‘पोचमपल्ली’ गाँव (Pochampalle Village):

Important: ‘पोचमपल्ली’ गाँव को ‘संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन’ (UNWTO) द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँवों में से एक के रूप में चुना गया है।

विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO)

विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO), मद्रीद, स्पेन में स्थित संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था है। यह विश्व में पर्यटन संबंधी देखरेख करती है।

पर्यटन अथवा देशाटन मानव की स्वाभाविक प्रवृति होती है। इसका उद्देश्य सिर्फ मानसिक शांति अथवा मनोरंजन ही नहीं है, बल्कि लोग आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और शैक्षिणक लाभ के उद्देश्य से भी देश-देशान्तरों की यात्रा करते हैं। यही कारण है कि आधुनिक युग में यह एक संपूर्ण उद्योग का रूप ले चुका है। तमाम ऐसे जगह हैं जिन्हें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों से बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। ऐसे में, जब इन पर्यटन स्थलों को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलती है तो इनके विकास की गति भी बढ़ जाती है। इसी क्रम में, हाल ही में तेलंगाना में हैदराबाद से तकरीबन 45 किमी दूर स्थित ‘पोचमपल्ली’ गाँव को ‘संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन’ (UNWTO) द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँवों में से एक के रूप में चुना गया है।

‘पोचमपल्ली’ आंध्र प्रदेश के नलगोंडा जिले में स्थित एक लोकप्रिय जगह है। कुछ लोग इसे भारत की सिल्क सिटी के रूप में भी बुलाते हैं, क्योंकि यहां देश की बेहतरीन गुणवत्ता वाली रेशम की साड़ियां बनाई जाती हैं। ये अपनी चिकनी और साफ-सुथरी डिजाइनों से एकदम अलग दिखती है। यहाँ की फैब्रिक एक ऐसी पारंपरिक बुनाई तकनीक है, जिसमें रंगे धागों को ऊपर-नीचे बुनकर पहाड़ जैसी आकृतियां बनाई जाती है। इसे पोचमपल्ली इकत भी कहा जाता है। इकत एक मलेशियाई, इंडोनेशियाई शब्द है जिसका अर्थ है “टाई एंड डाई”। यह बुनाई सूती और रेशम, दोनों में उपलब्ध है। कपड़ों के रंगों को प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त किया जाता है। गौरतलब है कि ‘पोचमपल्ली इकत’ शैली को वर्ष 2004 में एक भौगोलिक संकेतक यानी GI टैग भी प्राप्त हुआ था।

ऐसा नहीं है कि पोचमपल्ली सिर्फ साड़ियों के लिए ही प्रसिद्ध है। साड़ियों के अलावा इस स्थान की संस्कृति, पंरपरा, विरासत, इतिहास और सुंदरता आदि भी यहां आने वाले पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। यह प्यारी सी जगह, पहाडि़यों, खजूर के पेड़ों, झीलों, तालाबों और मंदिरों के बीच स्थित है। इसके इन्हीं विशेषताओं को देखते हुए स्पेन के मैड्रिड में 2 दिसंबर को होने वाली UNWTO महासभा के 24वें सत्र के अवसर पर इस गांव को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँवों में से एक के रूप में नवाजा जाएगा। ‘संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन’ द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गाँव के चयन से संबंधित इस पहल का मकसद ऐसे गांव को पुरस्कार देना है, जिन्होंने स्वयं को ग्रामीण स्थलों के बेहतरीन उदाहरण के रूप में पेश किया है। साथ ही, इसका उद्देश्य गाँवों को प्रशिक्षण एवं सुधार के अवसर प्रदान कर ग्रामीण पर्यटन क्षमता को बढ़ाने में भी सहायता करना है।

‘पोचमपल्ली’ के बारे एक और रोचक तथ्य ये है कि 18 अप्रैल, 1951 को आचार्य विनोबा भावे ने इसी गाँव से भूदान आंदोलन की शुरुआत की थी। इसी के मद्देनज़र ‘पोचमपल्ली’ गाँव को ‘भूदान पोचमपल्ली’ के नाम से भी जाना जाता है।

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