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जानें कितनी होती है, मंत्रीपरिषद में सदस्यों की संख्या

जानें कितनी होती है मंत्रीपरिषद में सदस्यों की संख्या: भारत में 1 जनवरी, 2004 से पहले तक मंत्री परिषद के सदस्यों की संख्या से जुड़ा कोई नियम नहीं था। प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्रियों के विवेक पर निर्भर था कि वे कितने सदस्यों को इसमें शामिल करते हैं।

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जानें कितनी होती है, मंत्रीपरिषद में सदस्यों की संख्या

91वां सविधान संशोधन: 

  • उपरोक्त तिथि से लागू 91वें संविधान संशोधन, 2003 के बाद अब मंत्री परिषद के सदस्यों की संख्या जिसमें प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री भी शामिल है सदन के कुल सदस्यों की संख्या के 15 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती।
  • इसमें यह भी प्रावधान था कि किसी राज्य में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या 12 से कम नहीं होगी।
  • संविधान के अनुच्छेद 75 (1ए) के अनुसार मंत्री परिषद में प्रधानमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या सदन के सदस्यों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नही होगी।
  • इसी तरह संविधान के अनुच्छेद 164 (1ए) के अनुसार राज्य में मंत्री परिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या राज्य की विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।

मंत्रिपरिषद:

  • संविधान केअनुच्छेद 74 में मंत्रिपरिषद के गठन के बारे में उल्लेख किया गया है, जबकि अनुच्छेद 75 मंत्रियों की नियुक्ति, उनके कार्यकाल, ज़िम्मेदारी, शपथ, योग्यता और मंत्रियों के वेतन एवं भत्ते से संबंधित है।
  • मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की तीन श्रेणियाँ होती हैं, अर्थात् कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और उप मंत्री। इन सभी मंत्रियों में  शीर्ष स्थान पर प्रधानमंत्री होता है।

राजस्थान में मंत्रियों की अधिकतम संख्या 30 होती है, जो 200 का 15 प्रतिशत है। (मुख्यमंत्री सहित)

NOTE: मंत्रियों के लिये यह ज़रूरी है कि वे संसद के सदस्य हों, यदि संबंधित व्यक्ति संसद की सदस्यता के बिना मंत्री बनता है तो उसे छः महीने के भीतर संसद का सदस्य होना पड़ेगा, ऐसा न हो पाने की स्थिति में उसे अपना मंत्री पद छोड़ना पड़ेगा।

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