[A] बाड़मेर
[B] जोधपुर
[C] प्रतापगढ़
[D] बीकानेर
Answer: C
थेवा कला का संबंध राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले से है। थेवा कला में विभिन्न रंगों के शीशों (कांच ) को चांदी के महीन तारों से बने फ्रेम में डालकर उस पर सोने की बारीक कलाकृतियां उकेरी जाती हैं।
थेवा कला के बारे में
- थेवा कला प्रतापगढ की प्रसिद्ध है।
- थेवा कला में कांच (बेल्जियम ग्लास) पर सोने की कारीगरी की जाती है।
- थेवा कला के प्रर्वतक – नाथूजी सोनी
- थेवाकला के प्रसिद्ध कलाकार महेशराज सोनी पद्मश्री से सम्मानित है।
- थेवाकला को दुनिया तक पहुँचाने का श्रेय ‘राजसोनी’ परिवार के कलाकार गिरीश को जाता है।
- 2002 में थेवाकला पर 5₹ का डाक टिकट जारी हुआ है।
- थेवाकला को GI टैग भी प्राप्त हुआ है।
- अन्तराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता – जस्टिन वकि
NOTE: थेवा कला विशेष प्रकार की दुर्लभ और अद्भुत कला होने के कारण इसका उल्लेख ‘एनसायक्लोपीडिया ऑफ ब्रिटेनिका’ में भी हुआ है।