राजस्थान के संत एवं सम्प्रदाय से संबंधित प्रश्न (MCQ)

Q11. रामस्नेही सम्प्रदाय के संस्थापक संत रामचरण के गुरू कौन थे?

(A) चरणदास

(B) हरिदास

(C) कृपाराम

(D) लालदास

Answer: C

व्याख्या: रामस्नेही संप्रदाय के प्रवर्त्तक स्वामी रामचरण जी महाराज थे। इसकी प्रधान पीठ शाहपुरा, भीलवाड़ा में है। स्वामी रामचरण जी का जन्म सोडा (मालपुरा तहसील, टोंक) में 1720 ई० में हुआ था। इनके गुरु का नाम कृपाराम जी था।

Q12. सहजो बाई के गुरू कौन थे?

(A) रामचरण

(B) लालदास

(C) चरणदास

(D) सुंदरदास

Answer: C  

व्याख्या: सहजो बाई चरणदास की प्रथम शिष्या थीं। इन्होंने अपने गुरु से ज्ञान, भक्ति और योग की विद्या प्राप्त की। इनके द्वारा लिखित एकमात्र ग्रंथ ‘सहज प्रकाश‘ का प्रकाशन सन् 1920 में हुआ तथा इसका अंग्रेजी अनुवाद 1931 में प्रकाशित हुआ। सहजो बाई की रचनाओं में प्रगाढ़ गुरु भक्ति, संसार की ओर से पूर्ण विरक्ति, साधुता, मानव जीवन, प्रेम, सगुण-निर्गुण भक्ति, नाम स्मरण आदि विषयक छंद, दोहे और कुडलियां संकलित हैं।

Q13. निरंजनी संप्रदाय के संस्थापक कौन थे?

(A) संत रामदास

(B) संत निरंजनदास

(C) संत हरिदास

(D) संत रामचरण

Answer: C

व्याख्या: डीडवाना के संत हरिदास जी ने 15वीं सदी में शैव सम्प्रदाय की निर्गुण भक्ति की शाखा निरंजनी सम्प्रदाय की पीठ मारवाड में स्थापित की। हरिदास जी ने अपनी वाणी में अनाशक्ति, वैराग्य, आचरण शुद्धि आदि निर्गुण ज्ञानाश्रयी मार्ग का तथा दूसरी ओर सगण भक्ति की उपासना का अवलंबन कर समन्यवयवादी विचार दिया। इस पंथ के अनुयायी निरंजनी कहलाते हैं जो गहस्थी (घरबारी) एवं वैरागी (निहंग) में बंटे होते हैं। इसमें परमात्मा को अलख निरंजन, हरि निरंजन आदि कहा गया है।

Q14. जाम्भोजी जहां प्रवचन करते थे, वह क्या कहलाता था?

(A) सथारी

(B) सबद

(C) वाणी

(D) शील

Answer: A

व्याख्या: जाम्भोजी जहाँ प्रवचन करते थे, वह सथारी कहलाता था। गुरू जम्भेश्वर बिश्नोई संप्रदाय के संस्थापक थे। ये जाम्भोजी के नाम से भी जाने जाते है। बिश्नोई सम्प्रदाय में इनको विष्णु का अवतार मानते है। इन्होंने 1508 में बिश्नोई पंथ की स्थापना की। ‘हरि’ नाम का वाचन किया करते थे। गुरू जाम्भो जी का मूलमंत्र था हृदय से विष्णु का नाम जपो और हाथ से कार्य करो।

Q15. दादू पंथ के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?

(A) दादू-पंथ की प्रमुख पीठ नरेना (जयपुर) में स्थित है।

(B) दादू-पंथी मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं रखते हैं।

(C) दादू-पंथी मृतकों के शव को जलाने में विश्वास करते हैं।

(D) ‘खाकी’ दादू पंथ की एक शाखा है।

Answer: C  

दादू सम्प्रदाय की स्थापना दादू दयाल जी ने 1574 ई. में की थी। इस सम्प्रदाय की प्रमुख गद्दी नरैना (नरायणा, जयपुर) में है। इनके गुरु वृद्धानंद थे। वे भक्तिकालीन ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख संत कवि थे।

Q16. सन्त मावजी की पीठ कहां पर स्थित है?

(A) साबला ग्राम (डूंगरपुर)

(B) कतियासर (बीकानेर)

(C) बांधोली (अलवर)

(D) सलेमाबाद (किशनगढ़-अजमेर)

Answer: A  

वागड़ प्रदेश के संत मावजी का जन्म साबला ग्राम (डूंगरपुर) के एक औदिच्य ब्राह्मण परिवार में हुआ। मावजी पर इनके पिता (दालमजी) की कर्त्तव्यनिष्ठता, भगवद्भक्ति एवं उदात्त व्यक्तित्व का अच्छा प्रभाव पड़ा। ये 12 वर्ष की अवस्था में ही घर त्याग कर माही एवं सोम नदियों के संगम पर एक गुफा में तप करने लगे। सन् 1727 (माघ शुक्ला एकादशी, वि.सं. 1784) में इन्हें बेणेश्वर स्थान पर ज्ञान प्राप्त हुआ। इनका प्रमुख मंदिर एवं पीठ माही तट पर साबला गाँव में ही है। उनकी याद में हर वर्ष बेणेश्वर धाम पर माघ पूर्णिमा पर सबसे बड़ा आदिवासी मेला भरता है।

Q17. निम्बार्क सम्प्रदाय की प्रमुख पीठ कहां स्थित है?

(A) सिहाड़

(B) गलता

(C) मौजमांबाद

(D) सलेमाबाद

Answer: D 

निम्बार्क सम्प्रदाय के प्रवर्तक निम्बार्काचार्य कहे जाते हैं। निम्बार्क सम्प्रदाय, बैरागियों के चार सम्प्रदायों में अत्यन्त प्राचीन सम्प्रदाय है। इस सम्प्रदाय को हंस सम्प्रदाय, कुमार सम्प्रदाय और सनकादि सम्प्रदाय भी कहते हैं। इस सम्प्रदाय का सिद्धान्त द्वैताद्वैतवाद कहलाता है। इसी को भेदाभेदवाद भी कहा जाता है। निम्बार्क संप्रदाय की प्रमुख/मुख्य पीठ सलेमाबाद में है। सलेमाबाद किशगनढ़ (अजमेर) के पास है।

Q18. ‘धोलीदूबग्राम किस सम्प्रदाय से सम्बन्धित है?

(A) जसनाथी

(B) दरियापंथी

(C) दादूपंथी

(D) लालदासी

Answer: D  

लालदासी सम्प्रदाय के प्रवर्तक लालदालालदास जी का जन्म 1540 ई में अलवर जिले के धौलीदूब गाँव में हुआ था. इनके पिता का नाम चांदमल और माता का नाम समदा था ये जाति से मेव थे ।

Q19. संत पीपा के बचपन का नाम क्या था?

(A) प्रतापसिंह

(B) प्रहलाद

(C) संत कुमार

(D) जोरावर सिंह

Answer: A  

गागरोण के राजा कड़ावा राव खिंची के यहां 1425 ई. में जन्मे पीपाजी के बचपन का नाम प्रतापसिंह था। दर्जी समुदाय के लोग संत पीपा जी को आपना आराध्य देव मानते हैं। पीपा जी ने अपना अंतिम समय टोंक के टोडा गाँव में बिताया था और वहीं पर चैत्र माह की कृष्ण पक्ष नवमी को इनका निधन हुआ, जो आज भी ‘पीपाजी की गुफ़ा‘ के नाम से प्रसिद्ध है।

Q20. संत दरियावजी का संबंध किस सम्प्रदाय से है?

(A) विश्नोई सम्प्रदाय

(B) नाथ सम्प्रदाय

(C) राजाराम सम्प्रदाय

(D) रामस्नेही सम्प्रदाय

Answer: D 

संत दरियावजी रामस्नेही संप्रदाय की रैण शाखा (मेडता) के प्रवर्तक थे इनका जन्म जैतारण, पाली में हुआ।

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