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समग्र शिक्षा अभियान-2.0 (Samagra Shiksha Abhiyan 2.0)

समग्र शिक्षा अभियान-2.0 (Samagra Shiksha Abhiyan): आज के आर्टिकल में हम समग्र शिक्षा अभियान-2.0 (Samagra Shiksha Abhiyan) के बारे में जानेंगे। देशभर में साक्षरता अनुपात बढ़ाने के लिए एवं देश के प्रत्येक बच्चे को शिक्षा का अधिकार प्रदान करने के लिए शिक्षा के स्तर को सुधारने का निरंतर प्रयास किया जाता है। जिसके लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाओं का संचालन किया जाता है। हाल ही में सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति 2020 भी आरंभ की गई है। जिसके माध्यम से शिक्षा के स्तर में विभिन्न प्रकार के बदलाव किए गए है। आज हम आपको ऐसी ही एक योजना से संबंधित जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं। जिसका नाम समग्र शिक्षा अभियान-2.0 है।

समग्र शिक्षा अभियान-2.0 (Samagra Shiksha Abhiyan 2.0)-https://myrpsc.in

समग्र शिक्षा अभियान का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के स्तर में सुधार करना है। इसके अलावा इस योजना के माध्यम से प्राइमरी स्कूल से लेकर बारहवीं कक्षा के सभी आयामों को शामिल किया जाएगा जिससे कि छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान की जा सके। यह योजना नई शिक्षा नीति की सिफारिशों के अनुरूप बनाई गई है जिससे कि नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन करने में भी मदद प्राप्त होगी। यह योजना 1 अप्रैल 2021 से लेकर 31 मार्च 2026 तक कार्यान्वित की जाएगी।

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने वित्तीय वर्ष 2025-26 तक के लिये स्कूली शिक्षा कार्यक्रम ‘समग्र शिक्षा योजना 2.0’( Samagra Shiksha Abhiyan 2.0) को मंज़ूरी दे दी है।

इसे शिक्षा हेतु सतत् विकास लक्ष्य और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ संरेखित करने के लिये अपग्रेड किया गया है।

समग्र शिक्षा योजना 2.0 के बारे में:

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT):

  • योजना की प्रत्यक्ष पहुँच को बढ़ाने के लिये सभी बाल-केंद्रित हस्तक्षेप छात्रों को सीधे सूचना प्रौद्योगिकी-आधारित प्लेटफॉर्म पर DBT मोड के माध्यम से समय-समय पर शिक्षा का अधिकार पात्रताके तहत पाठ्यपुस्तक, ड्रेस  और परिवहन भत्ते प्रदान किये जाएंगे।

NEP की सिफारिशें:

भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन:

इसमें भाषा शिक्षकों की नियुक्ति के लिये एक नया घटक है, जिसमें वेतन और प्रशिक्षण लागत के साथ-साथ द्विभाषी किताबें तथा शिक्षण सामग्री शामिल है, जैसा कि NEP में अनुशंसित किया गया है।

पूर्व प्राथमिक शिक्षा:  इसमें अब शिक्षण और अधिगम सामग्री, स्वदेशी खिलौने और खेल तथा खेल-आधारित गतिविधियों के लिये सरकारी स्कूलों में पूर्व-प्राथमिक वर्गों को समर्थन देने के लिये वित्त प्रदान करना शामिल होगा।

  • योजना के तहत पूर्व-प्राथमिक शिक्षकों और आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं के लिये कुशल प्रशिक्षकों का समर्थन किया जाएगा।

निपुण भारत पहल:

इस पहल के तहत शिक्षण सामग्री के लिये प्रति छात्र 500 रुपए, मैनुअल और संसाधनों के लिये प्रति शिक्षक 150 रुपए और आधारभूत साक्षरता तथा अंकगणित के आकलन के लिये प्रति ज़िले 10-20 लाख रुपये का वार्षिक प्रावधान है।

स्कूल न जाने वाले बच्चों हेतु:

इसमें 16 से 19 वर्ष की आयु के स्कूली बच्चों को ओपन स्कूलिंग के माध्यम से अपनी शिक्षा पूरी करने के लिये 2000 प्रति ग्रेड के वित्तपोषण का समर्थन देने का प्रावधान शामिल है।

स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों और स्कूल छोड़ने वाले छात्रों दोनों के लिये कौशल तथा  व्यावसायिक शिक्षा पर भी अधिक ध्यान दिया जाएगा।

बालिका शिक्षा:

  • कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBV) का कक्षा 6-8 के स्थान पर कक्षा 6-12 तक अपग्रेडेशन।
  • अपर प्राइमरी से सीनियर सेकेंडरी स्तर तक की लड़कियों को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।
  • बालिका शिक्षा पर फोकस करने के लिए ‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ के लिए प्रतिबद्धता।

खेल और शारीरिक शिक्षा:

  • खेल शिक्षा(Sports Education) को पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बनाया जाना चाहिए।
  • खेलों की प्रासंगिकता को बढ़ाने पर बल देने के लिए प्रत्येक विद्यालय को खेल उपकरण उपलब्ध करायी जाएगी। जिसमें प्राथमिक विद्यालयों के लिए 5000रु., अपर प्राइमरी लेवल(Upper Primary Level) विद्यालयों के लिए 10,000रु. और माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए 25,000 रु. तक की राशि दी जाएगी।

लाभ तथा विशेषताएँ:

  • शिक्षक पाठ्य सामग्री भी इस अभियान के माध्यम से तैयार की जाएगी जिसके लिए प्रति छात्र ₹500 की राशि रखी गई है।
  • यह अभियान 4 अगस्त 2021 को आरंभ किया गया है।
  • बाल अधिकार संरक्षण एवं सुरक्षा हेतु राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को राज्य में प्रति प्राथमिक विद्यालय 50 रुपए की दर से वित्तीय सहायता।
  • समग्र, 360-डिग्री, संज्ञानात्मक, भावात्मक और मनोप्रेरणा डोमेन में प्रत्येक शिक्षार्थी की प्रगति/विशिष्टता दिखाने वाली बहु-आयामी रिपोर्ट को समग्र प्रगति कार्ड (HPC) के रूप में पेश किया जाएगा।
  • बैगलेस दिनों (Bagless days), स्कूल परिसरों, स्थानीय कारीगरों के साथ इंटर्नशिप, पाठ्यक्रम और शैक्षणिक सुधार आदि के प्रावधान।
  • प्रति वर्ष 20% स्कूलों को कवर करने वाले सामाजिक लेखा परीक्षा के लिये समर्थन ताकि सभी स्कूलों को पाँच वर्ष की अवधि में कवर किया जा सके।
  • PARAKH, राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र की गतिविधियों के लिये समर्थन (प्रदर्शन, आकलन, समीक्षा और समग्र विकास के लिये ज्ञान का विश्लेषण)।
समग्र शिक्षा योजना के विषय में:
  • यह स्कूली शिक्षा के लिये एक एकीकृत योजना है, जिसमें प्री-स्कूल से लेकर बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा संबंधी सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।
  • इसका उद्देश्य समावेशी, न्यायसंगत और सुगम स्कूली शिक्षा प्रदान करना है।
  • तीन योजनाओं को शामिल: यह योजना ‘सर्व शिक्षा अभियान’ (SSA), ‘राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान’ (RMSA) और ‘शिक्षक शिक्षा’ (TE) की तीन योजनाओं को समाहित करती है।
  • इसे केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जा रहा है। इसमें केंद्र और अधिकांश राज्यों के बीच वित्तपोषण में 60:40 का विभाजन शामिल है। इसे वर्ष 2018 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • इस योजना में 1.16 मिलियन स्कूल, 156 मिलियन से अधिक छात्र और सरकारी तथा सहायता प्राप्त स्कूलों के 5.7 मिलियन शिक्षक (पूर्व-प्राथमिक से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक) शामिल हैं।

Q. ‘समग्र शिक्षा’ के बारे में निम्न में से कौनसा कथन सही नहीं है?

 (1) इसका उद्देश्य प्रारम्भिक और माध्यमिक शिक्षा का सार्वभौमिकरण है।

(2) यह भारत सरकार का फ्लैगशिप कार्यक्रम है।

(3) इसका उद्देश्य स्कूल शिक्षा में सामाजिक और लैंगिक अन्तराल को भरना है।

(4) यह राजस्थान सरकार का फ्लैगशिप कार्यक्रम है।

Answer – 4

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