धूलि वंदना कार्यक्रम: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे मानगढ़ धाम

धूलि वंदना कार्यक्रम: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे मानगढ़ धाम – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को गुजरात और राजस्थान की सीमा पर अविस्थत शहीदी धाम मानगढ़ धाम पर पहुंचे। जहां होने वाले आदिवासी सम्मेलन में वो शिरकत करेंगे। इस सम्मेलन को धूलि वंदन कहा जा रहा है। वे यहां केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के धूलि वंदना कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।

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मानगढ़ धाम बांसवाड़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोविंद गुरु की प्रतिमा को नमन के साथ शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। मोदी की यात्रा के एक दिन पहले मानगढ़ धाम पर भारतीय जनता पार्टी के आला नेता पहुंच चुके थे।

  • सोमवार को मुख्य सचिव की मौजूदगी में बैठक में व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया। मोदी की यात्रा को लेकर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए हैं। बड़ी संख्या में आए लोगों से पांडाल खचाखच भरा रहा। जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साढ़े दस बजे मानगढ़ धाम हेलीपैड पर पहुंचे।
  • कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल तथा मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल भी सम्मिलित हुए।

मानगढ़ धाम (Mangarh Dham)

मानगढ़ राजस्थान में बांसवाड़ा जिले का एक पहाड़ी क्षेत्र है। यहां मध्यप्रदेश और गुजरात की सीमाएं भी लगती हैं। बांसवाड़ा में मानगढ़ धाम, जो अंग्रेजों के हाथों जलियांवाला बाग से कहीं अधिक नृशंस संहार की कहानी कहता है। 17 नवंबर 1913 को राजस्थान गुजरात की सीमा पर बांसवाड़ा के मानगढ़ में अंग्रेजों ने करीब 1500 भील आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया था। लेकिन आमतौर पर इस शहादत को करीब विस्मृत ही कर दिया गया।

  • मानगढ़ गवाह है भील आदिवासियों के अदम्य साहस और एकता का, जिसकी वजह से अंग्रेजों को नाकों चने चबाने पड़े. ये एकजुटता भील आदिवासियों के नेता गोविंद गुरु की अगुवाई के कारण पैदा हुई थी।
  • दक्षिणी राजस्थान, गुजरात और मालवा के आदिवासी संगठित होकर बड़ी जनशक्ति बन गए। जनाधार को बढ़ाने के बाद गोविंद गुरु ने वर्ष 1883 में “संप सभा” की स्थापना की।
  • भील समुदाय की भाषा में संप का अर्थ होता है – भाईचारा, एकता और प्रेम. संप सभा का पहला अधिवेशन वर्ष 1903 में हुआ।

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