाषा की उत्पति शौरसेनी गुर्जर अपभ्रंश से मानी जाती है। उपभ्रंश के मुख्यतः तीन रूप नागर, ब्राचड़ और उपनागर माने जाते हैं। नागर के अपभ्रंश से सन् 1000 ई. के लगभग राजस्थानी भाषा की उत्पति हुई। राजस्थानी एवं गुजराती का मिला-जूला रूप 16 वीं सदी के अंत तक चलता रहा। … Read more

राजस्थान के प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थल (Major cultural events of Rajasthan)

राजस्थान के प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थल 1. जवाहर कला केन्द्र-जयपुर स्थापना – 1993 ई. इस संस्था द्वारा सर्वाधिक सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। 2. जयपुर कत्थक केन्द्र-जयपुर स्थापना -1978 ई. 3. रविन्द्र मंच- जयपुर स्थापना -1963 ई. 4. राजस्थान संगीत संस्थान- जयपुर स्थापना 1950 ई. 5. पारसी रंग मंच – जयपुर स्थापना-1878 ई. … Read more

राजस्थान में लोकनाट्य (Folk dramas in Rajasthan)

राजस्थान में लोकनाट्य 1. रम्मत- होली के अवसर पर खेली जाती है। – ढोल व नगाडे। प्रसंग- चैमासा, लावणी, गणपति वंदना मूलस्थान- बीकानेर व जैसलमेर बीकानेर के पुष्करणा ब्राहा्रण तथा जैसलमेर की रावल जाति रम्मत में दक्ष मानी जाति है। प्रमुख रम्मते व उनके रचनाकार स्वतंत्र बावनी, मूमल व छेले तम्बोलन – तेज कवि (जैसलमेर) … Read more

राजस्थान में नृत्य (Rajasthani Dance – Folk Dances of Rajasthan)

राजस्थान में नृत्य नृत्य भी मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन है। यह एक सार्वभौम कला है, जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ है। बालक जन्म लेते ही रोकर अपने हाथ पैर मार कर अपनी भावाभिव्यक्ति करता है कि वह भूखा है- इन्हीं आंगिक -क्रियाओं से नृत्य की उत्पत्ति हुई है। यह कला देवी-देवताओं, … Read more

राजस्थान के दुर्ग एवं दर्शनिय स्थल (Fort and Monuments of Rajasthan)

राजस्थान के दुर्ग राजस्थान के राजपूतों के नगरों और प्रासदों का निर्माण पहाडि़यों में हुआ, क्योकि वहां शुत्रओं के विरूद्ध प्राकृतिक सुरक्षा के साधन थे। शुक्रनीति में दुर्गो की नौ श्रेणियों का वर्णन किया गया। एरण दूर्ग खाई, कांटों तथा कठौर पत्थरों से युक्त जहां पहुंचना कठिन हो जैसे – रणथम्भौर दुर्ग। पारिख दूर्ग जिसके … Read more

राजस्थान की जनजातियां (Tribes of Rajasthan)

राजस्थान की जनजातियां 1. मीणा निवास स्थान- जयपुर के आस-पास का क्षेत्र/पूर्वी क्षेत्र “मीणा” का शाब्दिक अर्थ मछली है। “मीणा” मीन धातु से बना है। मीणा जनजाति के गुरू आचार्य मुनि मगन सागर है। मीणा पुराण- आचार्य मुनि मगन सागर द्वारा रचित मीणा जनजाति का प्रमुख ग्रन्थ है। जनजातियों में सर्वाधिक जनसंख्या वाली जनजाति है। … Read more

राजस्थानी वेशभूषा (Traditional Rajasthani Dresses For Men And Women)

वेशभूषा वेशभूषा शरीर को ढ़कने के साथ-साथ उस क्षेत्र की संस्कृति को भी प्रदर्शित करती है। वेशभूषा किसी क्षेत्र विशेष की भौगोलिक और सामाजिक स्थित पर निर्भर करती है। जैसे ठण्ड वाले क्षेत्र में की वेशभूषा गर्म क्षेत्रों से अलग होती है। वहीं शहरी लोगों की वेशभूषा ग्रामीण लोगों से अलग होती है। राजस्थान में … Read more

राजस्थानी आभूषण (Rajasthani ornaments)

आभूषण आभूषण सौन्दर्य को बढ़ाने का काम करते हैं। हर मनुष्य सुंदर दिखना चहता है, और राजस्थान के निवासी भी इस मामले में पीछे नहीं है। कालीबंगा तथा आहड़ सभ्यता के युग की स्रियाँ मृणमय तथा चमकीले पत्थरों की मणियों के आभूषण पहनती थीं। कुछ शुंगकालीन मिट्टी के खिलौनों तथा फलकों से पता चलता है … Read more

राजस्थानी रीति -रिवाज ( Customs & Traditions of Rajasthan)

रीति -रिवाज     गर्भाधान     पुंसवन- पुत्र प्राप्ति हेतू     सिमन्तोउन्नयन- माता व गर्भरथ शिशु की अविकारी शक्तियों से रक्षा करने के लिए।     जातकर्म     नामकरण     निष्कर्मण- शिशु को जन्म के बाद पहली बार घर से बाहर ले जाने के लिए।     अन्नप्रसान्न- पहली बार अन्न खिलाने पर (बच्चे को)     जडुला/ चुडाकर्म … Read more

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