राजस्थान की सांगरी को मिलेगा GI टैग, ग्लोबल स्तर पर मिलेगी पहचान, विटामिन और मिनरल से भरपूर
स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय ने राजस्थान में पाई जाने वाली विशेष और बहुप्रसिद्ध ‘खेजड़ी की सांगरी’ को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग दिलाने के लिए अहम पहल की है।
राजस्थान में शुद्ध रूप से कृषि के क्षेत्र में अब तक केवल एक ‘सोजत की मेहंदी’ को ही जीआई टैग मिला हुआ है. साथ ही ‘बीकानेरी भुजिया’ को जीआई टैग मिल चुका है।
इसके तहत चेन्नई स्थित जियोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत किया गया है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने जानकारी दी कि इस आवेदन को स्वीकृति मिल चुकी है।
राजस्थान में खेजड़ी की सांगरी को जीआई टैग मिलेगा, तो इसके तीन बड़े फायदे होंगे। बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन यानी खेजड़ी के पेड़ को संरक्षित किया जा सकेगा। खेजड़ी के पेड़ को कोई काटेगा नहीं. खेजड़ी के उत्पाद सांगरी को वैश्विक पहचान मिलेगी।
खेजड़ी की फली को सांगरी कहते है जिसे सुखाकर सब्जी के रूप में काम में लेते है तथा इसकी पत्तियों को ‘लूम’ कहते है जिसे चारे के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
NOTE: 12 सितम्बर, 1978 से प्रतिवर्ष 12 सितम्बर को “खेजड़ली दिवस” मनाया जाता है।