राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में पूरा हुआ। राजस्थान का एकीकरण 18 मार्च 1948 से शुरू होकर 1 नवंबर 1956 को पूरा हुआ।
Rajasthan ka Ekikaran in Hindi | राजस्थान का एकीकरण कब हुआ
Rajasthan ka Ekikaran in Hindi: आज के आर्टिकल में हम राजस्थान का एकीकरण (Rajasthan ka Ekikaran) के बारे में जानेंगे। आज का हमारा यह आर्टिकल RPSC, RSMSSB, REET, SI, Rajasthan Police, एवं अन्य परीक्षाओं की दृष्टि से अतिमहत्वपुर्ण है। राजस्थान का एकीकरण (Rajasthan ka Ekikaran) से सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी यहाँ दी गई है।
राजस्थान के एकीकरण का श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को दिया जाता है। राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में पूरा हुआ। राजस्थान का एकीकरण 18 मार्च 1948 से शुरू होकर 1 नवंबर 1956 को पूरा हुआ। राजस्थान के एकीकरण में 8 वर्ष 7 माह 14 दिन का समय लगा।
आजादी के समय राजस्थान में कुल 19 रियासते 3 ठिकाने और एक केंद्र शासित प्रदेश अजमेर-मेरवाड़ा था।
राजस्थान के ठिकाने व शासक
ठिकाना | शासक |
लावा (जयपुर) | बंस प्रदीप सिंह |
कुशलगढ़ (बांसवाड़ा) | राव हरेन्द्र सिंह |
नीमराना(अलवर) | राव राजेन्द्र सिंह |
राजस्थान एकीकरण के समय लावा ठिकाना जयपुर मे था जबकि वर्तमान में लावा ठिकाना टोंक जिले में स्थित हैं । क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा ठिकाना कुशलगढ़ था। क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा ठिकाना लावा (जयपुर) था।
केंद्र शासित प्रदेश अजमेर-मेरवाड़ा
अजमेर -मेरवाड़ा की अलग से विघानसभा थी। जिसे धारा सभा के नाम से जाना जाता था। इस विघानसभा में कुल 30 सदस्य थे। अजमेर-मेरवाडा ‘सी’ श्रेणी का राज्य था। अजमेर-मेरवाड़ा का प्रथम व एकमात्र मुख्यमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय था।
एकीकरण के समय राजस्थान की रियासते व शासक
रियासत | शासक |
अलवर | तेजसिंह |
भरतपुर | ब्रजेन्द्र सिंह |
धौलपुर | उदयभान सिंह |
करौली | गणेशपाल वासुदेव |
डुंगरपुर | लक्ष्मण सिंह |
प्रतापगढ़ | रामसिंह |
शाहपुरा | सुदर्शन देव |
बांसवाडा | चंद्रवीर सिंह |
किशनगढ़ | सुमेरसिंह |
टोंक | सआदत अली खान |
बुंदी | बहादुर सिंह |
कोटा | भीमसिंह |
झालावाड़ | हरीश चंद्र |
उदयपुर | भूपाल सिंह |
जयपुर | मानसिंह II |
जोधपुर | हनुवंत सिंह |
जैसलमेर | जवाहर सिंह |
बीकानेर | शार्दुल सिंह |
सिरोही | तेजसिंह |
1945 में ब्रिटेन में क्लीमेंट एटली के नेतृत्व में लेबर पार्टी की सरकार बनीं। इससे पहले चर्चिल (कंजरवेटिव पार्टी) की सरकार थी।
भारत के एकीकरण के समय कुल 565 रियासते थी। भारत में एकीकरण के विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली 562 रियासतें थी। कश्मीर, हैदराबाद व जूनागढ़ (गुजरात) रियासतों ने एकीकरण विलय पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए।
- भारत की क्षेत्रफल में सबसे बड़ी रियासत हैदराबाद थी। व क्षेत्रफल में सबसे छोटी रियासत बिलवारी (मध्यप्रदेश) थी।
- राजस्थान की क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी रियासत जोधपुर(मारवाड) व क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटी रियासत शाहपुरा थी।
- राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत उदयपुर/मेवाड़ व सबसे नवीन रियासत झालावाड़ थी।
- राजस्थान की जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ी रियासत जयपुर व जनसंख्या की दृष्टि से सबसे छोटी रियासत शाहपुरा थी।
- एकीकरण के समय भारत में दो मुस्लिम रियासतें थी। टोंक (राजस्थान) व पालनपुर (गुजरात)
- राजस्थान की एकमात्र मुस्लिम रियासत टोंक थी। राजस्थान में भरतपुर व धौलपुर दो जाट रियासतें थी।
एकीकरण के समय राजस्थान में चार राजनीतिक एजेंसियाँ थी
- जयपुर राजपूताना स्टेट एजेन्सी जयपुर
- राजस्थान राजपूताना स्टेट एजेन्सी कोटा
- पश्चिमी राजपूताना स्टेट एजेन्सी जोधपुर
- दक्षिण/मेवाड राजपूताना स्टेट एजेन्सी उदयपुर
एजेन्ट टू गवर्नर जनरल (ए.जी.जी.)
एजेन्ट टू गर्वनर जनरल का संस्थापक विलियम बैंटिक को माना जाता है। विलियम बैंटिक ने 1832 में राजपूताना प्रेजीडेन्सी नामक संस्था की स्थापना की, जिसका प्रमुख नियंत्रण अधिकारी एजेन्ट टू गवर्नर जनरल था। और इसका मुख्यालय अजमेर में रखा गया ।
- प्रथम ए.जी.जी॰ मिस्टर हेनरी लॉकेट को बनाया गया।
- ए॰जी॰जी. का मुख्यालय 1845 ई. में अजमेर से बदलकर माउंट आबू (सिरोही) में रखा गया।
- 1857 ई. की क्रांति के समय ए॰जी.जी. का मुख्यालय माउण्ट आबू में था तथा पैट्रिक लॉरेन्स ए जी जी. था । ए.जी.जी॰ का प्रमुख कार्य रियासतों पर निगरानी रखना था ।
राजस्थान एकीकरण के 7 चरण
प्रथम चरण: मतस्य संघ – 18 मार्च, 1948
मतस्य संघ- 4 रियासते+1 ठिकाना
- अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर (A,B,C,D) + नीमराणा(अलवर) ठिकाना
- कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (के.एम.मुन्शी) की सिफारिश पर प्रथम चरण का नाम मतस्य संघ रखा गया। मतस्य संघ की राजधानी अलवर को बनाया गया।
- धौलपुर के शासक उदयभान सिंह को मतस्य संघ का राजप्रमुख तथा गणेशपाल देव (करौली) को उपराज प्रमुख बनाया गया।
- शोभाराम कुमावत (अलवर) को मतस्य संघ का प्रधानमंत्री तथा जुगल किशोर चतुर्वेदी व गोपीलाल यादव को उपप्रधानमंत्री बनाया गया।
उद्घाटनकर्ता – एन. वी. गाॅडगिल (नरहरी विष्णु गॉडगिल) को बनाया गया।
मत्स्य संघ के बनने में युगल किशोर चतुर्वेदी का अत्यधिक सहयोग रहा । युगल किशोर चतुर्वेदी को दूसरा जवाहरलाल नेहरू के उपनाम से जाना जाता है ।
मत्स्य संघ का उद्घाटन 17 मार्च, 1948 ई. को होने वाला था किन्तु भरतपुर शासक के छोटे भाई जाट नेता देशराज ने इस संघ को जाट विरोधी बताया और जाटों से संघ का निर्माण रोकने के लिए आह्वान किया, इसके फलस्वरूप जाटों का एक प्रतिनिधि इस संघ में शामिल किया गया और तभी 18 मार्च , 1948 ई. को इस संघ का उद्घाटन हो सका । मत्स्य संघ का विधिवत् उद्घाटन 18 मार्च, 1948 ई. को एन वी. गॉडगिल (नरहरि विष्णु गॉडगिल) के द्वारा लौहागढ़ दुर्ग (भरतपुर) में किया गया मत्स्य संघ की जनसंख्या 18.38 लाख एवं वार्षिक आय 184 लाख रुपए थी । |
दुसरा चरण: पूर्व राजस्थान – 25 मार्च 1948
पूर्व राजस्थान- 9 रियासतें + 1 ठिकाना
रियासत याद रखने की शोर्ट ट्रिक – बाबू झाडू किको प्रशाटो
बांसवाडा, बुंदी, झालावाड़, डुंगरपुर, किशनगढ़, कोटा, प्रतापगढ़, शाहपुरा, टोंक, + कुशलगढ़ (बांसवाड़ा) ठिकाना।
- राजधानी– कोटा
- राजप्रमुख– भीमसिंह (कोटा)
- उपराज प्रमुख– महारावल लक्ष्मण सिंह (डूंगरपुर)
- प्रधानमंत्री– गोकुल लाल असावा (शाहपुरा)
- उद्घाटनकर्ता – एन. वी. गाॅडगिल (नरहरी विष्णु गॉडगिल) को बनाया गया।
पूर्व राजस्थान संघ की जनसंख्या लगभग 2305 लाख एवं वार्षिक आय 200 करोड़ रुपए से अधिक थी ।
NOTE: बांसवाड़ा के शासक चन्द्रवीर सिंह ने एकीकरण विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते समय कहा था कि ‘में अपने डेथ वारन्ट पर हस्ताक्षर कर रहा हुँ।’
तीसरा चरण: संयुक्त राजस्थान – 18 अप्रैल, 1948
संयुक्त राजस्थान- पूर्व राजस्थान + उदयपुर (10 रियासतें + 1 ठिकाना)
- राजधानी– उदयपुर को बनाया गया।
- राजप्रमुख- भोपालसिंह (उदयपुर) को बनाया गया।
- उपराजप्रमुख– भीमसिंह (कोटा) को बनाया गया।
- प्रधानमंत्री- माणिक्यलाल वर्मा को बनाया गया।
- सिफारिश – पंडित जवाहरलाल नेहरू की सिफारिश पर माणिक्यलाल वर्मा को संयुक्त राजस्थान का प्रधानमंत्री बनाया गया।
- उद्घाटन कर्ता– पं. जवाहरलाल नेहरू को बनाया गया।
एकीकरण के समय एकमात्र अपाहिज व्यक्ति राजा भोपालसिंह था।
संयुक्त राजस्थान संघ का क्षेत्रफल 29,777 वर्ग मील, जनसंख्या 42 ,60,918 तथा वार्षिक आय 3,016 करोड़ रुपये थी ।
मेवाड़ के महाराजा ने राजस्थान की सभी रियासतों को मिलाकर ‘राजस्थान यूनियन ‘ का गठन करने हेतु 25-26 जून ,1946 को उदयपुर में राजपुताना , गुजरात एंव मालवा के नरेशों का सम्मेलन बुलाया। उनका राजस्थान यूनियन के गठन का प्रयास असफल रहा। जब मेवाड के महाराणा भूपालसिंह ने राजस्थान संघ में शालि होने से मना कर दिया तो श्री माणिक्य लाल वर्मा ने मेवाड के महाराणा का विरोध करते हुए कहा कि ‘ मेवाड़ की बीस लाख जनता के भाग्य का फैसला अकेले महाराणा और उनके प्रधानमंत्री सर राममूर्ति नहीं कर सकते इससे मेवाड में महाराणा के विरोध में पूरी जनता उतर आई । इससे बचने के लिए 23 मार्च, 1948 ई. को मेवाड के महाराणा ने वी पी. मेनन के पास उसके प्रधानमंत्री सर राममूर्ति को तीन माँगों के साथ भेजा और पूर्व राजस्थान संघ के उद्धाटन की तारीख को 25 मार्च से आगे बढ़ाने का आग्रह किया । |
मेवाड़ के महाराणा भूपालसिंह की तीन शर्ते –
- मेवाड के महाराणा को संयुक्त राजस्थान संघ का वंशानुगत राजप्रमुख बनाया जाए
- उदयपुर को इस संयुक्त राजस्थान संघ की राजधानी बनाई जाए ।
- मेवाड के महाराणा को 20 लाख रुपया वार्षिक प्री. वी. पर्स दिया जाए ।
चौथा चरण: वृहद राजस्थान – 3० मार्च, 1949
वृहद राजस्थान– संयुक्त राजस्थान + जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर (JJJB) + लावा ठिकाना (14 रियासत + 2 ठिकाने)
राजधानी– जयपुर को बनाया गया।
सिफारिश – श्री पी. सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर जयपुर को राजधानी बनाया गया।
महाराज प्रमुख– भोपालसिंह (मेवाड) को बनाया गया।
राजप्रमुख– मानसिंह द्वितीय (जयपुर) को बनाया गया।
उपराजप्रमुख– भीमसिंह (कोटा) को बनाया गया।
प्रधानमंत्री– हीरालाल शास्त्री ( जयपुर) को बनाया गया।
उद्घाटनकर्ता – सरदार वल्लभ भाई पटेल को बनाया गया।
इस चरण में 5 विभाग बनाये गये जो निम्न है।
- खनिज विभाग– उदयपुर
- शिक्षा का विभाग– बीकानेर
- वन विभाग– कोटा
- न्याय का विभाग– जोधपुर
- कृषि विभाग– भरतपुर
पांचवा चरण: संयुक्त वृहद् राजस्थान – 15 मई, 1949
- संयुक्त वृहद् राजस्थान – वृहद राजस्थान + सत्स्य संघ
- सिफारिश- शंकरादेव समिति की सिफारिश पर मत्स्य संघ को वृहद राजस्थान में मिलाया गया।
- राजधानी- जयपुर को बनाया गया।
- महाराज प्रमुख- भूपालसिंह (मेवाड) को बनाया गया।
- राजप्रमुख– मान सिंह द्वितीय (जयपुर) को बनाया गया।
- प्रधानमंत्री- हीरालाल शास्त्री को बनाया गया।
- उद्घाटनकर्ता– सरदार वल्लभभाई पटेल को बनाया गया।
मत्स्य संघ को राजस्थान में मिलाने के लिए शंकर देवराय, हिम्मत सिंह, आर.के माधव एवं प्रभुदयाल का महत्वपूर्ण सहयोग रहा । |
छठा चरण: राजस्थान संघ – 26 जनवरी, 1950
राजस्थान संघ– वृहतर राजस्थान + सिरोही – आबु दिलवाड़ा
राजधानी– जयपुर को बनाया गया।
महाराज प्रमुख– भूपालसिंह (मेवाड) को बनाया गया।
राजप्रमुख- मानसिंह द्वितीय को बनाया गया।
प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री– हीरालाल शास्त्री को बनाया गया।
सिरोही का राजस्थान संघ में विलय दो चरणों में पूर्ण हुआ
गोकुल भाई भट्ट ने माउण्ट आबू के राजस्थान में विलय में महत्वपूर्ण योगदान दिया ।
गोकुल भाई भट्ट का जन्म स्थान – हाथल गाँव (सिरोही)
राजस्थान का एकीकरण के समय भारत मुख्यत तीन श्रेणियों में विभाजित था।
A श्रेणी – वे राज्य जो पूर्व में प्रत्य्क्ष ब्रिटिश नियंत्रण में थे जैसे – बिहार, बंबई, मद्रास आदि इनके प्रमुख का पद गवर्नर का था।
बी श्रेणी – वे राज्य, जो स्वतंत्रता के बाद छोटी-बड़ी रियासतों के एकीकरण द्वारा बनाए गए थे ,जैसे -राजस्थान ,मध्य भारत आदि ।
C श्रेणी – ये वे छोटे छोटे राज्ये थे, जिन्हें ब्रिटिश काल में चीफ कमिश्नर के प्रान्त कहा जाता था। जैसे – अजमेर व दिल्ली
26 जनवरी, 1950 को राजपुताना का नाम बदलकर राजस्थान रख दिया। 26 जनवरी, 1950 को राजस्थान को ‘B’ या ‘ख’ श्रेणी का राज्य बनाया गया। |
सातंवा चरण: वर्तमान राजस्थान – 1 नवम्बर, 1956
- वर्तमान राजस्थान– राजस्थान संघ + आबु दिलवाड़ा + अजमेर मेरवाड़ा + सुनेल टपा – सिरोज क्षेत्र
- सिफारिश – राज्य पुनर्गठन आयोग (अध्यक्ष-फजल अली) की सिफारिश पर अजमेर मेरवाड़ा, आबू दिलवाडा व मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की मानपुर तहसील का सुनेल टप्पा को वर्तमान राजस्थान में मिलाया गया । राजस्थान के झालावाड़ का सिरोंज क्षेत्र मध्यप्रदेश में मिला दिया गया ।
- राज्यपाल- गुरूमुख निहाल सिंह को बनाया गया।
- मुख्यमंत्री- मोहनलाल सुखाडिया को बनाया गया।
राज्य पुर्नगठन आयोग: 22 दिसम्बर 1953 में न्यायाधीश फजल अली की अध्यक्षता में प्रथम राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन हुआ। इस आयोग के तीन सदस्य – न्यायमूर्ति फजल अली, हृदयनाथ कुंजरू और केएम पाणिक्कर थे। इस आयोग ने 30 दिसंबर 1955 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस आयोग ने राष्ट्रीय एकता, प्रशासनिक और वित्तीय व्यवहार्यता, आर्थिक विकास, अल्पसंख्यक हितों की रक्षा तथा भाषा को राज्यों के पुनर्गठन का आधार बनाया। जिसके बाद 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम संसद ने पास किया। इस अधिनियम के द्वारा अ, ब एवं स राज्यों के बीच के अंतर को समाप्त कर दिया गया तथा राजप्रमुख के पद को भी समाप्त कर राज्यपाल का नया पद सृजित किया गया । इस आयोग में राजस्थान से एकमात्र सदस्य हद्यनाथ किजरन था। |
एकीकरण से सम्बन्धी महत्वपूर्ण तथ्य
अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद् के राजपूताना प्रान्तीय सभा का अधिवेशन 9 सितम्बर, 1946 को हुआ । इसमे नेहरूजी के द्वारा राजस्थान शब्द का दूसरी बार 117 वर्ष बाद प्रयोग किया ।
अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद् का अध्यक्ष पण्डित जवाहर लाल नेहरू को बनाया गया।
- रियासती विभाग की स्थापना 5 जुलाई , 1947 ई. मे हुई ।
- रियासती विभाग का अध्यक्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल को बनाया गया
- रियासती विभाग का सदस्य सचिव वी पी. मेनन को बनाया गया ।
- वी पी. मेनन द्वारा लिखित पुस्तक द स्टोरी आँफ इंटीग्रेशन आँफ इंडियन स्टेटस है ।
राजस्थान की सबसे प्राचिन रियासत मेवाड़(उदयपुर) थी।
मेवाड़ रियासत की स्थापना 565 ई. में गुहिल के द्वारा की गई।
राजस्थान की सबसे नवीन रियासत झालावाड है। झालावाड़ को कोटा से अलग करके रियासत का दर्जा दिया गया और इसकी राजधानी पाटन रखी गयी। झालावाड़ अंग्रेजों के समय में स्थापित एकमात्र रियासत थी।
रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली प्रथम रियासत बीकानेर थी ।
बीकानेर के शासक सार्दुल सिंह के द्वारा 7 अगस्त 1947 ई. को सर्वप्रथम रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर किया था
रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली अंतिम रियासत धौलपुर थी ।
धौलपुर के शासक उदयभान सिंह के द्वारा 14 अगस्त 1947 को रियासती विलय पत्र पर हस्ताक्षर किया
प्रिवीपर्स को चौथी पंचवर्षीय योजना में समात कर दिया गया ।
एकीकरण के समय सर्वाधिक धरोहर राशि(पोते बाकि) जमा करवाने वाली रियासत बीकानेर थी।इसने 4 करोड़ 87 लाख की धरोहर राशि जमा करवाई।
अंग्रेजों के साथ संधि करने वाली राजस्थान की प्रथम रियासत- करौली (15 नवंम्बर, 1817 में)
अंग्रेजों के साथ संधि करने वाली राजस्थान की द्वितीय रियासत- कोटा (दिसम्बंर, 1817 में)
अंग्र्रेजों के साथ संधि करने वाली राजस्थान की अन्तिम रियासत- सिरोही (सितंम्बर, 1823 में)
शिकार एक्ट घोसित करने वाली राजस्थान की प्रथम रियासत-टोंक (1901 में)
डाक टिकट व पोस्टकार्ड जारी करने वाली प्रथम रियासत- जयपुर(1904 में)
जयपुर में माधोसिंग द्वितीय के द्वारा डाक टिकट व पोस्टकार्ड जारी किये गये।
वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए कानुन बनाने वाली प्रथम रियासत-जोधपुर(1910 में)
वन्य अधिनियम पारित करने वाली प्रथम रियासत- अलवर 1935 में
शिक्षा पर प्रतिबन्ध लगाने वाली प्रथम रियासत- डुंगरपुर
जनतांत्रिक व पूर्ण उत्तरदायी शासक की स्थापना करने वाली प्रथम रियासत- शाहपुरा
जनतांत्रिक व पूर्ण उत्तरदायी शासक की स्थापना न करने वाली रियासत-जैसलमेर
जैसलमेर रियासत को राजस्थान का अण्डमान कहा जाता है।यह सबसे पिछड़ी रियासत थी। इस रियासत ने 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग नहीं लिया था।
रियासती विभाग ने 6-8 अगस्त, 1945 ई. मे श्रीनगर में हुई बैठक में यह घोषणा कर दी गयी थी कि जिस रियासत की जनसंख्या 10 लाख व वार्षिक आय एक करोड़ रूपये हो वो रियासत चाहे तो स्वतंत्र रह सकती है। या किसी में मिल सकती है।
उपर्युक्त शर्त को पुरा करने वाली राजस्थान की रियासतें – बीकानेर, जोधपुर, जयपुर,उदयपुर।
एकीकरण के समय वे रियासतें जो राजस्थान में नहीं मिलना चाहती थीं
अलवर, भरतपुर, धौलपुर, डुंगरपुर, टोंक व जोधपुर ये रियासतें राजस्थान में नही मिलना चाहती थी।
टोंक व जोधपुर रियासतें एकीकरण के समय पाकिस्तान में मिलना चाहती है।
जोधपुर के महाराजा हनुवंत सिंह जिन्ना से मिलने के लिए दिल्ली गए। वीपी. मेनन हनुवंत सिंह को दिल्ली में बहाने से वायसराय भवन में माउंटबेटन के पास ले गए । जहाँ मजबूरन हनुवंत सिंह को राजस्थान के विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने पड़े
अलवर रियासत के शासक तेजसिंह के दीवान नारायण भास्कर खरे ने महात्मा गाँधी की हत्या के कुछ दिन पूर्व नाथूराम गोडसे व उसके सहयोगी परचुरे को अलवर में शरण दी थी ।
अलवर रियासत का सम्बंध महात्मा गांधी की हत्या से जुडा हुआ है महात्मा गांधी की हत्या के संदेह में अलवर के शासक तेजसिंह व दीवान एम.बी. खरे को दिल्ली में नजर बंद करके रखा था।
- अलवर रियासत ने भारत का प्रथम स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया।
अलवर, भरतपुर व धौलपुर रियासतें एकीकरण के समय भाषायी समानता के आधार पर उत्तरप्रदेश में मिलना चाहती थी।
रियासती विभाग ने भरतपुर और धौलपुर रियासत की जनता की राय जानने के लिए डॉ. शंकरदेव राय समिति का गठन किया गया । इस समिति में दो सदस्य श्री प्रभुदयाल व श्री आर. के. सिंघावा को नियुक्त किया गया ।
इस समिति के दो सदस्यों ने दो राज्यों का दौरा कर वहाँ की जनता की रास जानकर अपनी रिपोर्ट तैयार की जिसमें लिखा था कि दोनों रियासतों की अधिकांश जनता बृहद् राजस्थान में मिलने के पक्ष में हैं ।
कोटा महाराव भीमसिंह कोटा, बूंदी और झालावाड राज्यों को मिलाकर हाड़ौती संघ बनाना चाहते थे।
- राजस्थान अपने वर्तमान स्वरूप में 1 नवम्बर 1956 को आया ।
- 1 नवम्बर को प्रत्येक वर्ष राजस्थान स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
- 30 मार्च को प्रत्येक वर्ष राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
- 1 नवम्बर 1956 को राजस्थान में 26 जिले थे
महत्वपूर्ण तथ्य राजस्थान के एकीकरण का श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को दिया जाता है।पटेल की तुलना जर्मनी के एकीकरण के सूत्रधार बिस्मार्क से की जाती है। ना बिस्मार्क ने कभी मूल्यों से समझौता किया और ना सरदार पटेल ने। बारडोली सत्याग्रह (गुजरात) 1928 में उस समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में तीस प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी । पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया। इस आन्दोलन की सफलता के बाद वहाँ की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की वडोदरा के पास नर्मदा जिले में स्थित सरदार सरोवर के केवाड़िया कॉलोनी गांव में सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची मूर्ति(विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) तैयार है। |
राजस्थान एकीकरण FAQs
राजस्थान का एकीकरण कितने चरणों में हुआ?
राजस्थान का एकीकरण 7 चरणों में पूरा हुआ।
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