सहरिया जनजाति (Sahariya Janjati)

सहरिया जनजाति (Sahariya Janjati): सहरिया शब्द पारसी के ‘सहर‘ शब्द से बना है, जिसका अर्थ ‘जंगल’ होता है। यह राजस्थान राज्य की एक मात्र आदिम जाति है। जिसे भारत सरकार ने आदिम जनजाति समूह (पी.टी.जी) में शामिल किया है सहरिया जनजाति राजस्थान, मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, ग्वालियर और शिवपुरी में पायी जाती है।

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सहरिया जनजाति

Sahariya Janjati Rajasthan

कर्नल जेम्स टॉड ने अपनी पुस्तक ‘Travels in Western India’ में सहरिया जनजाति को भीलों की एक शाखा माना है। सहरिया जनजाति राजस्थान में बांरा जिले की किशनगंज एवं शाहबाद तहसीलों में निवास करती है। उक्त दोनों ही तहसीलों के क्षेत्रों को सहरिया क्षेत्र में सम्मिलित कर सहरिया वर्ग के विकास के लिये सहरिया विकास समिति का गठन किया गया है। क्षेत्र की कुल जनसंखया 2.73 लाख है जिसमें से सहरिया क्षेत्र की अनुसूचित जनजाति की जनसंखया 1.02 लाख है जो क्षेत्र की कुल जनसंखया का 37.44 प्रतिशत है।

  • प्रिय कुलदेवता – तेजाजी
  • सहरिया जनजाति की कुल देवी – कोडिया देवी
  • इष्टगुरु – ऋषि वाल्मीकि

सहरिया जनजाति से जुड़े कुछ शब्द :

  • सहराना – सहरिया जनजाति की बस्ती।
  • सहरोल – इस जनजाति के गांव।
  • टापरी – इनके मिट्टी, पत्थर, लकडी और घासफूस के बने घर।
  • थोक – एक गाँव के लोगों के घरों के समूह।
  • टोपा (गोपना, कोरूआ) – घने जंगलों में पेड़ों या बल्लियों पर बनाई गई मचाननुमा झोपड़ी।
  • कोतवाल – सहरिया जनजाति का मुखिया।
  • फला – सहरिया जनजातियों के गाँव की सबसे छोटी इकाई।
  • कुसिला – अनाज संग्रह हेतु मिट्टी से बनाई गई छोटी कोठियां।
  • भंडेरी – आटा संग्रह करने का पात्र।
  • हथाई या बंगला – सहरिया समाज की सामुदायिक सम्पति के रूप में सहराना के बीच में एक छतरीनमा गोल या चौकोर झोपडी या ढालिया बनाया जाता है। जिसमे पंचायत आदि का आयोजन किया जाता है।

सहरिया जनजाति की वेशभूषा :

  • सलका – सहरिया पुरूषों की अंगरखी
  • खफ्टा – सहरिया पुरूषों का साफा
  • पंछा – घुटनों तक पहनी जाने वाली पुरूषों की धोती
  • रेजा – विवाहित महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला वस्त्र।

सहरिया जनजाति में प्रचलित प्रथाएं :

  • इस जनजाति में भीख मांगना वर्जित हैं
  • इस जनजाति के पुरूष वर्ग में गोदना वर्जित हैं।
  • सहरिया जनजाति में लड़की के जन्म को शुभ माना जाता है।
  • इस जनजाति के लोग महुवा के फल से बनाई गई शराब पीते हैं।
  • सहरिया जनजाति में दीपावली के पर्व पर ‘हीड़’ गाने की परम्परा प्रचलित है। सहरिया जनजाति के स्त्री-पुरुष सामूहिक नृत्य नहीं करते हैं।
  • पंचायत – यह सहरिया समुदाय की महत्वपूर्ण संस्था है जिसके तीन स्तर (पंचताई, एकदसिया एवं चौरासिया) होते हैं।
  •   मामूनी की संकल्प संस्था का सम्बन्ध सहरिया जनजाति से है।

चौरासिया पंचायत : सहरियों की सबसे बड़ी पंचायत है जिसका आयोजन सीतावाड़ी के वाल्मिकि मन्दिर में किया जाता हैं।

लोकामी :- सहरिया जनजाति द्वारा दिया जाने वाला मृत्यु भोज। लीला मोरिया विवाह की प्रथा से जुड़ा हुआ संस्कार है, जो सहरिया जनजाति से संबंधित है।

धारी संस्कार : मृत्यु के तीसरे दिन मृतक की अस्थियों व राख को एकत्र कर रात्रि में साफ आंगन में बिछाकर ढक देते है तथा दूसरे दिन उसमे बनने वाली आकृति के पदचिन्ह को देखते है। माना जाता है की इस से मृत व्यक्ति के अगले जन्म की योनि का पता लगाया जाता है। आकृति देखने के बाद अस्थियों एवं राख को सीताबाडी में स्थित बाणगंगा या कपिलधारा में प्रवाहित कर दिया जाता है।

सहरिया जनजाति के लोकगीत व लोकनृत्य :

  • फाग व राई नृत्य – होली के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य।
  • हिन्डा – दीपावली के अवसर पर गया जाने वाला गीत।
  • लहंगी एव आल्हा – वर्षा ऋतु में गाये जाने वाले गीत।
  • सांग – स्त्री-पुरूषों द्वारा किया जाने वाला नृत्य।
  • इनरपरी – यह नृत्य पुरूष अपने मुंह पर भांति-भांति मुखौटे लगाकर करते हैं।
  • शिकारी नृत्य – यह बारां जिले का प्रसिद्ध लोक नृत्य है।यह समूह नृत्य नहीं होकर एकल व्यक्ति नृत्य है
  • झेला– आषाढ़ माह में फसल की पकाई के समय युगल रूप से झेला गीत गाकर यह नृत्य किया जाता हैं।
  • लैंगी नृत्य – सहरिया समुदाय में मकर संक्रान्ति के अवसर पर लकड़ी के डण्डों से खेला जाने वाला खेल।

सहरिया जनजाति के प्रमुख मेलें :

  • कपिल धारा का मेला (बांरा) – यह मेला कार्तिक पूर्णिमा को आयोजित होता है।
  • भंवरगढ़ का मेला – तेजाजी की स्मृति में लगने वाला मेला
  • सीताबाड़ी का मेला (बांरा) – यह मेला बारां ज़िले की शाहबाद तहसील के केलबाड़ा गाँव के पास सीताबाड़ी नामक स्थान पर लगता है। भारत में सीताबड़ी का मेला एक ऐसा ही उत्सव है जो भगावन राम की पत्नी देवी सीता को समर्पित है। यह मेला ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को भरता है। हाडौती आंचल का यह सबसे बडा मेला है। इसे सहरिया जनजाति का कुंभ भी कहते है।

Note:  सहरिया जनजाति विकास कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा वर्ष 1977-78 में प्रारम्भ किया गया।

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