राजस्थान के प्रमुख मृगवन: नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट में आप राजस्थान के प्रमुख मृगवन के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।
राजस्थान में मृगवन : Rajasthan Me Mrigvan
वन्य जीवों के संरक्षण हेतु राजस्थान में एक नवीन कदम हिरण (मृग) के लिये ‘मृगवन’ क्षेत्र निर्धारित किया गया है। जो मृगों (चिंकारा,चीतल) को एक सीमबद्ध प्राकृतिक क्षेत्र में रखा जाता है उसे मृगवन के रूप में जाना जाता है। राजस्थान में मृगवन हैबिटेट सुधार हेतु कार्य के समग्र विकास के लिए एक योजना तैयार कर काले हिरणों हेतु प्रसिद्ध तालछापर अभयारण्य को विकसित किया गया है। राजस्थान में 7 मृगवन है।
पुष्कर मृगवन
- सन् 1985 में ऐतिहासिक, धार्मिक और पवित्र तीर्थस्थल पुष्कर के पास प्राचीन पचंकुण्ड के आसपास पहाड़ी क्षेत्र में यह मृगवन विकसित किया गया है। इसमें मृग, चिंकारा, नीलगाय एवं खरगोश प्रमुख रूप से रहते है।
अशोक विहार मगृवन
- जयपुर शहर के हृदय स्थल सचिवालय के पीछे अशोक विहार के बीच 12 हैक्टेयर के एक भूखण्ड को अशोक विहार मृगवन के नाम से 1985 में विकसित किया गया है। इसके पास ही 7500 वर्ग मीटर में एक और क्षेत्र विकसित किया गया है। इसमें 24 हिरण तथा 8 चिंकारा संरक्षण हेतु छोडे़ गए है।
माचिया सफारी पार्क
- जोधपुर से 5 किमी दूर कायलाना झील के पास यह 1985 में शुरू किया गया था। इसका क्षेत्रफल 600 हैक्टेयर में फैला है। इस सफारी पार्क में एक पुराना ऐतिहासिक माचिया दुर्ग, प्राचीन भवन भी विद्यमान है। यहाँ भेड़िया, लंगूर, सेही, खरगोश मरू बिल्ली, नीलगाय, काला हिरण, चिंकारा नामक वन्य जीव तथा अनेक पक्षी देखे जा सकते हैं।
चित्तौड़गढ़ मृगवन
- चित्तौड़गढ़ दुर्ग के दक्षिणी छोर की प्राचीर के सहारे स्थित इस मृगवन की स्थापना 1969 में की गयी थी, इसमें खरगोश, नीलगाय, चीतल, चिंकारा एवं काला हिरण आदि वन्य जीव पाये जाते है। दो स्थानों पर पानी भरने हेतु जलाशय भी बनाये गये है।
संजय उद्यान मृगवन
- यह उद्यान राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर शाहपुरा (जयपुर) के निकट पर लगभग 10 हैक्टेयर क्षेत्रफल में विकसित किया गया है। इस उद्यान में पर्यावरण संरक्षण की जानकारी देने हेतु ग्रामीण चेतना केन्द्र के रूप में विकसित किया गया है। इसमें चिंकारा, नीलगाय, चीतल आदि वन्य जीव मिलते है।
सज्जनगढ़ मृगवन
- सन् 1984 में यह उदयपुर से 4 किलोमीटर दूर सज्जनगढ़ दुर्ग के पहाड़ी व तलहटी के 1.5 किलोमीटर क्षेत्र में मृग, चीतल, नीलगाय, चिंकारा व खरगोश के लिये यह मृगवन विकसीत किया गया है। इसमें भू एवं जल संरक्षण कार्य, पौधारोपण एंव बाड़बंदी कर प्राकृतिक क्षेत्रों को वन्य जीवों के उत्तम आवास के अनुरूप विकसित किया गया है।
अमृता देवी मृगवन
- जोधपुर के समीप खेजड़ली में काला हिरण, चिंकारा, मरू लोमड़ी हेतु प्रसिद्व मृगवन है।
राजस्थान में प्रमुख मृगवन
क्र.सं. | नाम | ज़िला |
1. | पुष्कर मृगवन | पंचकुंड (अजमेर) |
2. | अशोक विहार मृगवन | जयपुर नगर |
3. | माचिया सफारी पार्क | जोधपुर |
4. | चित्तौड़गढ़ दुर्ग मृगवन | चित्तौड़गढ़ |
5. | संजय उद्यान, शाहपुरा | जयपुर |
6. | सज्जनगढ़ मृगवन | उदयपुर |
7. | अमृतादेवी मृगवन | खेजड़ली (जोधपुर) |
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