बालोतरा में छप्पन के पहाड़ पर स्थित सिवाणा का दुर्ग इतिहास प्रसिद्ध है। यह स्थान अपने किले के लिए जाना जाता है, जिसे स्थानीय रूप से गढ़ सिवाना के रूप में जाना जाता है, गढ़ का अर्थ है किला।
सिवाणा दुर्ग से जुड़े रोचक तथ्य
- इसे ‘अणखलों सिवाणों’ दुर्ग भी कहते हैं।
- इस दुर्ग की स्थापना 954 ई. में परमार वंशीय वीरनारायण ने की थी।
- अलाउद्दीन खिलजी के काल में यह दुर्ग जालोर के राजा कान्हड़दे के भतीजे सातलदेव के अधिकार में था।
- अलाउद्दीन खिलजी ने 1310 ई. के लगभग सिवाणा के किले पर आक्रमण किया, जिसमें वीर सातलदेव वीरगति को प्राप्त हुये तथा दुर्ग पर खिलजी का अधिकार हो गया।
- सिवाणा दुर्ग संकटकाल में मारवाड़ (जोधपुर) के राजाओं की शरणस्थली रहा है। राव मालदेव ने गिरी सुमेल के युद्ध के बाद शेरशाह की सेना द्वारा पीछा किये जाने पर सिवाणा दुर्ग में आश्रय लिया था।
- चन्द्रसेन ने सिवाणा के दुर्ग को केन्द्र बनाकर मुगलों के विरुद्ध संघर्ष किया था।
सिवाना दुर्ग FAQS
सिवाना दुर्ग कहाँ स्थित है?
सिवाना दुर्ग बालोतरा में छप्पन के पहाड़ पर स्थित है।
सिवाना दुर्ग का निर्माण किसने करवाया था?
सिवाना दुर्ग का निर्माण 954 ई. में परमार वंशीय वीरनारायण ने करवाया था।
अलाउद्दीन खिलजी ने सिवाना दुर्ग का नाम क्या रखा था?
अलाउद्दीन खिलजी ने वीर सातलदेव चौहान को हराकर सिवाना के किले पर कब्जा कर लिया उसके बाद उसने सिवाना का नाम बदलकर खैराबाद कर दिया।