ग्राम सभा क्या है?ग्राम सभा के कार्य एवं ग्राम सभा का आयोजन: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम में ग्राम सभा के गठन के बारे में प्रावधान का उल्लेख किया गया है। ग्राम सभा पंचायतीराज व्यवस्था का प्राथमिक, सबसे बड़ा तथा स्थायी निकाय है।
ग्राम सभा क्या है?ग्राम सभा के कार्य एवं ग्राम सभा का आयोजन
ग्राम सभा के कार्य एवं ग्राम सभा का आयोजन
ग्राम सभा का प्रावधान
- संवैधानिक प्रावधान – अनुच्छेद 243 (क)
- ग्राम सभा पंचायतीराज व्यवस्था का प्राथमिक, सबसे बड़ा तथा स्थायी निकाय है।
सदस्य – ग्राम पंचायत के समस्त वयस्क निवासी जो मतदाता सूची में पंजीकृत हो।
ग्राम सभा की बैठक
राज्य पंचायतीराज अधिनियम के अनुसार न्यूनतम 2 बैठके प्रतिवर्ष अवश्य होनी चाहिए। इस बारे में सदस्यों को सूचना बैठक से 15 दिन पूर्व नोटिस से देनी होती है। ग्राम सभा की बैठक को बुलाने का अधिकार ग्राम प्रधान को है।
- राजस्थान में 4 बैठके – 26 जनवरी, 1 मई (मजदूर दिवस), 15 अगस्त, 2 अक्टूबर
- ग्राम पंचायत को अपनी सुविधानुसार अन्य तारीखों पर भी ग्राम सभा की बैठकों को आयोजित करने का अधिकार है।
स्थान – सभी के बैठने हेतु सुविधाजनक स्थान हो, पंचायत में यदि एकाधिक गाँव हो तो रोटेशन आधार पर सभी गाँवों में आयोजित की जाएगी।
समय – सूर्योदय के बाद से सूर्यास्त होने तक दिन के किसी भी समय किया जा सकता है।
ग्राम सभा का आयोजन
- सरपंच के अनुमोदन के बाद पंचायत सचिव ग्राम सभा की तिथि सुनिश्चित करता है।
- ग्राम सभा के 10% सदस्यों द्वारा अथवा ग्राम सभा के 50 व्यक्तियों (जो भी अधिक हो) द्वारा ग्राम सभा के आयोजन हेतु अनुरोध किए जाने पर ग्राम पंचायत का सरपंच ग्रामसभा की बैठक बुलाता है। हालांकि उन सदस्यों को बैठक उद्देश्य की जानकारी देनी होती है।
- बैठक की तारीख से 5 दिन पहले सरपंच के पास एक लिखित अनुरोध सौंपना पड़ता है।
- जिस तारीख के लिए अनुरोध किया गया है यदि उस तारीख को सरपंच बैठक आयोजित कराने में विफल रहता है तो बैठक के लिए अनुरोध करने वाले सदस्य स्वयं ही ग्राम सभा की बैठक आयोजित कर सकते हैं।
ग्राम सभा के कार्य –
- ग्रामीण विकास कार्यों में सहायता करना।
- विकास संबंधित कार्यों की रूपरेखा बनाना तथा उन्हें लागू करना।
- कल्याण और विकास योजनाओं व कार्यक्रमों के लिए लाभार्थियों की पहचान कर उनके चयन के लिए ग्राम पंचायत को प्रेषित करना।
- ग्राम पंचायत के सदस्यों से पंचायत के कार्यों, कल्याणकारी योजनाओं, आमदनी और खर्चों के बारे में जानकारी लेना।
- निगरानी समिति बनाना, उसकी रिपोर्ट पर विचार विमर्श करना और उसके लिए सिफारिश करना।
- जनशिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण कार्यक्रमों में सभी तरह के योगदान देना।
- ग्राम पंचायत के वार्षिक लेखा विवरण, पिछले वित्तीय वर्ष की प्रशासन रिपोर्ट, वित्तीय वर्ष के बजट पर चर्चा करना।
- सामाजिक अंकेक्षण ।