[A] बाँसवाड़ा
[B] अजमेर
[C] झालरापाटन
[D] डूंगरपुर
Answer: C
झालरापाटन में यह मेला हर साल कार्तिक महीने में लगता है। यह मेला चंद्रभागा नदी के सम्मान में मनाया जाता है। कार्तिक मास के पूरे चांद में इस नदी में स्नान करना उत्तम माना गया है। इस दिन दूर दूर से श्रद्धालु आकर यहाँ डुबकी लगाते हैं।इसे हाड़ोती का सुरंगा मेला भी कहा जाता है।
- इस मेले की ख़ासियत यहाँ का पशु मेला है। पशु पालन विभाग की देख रेख में बहुत बड़ा पशु मेला लगता है, जिसमें कई अलग अलग पशु प्रदर्शित होते हैं।
- साथ ही में सबसे स्वस्थ और सुंदर पशु को इनाम भी दिया जाता है।मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में व्यापारी यहाँ पहुँचते है। मालवी नस्ल के पशुओं के क्रय-विक्रय के लिए यह मेला प्रसिद्ध है।
चंद्रभागा मेले के पीछे की कहानी
- 1840 में महाराजा झाला जालिम सिंह जब इस इलाके पर राज करते थे। उस वक्त राज्य की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिये उन्होंने व्यापार केंद्र बनाने का फैसला लिया और इसीलिए चंद्रभागा नदी के तट पर पशु मेला लगाया गया।
- इस मेले में कई राज्यों से व्यापारी आते थे, और खरीद फ़रोख़्त होती थी। आज भी यहां पर लाखों का कारोबार होता है। पहले इसे स्थानीय निकाय नगर पालिका संचालित करता था, बाद में इसकी जिम्मेदारी पशुपालन विभाग को दे दी गई।