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किस किले के बारे में हसन निजामी ने लिखा “यह ऐसा किला है जिसका दरवाजा कोई आक्रमणकारी नहीं खोल सका”?

(A) सिवाणा का किला

(B) जैसलमेर का किला

(C) जालोर का किला

(D) शेरगढ़ का किला

Answer: C

जालोर किले की सुदृढ़ता पर हसन निजामी ने ताज-उल-मासिर में लिखा – “यह ऐसा किला है, जिसका दरवाजा कोई आक्रमणकारी नहीं खोल सका” इसलिए जालौर दुर्ग के बारे यह दोहा प्रसिद्ध है-

आभ फटै धड़ उलटै, कटै बख्तरां कोर।

सिर टूटे धड़ तड़ पड़े, जद छूटे जालौर।

कवि पद्मनाभ ने अपने ‘कान्हड़देव प्रबंध‘ ग्रन्थ में जालौर के इस प्राचीन किले को एक विषम और दुर्भेद्य दुर्ग बताते हुए उसकी तुलना चित्तौडगढ़, चंपानेर व ग्वालियर आदि प्रसिद्ध दुर्गों से की गई है।

जालौर का किला सुकडी नदी के किनारे स्थित है। इस किले का निर्माण प्रतिहारों ने 8वीं सदी में कराया था। स्वर्णगिरी (सोनगिरि) पर्वत पर निर्मित जालौर का ऐतिहासिक दुर्ग ”गिरि दुर्ग” का अनुपम उदाहरण है।

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