चर्चा में क्यों?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहाँ है चारधाम सड़क की चौड़ाई को बढ़ाना राष्ट्र की सुरक्षा प्राथमिकता है। साथ ही सड़क परियोजना के निर्माण के क्रम मे पर्यावरण से संबंधित सुरक्षा को ध्यान में रखा जाए।
चार धाम
यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे महान हिमालय की ऊंचाइयों के बीच चार तीर्थ-स्थल हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से चार धाम के नाम से जाना जाता है। ये तीर्थ केंद्र हर साल अधिकतम संख्या में तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते हैं, इस प्रकार यह पूरे उत्तरी भारत में धार्मिक यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र बन जाता है। परंपरागत रूप से, तीर्थयात्रा पश्चिम से शुरू होती है और पूर्व में समाप्त होती है। इस प्रकार, चारधाम यात्रा यमुनोत्री से शुरू होती है, फिर गंगोत्री तक जाती है और अंत में केदारनाथ और बद्रीनाथ तक जाती है।
गंगोत्री धाम
गंगोत्री धाम पवित्र गंगा के मूल स्रोतों में से एक है, और हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण चार धाम तीर्थों में से एक है। नदी का मुख्य उद्गम गौमुख है जो गंगोत्री मंदिर से 19 किमी दूर स्थित ग्लेशियर है। गंगा नदी दुनिया की सबसे लंबी और सबसे पवित्र नदी है।गंगोत्री मंदिर का निर्माण 18 वीं शताब्दी में गोरखा जनरल अमर सिंह थापा द्वारा किया गया था और यह भागीरथी नदी के बाएं किनारे पर स्थित है।
यमुनोत्री धाम
यमुना के मंदिर का निर्माण टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रताप शाह ने करवाया था। पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन ऋषि असित मुनि का यहां आश्रम था।
केदारनाथ धाम
केदारनाथ मंदिर उत्तरी भारत में पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है, जो समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। इस क्षेत्र का ऐतिहासिक नाम “केदार खंड” है। केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड में चार धाम और पंच केदार का एक हिस्सा है और भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
बद्रीनाथ धाम
बद्रीनाथ भगवान विष्णु के 108 दिव्य देसम अवतारों में वैष्णवों के लिए पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। बद्रीनाथ शहर योग ध्यान बद्री, भविष्य बद्री, आदि बद्री और वृद्ध बद्री सहित बद्रीनाथ मंदिर सहित पंच बद्री मंदिरों का भी हिस्सा है।
चारधाम परियोजना
चारधाम परियोजना का उद्देश्य सभी मौसम में पहाड़ी राज्य के चार पवित्र स्थलों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ना है. इस परियोजना के पूरा हो जाने के बाद हर मौसम में चार धाम की यात्रा की जा सकेगी. इस परियोजना के तहत 900 किलोमीटर लम्बी सड़क परियोजना का निर्माण हो रहा हैपरियोजना निर्माण की अवधि 4 वर्ष है। इसके निर्माण पर 1119.69 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत आएगी।
टनल के निर्माण से चारधाम यात्रा के एक धाम यमुनोत्री तक जाने के लिए हर तरह के मौसम में संपर्क मार्ग उपलब्ध होगा। इससे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ ही व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे धारसू से यमुनोत्री के बीच सड़क मार्ग की दूरी करीब 20 किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा समय भी करीब एक घंटा कम हो जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस परियोजना का उद्घाटन दिसम्बर 2016 में किया गया था।
स्रोत :
इंडियन एक्सप्रेस
पीआईबी
उत्तराखण्ड.इन