उत्तराखंड का अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य इको-सेंसिटिव जोन (ESZ) घोषित: अस्कोट कस्तूरा मृग वन्य जीव अभयारण्य की सीमा 600 वर्ग कि लोमीटर क्षेत्र में है। अभयारण्य बनाने का मूल उद्देश्य क्षेत्र की वनस्पतियों और वन्यजीवों की वृहद जैव विविधता का संरक्षण करना था।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ और सीसी), उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य की सीमा के आसपास 454.65 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (Askot Wildlife Sanctuary Eco-sensitive Zone) (ईएसजेड) घोषित किया गया है।
‘पृथ्वी पर हरित स्वर्ग’ (Green Paradise on the Earth) के रूप में जाना जाने वाला अभयारण्य, जो कुमाऊं क्षेत्र में पिथौरागढ़ से लगभग 54 किमी उत्तर में स्थित है, 1986 में मुख्य रूप से कस्तूरी मृग (musk deer) और अन्य दुर्लभ हिमालयी प्रजातियों और उनके प्राकृतिक पर्यावासों के संरक्षण के लिए स्थापित किया गया था।
अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य
अस्कोट यहाँ स्थित अस्कोट कस्तूरी मृग अभ्यारण्य के लिए प्रसिद्ध है, जिसकी स्थापना 1986 में कस्तूरी मृग के संरक्षण हेतु की गयी थी। यह टनकपुर-तवाघाट राष्ट्रीय राजमार्ग पर पिथौरागढ़ और धारचूला के मध्य स्थित है।
- अस्कोट कस्तूरा मृग वन्य जीव अभयारण्य की सीमा 600 वर्ग कि लोमीटर क्षेत्र में है।
- अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य को मस्क डियर पार्क (Musk Deer Park) के नाम से भी जाना जाता है।
- यह ईको सेंसिटिव जोन उत्तराखंड का पहला ऐसा जोन बनाया गया है जिसमें एक भी गांव शामिल नहीं है।
- यह मुख्यत: काली नदी और उसकी सहायक जल संभर क्षेत्र में स्थित है।