
रानीजी की बावड़ी (बूंदी) I रानीजी की बावड़ी का इतिहास क्या है? बावड़ी का निर्माण
देश के पर्यटन मानचित्र पर स्थित दर्शनीय स्थलों में राजस्थान की ऐतिहासिक एवं पर्यटन नगरी बूंदी का नाम जाना-पहचाना है। हाड़ौती की जन्म स्थली जैसे उपनामों से विख्यात बूंदी को बावड़ियों का शहर ‘सिटी ऑफ स्टेप वेल्स’ भी कहा जाता है।
रानी जी की बावड़ी का निर्माण किसने करवाया?
‘क्वीन स्टैपवैल, (रानी जी की बावड़ी) सन् 1699 में बूंदी के शासक राव राजा अनिरूद्ध सिंह जी की छोटी रानी नाथावती जी द्वारा बनवाई गई थी। यह बावड़ी स्थापत्य कला की बेजोड़ मिसाल है।
इस बावड़ी का मुख्य द्वार, आमन्त्रण देता प्रतीत होता है। बहुमंजिला बावड़ी के तोरणद्वार पर गजराज के उत्कृष्ट नक्काशीदार अंकन हैं, जिसमें उनकी सूंड को अन्दर की ओर मोड़ा गया है, जिससे ऐसा आभास होता है मानो हाथी बावड़ी से पानी पी रहा है।
बावड़ी में खम्बों पर बने तोरण द्वार, उन पर रखी हाथी की मूर्तियां और पत्थरों पर उकेरे गए भगवान के दशावतार व नवगृह की मूर्तियां दर्शकों को मुग्ध कर देती हैं।
बावड़ी के ऊपर चार छतरियां बनी हैं। इस बावड़ी की गणना एशिया की सर्वाधिक खूबसूरत बावड़ियों में की जाती है। यह बावड़ी अच्छी हालत में हैं तथा पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारकों की श्रेणी में सम्मिलित है।
रानीजी की बावड़ी में तीन प्रवेश द्वार हैं। ऊपर से नीचे तक 135 सोपान हैं। बावड़ी की गहराई 110 फीट लम्बाई 240 फीट तथा चौड़ाई 76 फीट है। बावड़ी का प्रस्तर शिल्प अनुपम है, जो देखते ही बनता है। देशी-विदेशी पर्यटक रानीजी की बावड़ी देखे बिना बूंदी की यात्रा अधूरी मानते हैं।
रानी जी की बावड़ी कहां स्थित है?
रानी जी की बावड़ी राजस्थान राज्य के बूंदी शहर में स्थित है।