अरावली पर्वतीय प्रदेश: अरावली पर्वत श्रेणियाँ राजस्थान का एक विशिष्ट भौगोलिक प्रदेश है। अरावली विश्व की प्राचीनतम पर्वत श्रेणी है इसका मूल भाग नष्ट हो चुका है। वर्तमान अरावली मूल अरावली का खण्ड मात्र है। इसी कारण इसे अवशिष्टपर्वत श्रृंखला कहा जाता है। अरावली पर्वतमाला राज्य में गोडवाना लैण्ड का अवशेष है।
अरावली पर्वतमाला का विस्तार एवं स्थिति–
अरावली पर्वतमाला सुदूर दक्षिणतम अरब सागर के मिनीकॉय द्वीप से प्रारम्भ होता है।
☛ अरब सागर अरावली का उत्पति स्थल या पिता कहा जाता है।
☛ अरावली की जडें अरब सागर से शुरू होती है।
☛ अरावली की कुल लम्बाई 692 किलोमीटर है जो पालनपुर (गुजरात) से रायसीना पहाड़ी (दिल्ली) तक विस्तृत है।
☛ अरावली पर्वतमाला का विस्तार तीन राज्यों में है । गुजरात, राजस्थान तथा हरियाणा
☛ अरावली पर्वत माला प्री–केम्ब्रियन युग की है।
NOTE: रायसिंह की पहाड़ियों पर राष्ट्रीय भवन बना हुआ है। राष्ट्रपति भवन का पूर्व नाम वायसरिंगल लॉज था। इसका नक्शा सर्वप्रथम 1911 में एडवर्ड लुडवीन द्वारा बनाया गया। इसमें रहने वाला प्रथम व्यक्ति लार्ड इरविन था। राष्ट्रपति भवन के निर्माण में राजस्थान के धौलपुर तथा करौली जिले के लाल पत्थरों का प्रयोग किया गया है। |
☛ अरावली पर्वतमाला के भू-गर्भिक बनावट का अध्ययन करने वाला प्रथम व्यक्ति ए.एम. हेरोन था जिसने 1923 में इसका अध्ययन किया। इसकी तुलना अमरीका के अल्पेशियन पर्वतों से की जाती है।
राजस्थान में अरावली का विस्तार–
☛ राजस्थान में अरावली सर्वप्रथम सिरोही जिले में प्रवेश करती है, तथा यह खेड़ब्रह्मा (सिरोही) से खेतड़ी सिंघाना (झुन्झनु) तक श्रृंखलाबद्ध है। किन्तु खेतड़ी से आगे इसके टुकडे प्रारम्भ हो जाते है।
☛ राजस्थान में अरावली पर्वतमाला की कुल लम्बाई 550 किलोमीटर है । अरावली पर्वतमाला की कुल लम्बाई का राजस्थान में 79.48% (लगभग 80% भाग) भाग आता है।
☛ अरावली पर्वतमाला का आकार तानपुरे वाद्ययंत्र के समान है।
☛ यह राज्य को दो भागों में विभाजित करती है । पूर्वी भाग व पश्चिमी भाग ।
☛ अरावली पर्वतमाला के पश्चिम में 13 जिले आते है । (12 मरूस्थली व 1 सिरोही)
☛ अरावली पर्वतमाला राज्य की नदीयों को 2 भागों में विभाजित करती है। पश्चिमी भाग तथा पूर्वी भाग। अरावली के पश्चिम में बहने वाली नदीयाँ अपना जल अरब सागर को तथा अरावली के पूर्व में बहने वाली नदीयां अपना जल बंगाल की खाड़ी को लेकर जाती है ।
☛ अरावली पर्वतमाला पश्चिमी मरूस्थल को पूर्व की ओर बढ़ने से रोकती है।
☛ अरावली पर्वतमाला का सर्वाधिक विस्तार उदयपुर जिले में है व सबसे कम विस्तार अजमेर जिले में है। अरावली पर्वतमाला का सबसे ऊँचा पॉइन्ट गुरूशिखर सिरोही जिले में है जबकि सबसे नीचा पॉइन्ट अजमेर जिले में पुष्कर घाटी है ।
जनसंख्या व क्षेत्रफल – अरावली पर्वतमाला राजस्थान के 9% भाग पर स्थित है जिस पर राज्य के कुल जनसंख्या का 10% भाग निवास करता है|
लंबाई और ऊंचाई – अरावली पर्वतमाला की कुल लंबाई 692 किलोमीटर है| जिसमे राजस्थान में 550 किलोमीटर (80%) है| समुद्र तल से औसत ऊंचाई 930 मीटर है|
जिले – अरावली मुख्य रूप से सिरोही, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, राजसमंद, पाली, अजमेर, जयपुर, दोसा, अलवर, सीकर, झुंझुनू में फैली हुई है|
अरावली पर्वतमाला को महान भारतीय जल विभाजक रेखा कहा जाता है |
जलवायु – अरावली पर्वतीय प्रदेश में मुख्य रूप से उपार्द्र जलवायु पाई जाती है|
मिट्टी एवं कृषि – अरावली पर्वतीय प्रदेश में मुख्य रूप से पर्वतीय मिट्टी, लाल मिट्टी एवं मिश्रित काली मिट्टी पाई जाती है| यहां अरावली के डालो पर मुख्य रूप से ‘मक्का’ की खेती की जाती है|
- आग्नेय / प्राथमिक / ग्रेनाइट चट्टाने अरावली में पाई जाती है।
अरावली पर्वत माला के उपनाम –
उपनाम | क्षेत्र |
परिपत्र | विष्णु पुराण में |
मेरू | भौगोलिक भाषा में |
आबु गूलाम | सिरोही में |
आडावाला पर्वत | बूंदी में |
एडावेटा | राजस्थानी भाषा तथा उदयपुर जिले में |
अरावली पर्वत प्रदेश को तीन प्रमुख उप–प्रदेशों में विभक्त किया जाता है:
- उत्तरी अरावली प्रदेश
- मध्य अरावली प्रदेश
- दक्षिणी अरावली प्रदेश
उत्तरी अरावली प्रदेश–
- इस क्षेत्र का विस्तार जयपुर, दौसा तथा अलवर जिलों में है।
- इस क्षेत्र में अरावली की श्रेणियाँ अनवरत न होकर दर-दर होती जाती हैं। इनमें शेखावाटी की पहाडियाँ, तोरावाटी की पहाड़ियों तथा जयपुर और अलवर की पहाड़ियाँ सम्मलित हैं।
- इस क्षेत्र में पहाड़ियों की सामान्य ऊँचाई 450 से 750 मीटर है।
- इस प्रदेश के प्रमुख उच्च शिखर
- सीकर जिले में रघुनाथगढ़ (1055मीटर)
- अलवर में बैराठ (792 मीटर)
- जयपुर में खो (920 मीटर)
- अन्य उच्च शिखर जयगढ़, नाहरगढ़, अलवर किला और बिलाली है।
मध्य अरावली प्रदेश–
- यह क्षेत्र मुख्यतः राज्य के अजमेर जिले में विस्तृत है।
- इस क्षेत्र में पर्वत श्रेणियों के साथ संकीर्णघाटियाँ और समतल स्थल भी स्थित है।
- अजमेर के दक्षिण-पश्चिम भाग में तारागढ़ (870 मीटर) और पश्चिम में सर्पिलाकार पर्वत श्रेणियाँ नाग पहाड़ (795मीटर) कहलाती हैं।
- ब्यावर तहसील में अरावली श्रेणियों के चार दर्रे स्थित है
- बर
- परवेरिया और शिवपुर घाट
- सूरा घाट दर्रा
- देबारी
अरावली का यह भाग कटा -फटा होने के कारण अत्यधिक मात्रा में दर्रे या नाल पाए जाते हैं| जैसे – जीलवाड़ा के नाल – पाली, देसूरी की नाल – पाली, सोमेश्वर के नाल – पाली, बर नाल – पाली| |
दक्षिणी अरावली प्रदेश–
- इसके अंतर्गत राज्य के सिरोही, उदयपुर और राजसमंद जिले आते हैं।
- इस पूर्णतया पर्वतीय प्रदेश में अरावली की श्रेणियाँ अत्यधिक सघन एवं उच्चता लिए हुए है। इसमें सिरोही जिले में माउन्ट आबू क्षेत्र में स्थित गुरुशिखर पर्वत (ऊँचाई 1722 मीटर)सर्वोच्च पर्वत शिखर है
- यहाँ की अन्य प्रमुख उच्च पर्वत चोटियाँ
- सेर (1597 मीटर)
- अचलगढ़ (1380मीटर)
- देलवाड़ा (1442मीटर)
- आबू (1295 मीटर)
- ऋषिकेश (1017मीटर)
- उदयपुर-राजसमंद क्षेत्र के उच्च पर्वत शिखर
- जरगा पर्वत (1431 मीटर)
- कुम्भलगढ़ (1224मीटर)
- लीलागढ़ (874मीटर)
- कमलनाथ की पहाडियाँ (1001मीटर)
- सज्जनगढ (938 मीटर)
इसमें मुख्य रूप से फुलवारी की नाल – उदयपुर, हल्दीघाटी की नाल – राजसमंद प्रमुख दर्रे पाए जाते हैं|
NOTE : अरावली पर्वतमाला से होने वाला सबसे बड़ा नुकसान यह है, कि अरावली पर्वतमाला की स्थिति अरबसागर के मानसून के समानान्तर होने के कारण यह मानसून (अरब सागर) बिना वर्षा किये गुजर जाता है । |
गिरवाः– उदयपुर में चारों ओर पहाड़ीयाँ होने के कारण उदयपुर की आकृति एक तश्तरीनुमा बेसिन जैसी है जिसे स्थानीय भाषा में गिरवा कहते है।
देशहरोः– उदयपुर में जरगा (उदयपुर) व रागा (सिरोही) पहाड़ीयों के बीच का क्षेत्र सदा हरा भरा रहने के कारण देशहरो कहलाता है।
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