बिजोलिया शिलालेख (भीलवाड़ा)

बिजोलिया शिलालेख राजस्थान के पाश्वर्नाथ जैन मंदिर के पास एक चट्टान पर उत्कीर्ण है, जिसे 1169 ई. (1226 वि.स.) में जैन श्रावक लोलाक द्वारा मंदिर के निर्माण की स्मृति में बनवाया गया था।

  • प्रशस्तिकार या रचनाकार – गुणभद्र
  • उत्कीर्णकर्ता – गोविन्द
  • भाषा – संस्कृत
  • बिजोलिया शिलालेख में सांभर (शाकम्भरी) एवं अजमेर के चौहानों का वर्णन है। इसके अनुसार चौहानों के आदिपुरुष वासुदेव चौहान ने 551 ई. में शाकम्भरी में चौहान राज्य की स्थापना की तथा सांभर झील का निर्माण करवाया था।
  • Note – सांभर झील में मेन्था (मेढा), रूपनगढ़, खारी तथा  खण्डेला नदियों का पानी आता है।
  • वासुदेव चौहान ने अहिच्छत्रपुर (नागौर) को अपनी राजधानी बनाया।
  • बिजोलिया शिलालेख में सांभर तथा अजमेर के चौहानों को वत्सगोत्रीय ब्राह्मण बताया गया है।
  • 1169 ई. (1226 वि.स.) के बिजोलिया शिलालेख से चौहानों के समय की कृषि, धर्म तथा शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश पड़ता है।

शिलालेख पत्थर अथवा धातु जैसी अपेक्षाकृत कठोर सतहों पर उत्कीर्ण किये गये पाठन सामाग्री को कहते है। शिलालेखों का अध्ययन ‘एपीग्राफी’ (पुरालेखशास्त्र) कहलाता है।

बिजौलिया शिलालेख में कुछ क्षेत्रों के प्राचीन नाम भी दिए गये है जैसे

प्राचीन नाम वर्तमान नाम
 जाबालिपुर जालौर
 नड्डुल नाडोल
 शाकम्भरी सांभर
 दिल्लीका दिल्ली
 श्रीमाल भीनमाल
 मंडलकर मांडलगढ़
 विंध्यवल्ली बिजौलिया
 नागह्रद नागदा

बिजोलिया ठिकाने की स्थापना अशोक परमार ने की थी। अशोक परमार को बिजोलिया की जागीर राणासांगा ने प्रदान की थी।

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