पांडोली में बनेगा मां पन्नाधाय का पैनोरमा

पांडोली में बनेगा मां पन्नाधाय का पैनोरमा : मेवाड़ की पन्नाधाय के बलिदान और त्याग की याद में पैतृक गांव पांडोली (चित्तौड़गढ़) में उनका पैनोरमा बनाया जाएगा। राज्य सरकार ने इसके लिए करीब 4 करोड़ रुपए की वित्तीय और प्रशासनिक मंजूरी प्रदान कर दी है। घोषणा के बाद से ही पांडोली गांव में जश्न का माहौल है।

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पन्ना धाय, राणा सांगा के पुत्र राणा उदयसिंह की धाय माँ थीं। सोहलवी शताब्दी में मां पन्नाधाय ने महाराणा उदय सिंह के प्राणों की रक्षा करते हुए अपने बेटे का बलिदान दिया था। इसी त्याग को याद रखने के लिए मां पन्नाधाय के पैतृक गांव “माताजी की पांडोली” में उनका पैनोरमा बनेगा। पन्नाधाय के बिना मेवाड़ का इतिहास अधूरा है।

मां पन्नाधाय का इतिहास

मां पन्नाधाय का जन्म “माताजी की पांडोली” नामक गांव में हुआ था। इनका पूरा नाम पन्ना गुजरी था लेकिन उदय सिंह को पालने के लिए इन्हें धाय की उपाधि दी गई। लेकिन महाराणा उदय सिंह को पालने के लिए इन्हें धाय मां की उपाधि दी ग। इनके पिता का नाम हरचंद हाकला था, जबकि पति का नाम सूरजमल चौहान थ।

पन्नाधाय महाराणा संग्राम सिंह शासन के समय धायमाता के रूप में रहती थी। चित्तौड़गढ़ में हुए रानी कर्मावती के जौहर के समय वो महारानी की प्रमुख सेविका के रूप में कार्य करती थ। रानी ने जौहर में प्रवेश करने से पूर्व अपने छोटे पुत्र उदय सिंह की सुरक्षा का दायित्व पन्नाधाय के हाथों में सौंप दिया। उन्हें पन्नाधाय पर पूरा विश्वास था जानती थीं कि वो वचन की खातिर कुछ भी कर सकती हैं।

दरअसल, चित्तौड़ किले पर दासी पुत्र बनवीर अपना अधिकार जमाना चाहता था। उसने अधिकार कर भी लिया. अधिकार जमाने के बावजूद भी बनवीर के मन में उदय सिंह को लेकर डर रहता था। बनवीर को सांगा के एकमात्र उत्तराधिकारी बालक उदय सिंह का डर था। उसे फिक्र थी कि कहीं वो सिंहासन का हकदार न बन जाए। इस पर उसने बालक उदय की हत्या करने का मन बनाया ताकि सांगा का कोई भी वंशज जीवित न रहे। बनवीर के इस बदनियती का आभास पन्नाधाय को हो गया था।

एक दिन मौका देखकर जब बनवीर ने बालक उदयसिंह की हत्या करने के लिए महल में प्रवेश किया तब पन्नाधाय ने अपने वचन को निभाते उदय सिंह की जगह अपने पुत्र चंदन को सुला दिया। वहीं बालक उदय सिंह को फूलों की टोकरी के माध्यम से चित्तौड़ के किले के बाहर ले कर चली गई। बनवीर ने उसके पुत्र की निर्मम हत्या कर दी. पन्नाधाय उदय सिंह को कुंभलगढ़ ले कर चली गईं। जहां उनका पालन पोषण किया। उदय सिंह थोड़े बड़े हुए तो युद्ध में बनवीर की सेना को पराजित कर फिर चित्तौड़ के लिए पर अपना अधिकार कायम किया।

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