राजस्थान के संत एवं सम्प्रदाय से संबंधित प्रश्न (MCQ): राजस्थान के संत एवं सम्प्रदाय से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी यहाँ पर उपलब्ध है। राजस्थान के संत एवं सम्प्रदाय से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न (MCQ) राजस्थान राज्य में होने वाली RPSC, RAS/RTS, College Lecturer, Rajasthan Police, Sub -Inspector विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
राजस्थान के प्रमुख संत एवं सम्प्रदाय Question
Q1. राजस्थान में नाथ सम्प्रदाय के प्रमुख केन्द्र हैं?
(A) जयपुर
(B) राताडुंगा पुष्कर
(C) जोधपुर
(D) 2 व 3 दोनों
Answer: D
व्याख्या: राजस्थान ने नाथ सम्प्रदाय के प्रमुख केंद्र पुष्कर और जोधपुर में है| नाथ संप्रदाय उत्तर-पश्चिमी भारत का एक धार्मिक पंथ है। इसके आराध्य शिव हैं। यह हठ योग की साधना पद्धती पर आधारित पंथ है। इसके संस्थापक गोरखनाथ माने जाते हैं| गोरखनाथ ने इस सम्प्रदाय के बिखराव और इस सम्प्रदाय की योग विद्याओं का एकत्रीकरण किया। भारत में नाथ संप्रदाय को सन्यासी, योगी, जोगी, उपाध्याय, बाबा, नाथ, अवधूत आदि नामों से जाना जाता है।
NOTE: जोधपुर के शासक मानसिंह नाथ सम्प्रदाय से प्रभावित थे। मानसिंह ने नाथ सम्प्रदाय के राधु आयस देव नाथ को अपना गुरू माना और जोधपुर में इस सम्प्रदाय का मुख्य मंदिर महामंदिर स्थापित करवाया। |
Q2. निम्न में से कौन सी रचना संत मीरां बाई की नहीं है?
(A) टीका राग गोविन्द
(B) रूक्मिणी मंगल
(C) दयाबोध
(D) नरसी मेहता की हुंडी
Answer: C
व्याख्या: दयाबोध तथा विनय मालिका ग्रन्थ की रचना संत दया बाई ने की थी। मीरां बाई की प्रमुख रचनाओं में ‘टीका राग गोविन्द’, ‘नरसी मेहता की हुंडी’, ‘रूक्मिणी मंगल’ आदि है। मीरां के निर्देशन में रतना खाती ने ‘नरसी जी रो मायरों’ की रचना ब्रज भाषा में की। |
Q3. निम्नलिखित में से ‘पुष्टिमार्ग’ के प्रतिपादक कौन थे?
(A) निम्बार्काचार्य
(B) रामानन्दाचार्य
(C) रामानुजाचार्य
(D) वल्लभाचार्य
Answer: D
वल्लभाचार्य:
- वल्लभाचार्य (1479-1531 ई.), जिन्हे वल्लभ के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय दार्शनिक थे जिन्होंने भारत के ब्रज क्षेत्र में वैष्णववाद के कृष्ण-केंद्रित पुष्टिमार्ग संप्रदाय और शुद्ध अद्वैत के दर्शन की स्थापना की।
- इसका अर्थ है “समृद्धि का तरीका”।
- उनका जन्म रायपुर के पास हुआ था [अब छत्तीसगढ़ राज्य, भारत में। वल्लभाचार्य, स्वयं विष्णुस्वामी द्वारा स्थापित रुद्र संप्रदाय के थे, और उनकी शुद्ध अद्वैतवाद (शुद्धाद्वैत) की दार्शनिक प्रणाली – यानी, भगवान और ब्रह्मांड की पहचान जो विष्णुस्वामी परंपरा का बारीकी से पालन करती है।
- वल्लभ ने कम उम्र से ही आध्यात्मिक और बौद्धिक मामलों में तत्परता दिखाई।
- उन्होंने 1493 में मथुरा, जो उनकी गतिविधियों का केंद्र बन गया, में अपने पहले शिष्य को दीक्षा दी हालांकि उन्होंने पूरे भारत में कई तीर्थयात्राएं कीं, भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति के अपने सिद्धांत का प्रचार किया।
- यह मथुरा के पास, गोवर्धन पर्वत की तलहटी में था, कि वल्लभ ने संप्रदाय की केंद्रीय भक्ति वस्तु की खोज की, कृष्ण की एक छवि जिसे श्री-नाथजी कहा जाता है।
Q4. नागलापीठ किस सम्प्रदाय से संबंधित है?
(A) लालदासी सम्प्रदाय
(B) नाथपीठ सम्प्रदाय
(C) दादू सम्प्रदाय
(D) विश्वनोई सम्प्रदाय
Answer: A
व्याख्या: लालदास जी का जन्म धोली धूव गांव अलवर में हुआ। लाल दास जी को ज्ञान की प्राप्ति तिजारा (अलवर), प्रधान पीठ – नगला जहाज (भरतपुर) में है। मेवात क्षेत्र का लोकप्रिय सम्प्रदाय है। |
Q5. रसिक संप्रदाय का प्रवर्तक कोन था?
(A) अचलदास
(B) अग्रदास
(C) ईसरदास
(D) गिरधरदास
Answer: B
व्याख्या: कृष्णदास जी पयहारी ने गलता (जयपुर) में रामानंदी सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ स्थापित की। कृष्णदास जी पयहारी के ही शिष्य अग्रदास जी ने रेवासा ग्राम (सीकार) में अलग पीठ स्थापित की तथा रसिक सम्प्रदाय के नाम से अलग और नए सम्प्रदाय की शुरूआत की। |
Q6. राजस्थान में शैव धर्म की प्राचीनतम जानकारी कहां से प्राप्त होती है?
(A) हर्षनाथ प्रशस्ति
(B) औसियां का लेख
(C) सांडनाथ प्रशस्ति
(D) नाथ प्रशस्ति
Answer: D
Q7. ‘सिंभूदड़ा व कोंडा’ क्या हैं?
(A) स्थानकवासी की शाखाएं
(B) दरिया पंथ से सम्बन्धित स्थल
(C) विशेष यम-नियम के नाम
(D) संत जसनाथ से संबंधित ग्रन्थ
Answer: D
व्याख्या: इन ग्रंथों में संत जसनाथजी के उपदेशों का संग्रह मिलता है। जसनाथी सम्प्रदाय के प्रवर्तक जसनाथ जी है| इसकी प्रमुख पीठ: कतरियासर, बीकानेर में स्थित है |
Q8. परशुराम जी गौड़ ने किस सम्प्रदाय के विचारों के प्रचारार्थ ‘परशुराम-सागर’ नामक ग्रंथ की रचना की?
(A) गौड़ीय
(B) वल्लभ
(C) निम्बार्क
(D) वैष्णव
Answer: C
व्याख्या: निम्बार्क सम्प्रदाय- संस्थापक –निम्बार्काचार्य निम्बार्क सम्प्रदाय, बैरागियों के चार सम्प्रदायों में अत्यन्त प्राचीन सम्प्रदाय है। इस सम्प्रदाय को हंस सम्प्रदाय, कुमार सम्प्रदाय और सनकादि सम्प्रदाय भी कहते हैं। इस सम्प्रदाय का सिद्धान्त द्वैताद्वैतवाद कहलाता है। इसी को भेदाभेदवाद भी कहा जाता है। इस सम्प्रदाय का प्राचीन मन्दिर मथुरा में ध्रुव टीले पर स्थित बताया जाता है। |
Q10. भृर्तहरि की गुफा राजस्थान में कहां स्थित है?
(A) बघेरा गांव अजमेर
(B) सरवाड अजमेर
(C) ब्यावर अजमेर
(D) सावर अजमेर
Answer: A
व्याख्या: भर्तृहरि की गुफा राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है| भर्तृहरि एक महान संस्कृत कवि थे। संस्कृत साहित्य के इतिहास में भर्तृहरि एक नीतिकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनके शतकत्रय (नीतिशतक, शृंगारशतक, वैराग्यशतक) की उपदेशात्मक कहानियाँ भारतीय जनमानस को विशेष रूप से प्रभावित करती हैं। प्रत्येक शतक में सौ-सौ श्लोक हैं। बाद में इन्होंने गुरु गोरखनाथ के शिष्य बनकर वैराग्य धारण कर लिया था इसलिये इनका एक लोकप्रचलित नाम बाबा भरथरी भी है। |