(A) मण्डोर
(B) उज्जैन
(C) कनौज
(D) ग्वालियर
Answer: A
गुर्जर-प्रतिहारों की 26 शाखाओं में मण्डोर शाखा सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण थी। मण्डोर के प्रतिहार स्वयं को ‘हरिश्चन्द्र नामक ब्राह्मण’ (राेहिलद्धि)का वंशज बताते हैं। हरीष चन्द्र को गुर्जर प्रतिहारों का मूल पुरूष अर्थात् संस्थापक माना जाता है।
हरीष चन्द्र ने मण्डोर की स्थापना की तथा प्रतिहार वंश की राजधानी भी मण्डोर को बनाकर शासन आरम्भ किया।
मुहणौत नैणसी ने गुर्जर प्रतिहारों को 26 शाखाओं में वर्णित किया।
प्रतिहारों की उत्पति के बारे में अलग-अलग विद्वानों के अलग-अलग मत हैं। आर. सी. मजूमदार के अनुसार प्रतिहार लक्ष्मण जी के वंशज थें। मि. जेक्सन ने प्रतिहारों को विदेशी माना, गौरी शंकर हीराचन्द औझा प्रतिहारों को क्षत्रिय मानते हैं। भगवान लाल इन्द्र जी ने गुर्जर प्रतिहारों को गुजरात से आने वाले गुर्जर बताये। डॉ. कनिंघगम ने प्रतिहारों को कुषाणों के वंशज बताया। स्मिथ स्टैन फोनो ने प्रतिहारों को कुषाणों को वंशज बताया। कर्नल जेम्स टॉड ने इनको विदेशी- शक, कुषाण, हूण व सिथीयन के मिश्रण की पाँचवीं सन्तान बताया था।
गुर्जर प्रतिहारों की कुल देवी चामुण्डा माता हैं।
प्रतिहारों ने मण्डोर, भीनमाल, उज्जैन तथा कनौज को अपनी शक्ति का प्रमुख केन्द्र बनाकर शासन किया था।
NOTE: यशपाल प्रतिहार वंश का अंतिम शासक था। इस प्रकार प्रतिहारों के साम्राज्य का 1093 ई. में पतन हो गया। 11वीं शताब्दी में कन्नौज पर गहड़वाल वंश ने अपना अधिकार स्थापित कर लिया।