राजस्थान के आखेट (शिकार) निषिद्ध क्षेत्र: आज के आर्टिकल में हम राजस्थान में आखेट निषिद्ध क्षेत्र के बारे में जानेंगे। आज का हमारा यह आर्टिकल RPSC, RSMSSB, REET, SI, Rajasthan Police, एवं अन्य परीक्षाओं की दृष्टि से अतिमहत्वपुर्ण है। राजस्थान के आखेट निषिद्ध क्षेत्र से सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी यहाँ दी गई है।
आखेट निषिद्ध क्षेत्र – वे क्षेत्र जहाँ पर शिकार करना कानूनन अपराध है, आखेट निषिद्ध क्षेत्र कहलाते है।
वन्य जीव संरक्षण की दिशा में राजस्थान में आखेट निषिद्ध क्षेत्रों का निर्धारण किया गया है।
वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 को भारत सरकार के द्वारा 9 सितम्बर 1972 को अपनाया गया ।
इस अधिनियम को राजस्थान सरकार के द्वारा 1 सितम्बर 1973 में अपनाया गया ।
वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 की धारा 37 के अनुसार ऐसे क्षेत्रों को आखेट निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया गया है, जिनमें रहने वाले वन्य प्राणियों की सुरक्षा और विकास किया जाये तथा इन जीवों का शिकार वर्जित है। राजस्थान में 26720 वर्ग कि.मी. के क्षेत्र में 33 आखेट निषिद्ध क्षेत्र हैं।
- टोंक राज्य की प्रथम रियासत थी , जिसने सर्वप्रथम 1901 में शिकार पर प्रतिबंध लगाया ।
- आखेट निषिद्ध क्षेत्र का क्षेत्रफल – 26,720 वर्ग किमी.
- राज्य में कुल आखेट निषिद्ध क्षेत्र – 33
- राज्य में सर्वाधिक आखेट निषिद्ध क्षेत्रों वाला जिला – जोधपुर (7 आखेट निषिद्ध क्षेत्र)
- राज्य में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा आखेट निषिद्ध क्षेत्र – संवत्सर-कोटसर (चुरू)
- राज्य में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा आखेट निषिद्ध क्षेत्र – कनक सागर (बूंदी)
राजस्थान के आखेट निषिद्ध क्षेत्र
क्र. सं. | जिला | आखेट निषिद्ध क्षेत्रों की संख्या | आखेट निषिद्ध क्षेत्र |
1 | जोधपुर | 7 | डोली, गुडा, विश्नोई, जम्मेव वरजी, ढेचू, साथिन, लोहवट और फीट कासनी |
2 | बीकानेर | 5 | जोड़वीर, वैष्णे, मुकाम, बज्जू और दीयात्रा |
3 | अजमेर | 3 | तिलोरा, सोखलिया और गंगवाना |
4 | अलवर | 2 | जोहड़िया व बोंद |
5 | नागौर | 2 | रोटू और जरोदा |
6 | जैसलमेर | 2 | रामदेवरा व उज्जला |
7 | जयपुर | 2 | सन्थाल और महला |
8 | उदयपुर | 1 | बाकदरा |
9 | चित्तौड़गढ़ | 1 | मैनाल |
10 | बारां | 1 | सौरसन |
11 | बूंदी | 1 | कनक सागर |
12 | बाड़मेर | 1 | धोरी मन्ना |
13 | पाली | 1 | जवाई बाँध |
14 | चूरू | 1 | संवत्सर-कोटसर |
15 | जालौर | 1 | सांचोर |
16 | टोंक | 1 | रानीपुरा |
17 | सवाई माधोपुर | 1 | कंवालजी |
- सांखलिया (अजमेर) तथा सोरसन (बारां) ही दो ऐसे आखेट निषिद्ध क्षेत्र हैं जहाँ पर राष्ट्रीय मरू उद्यान के अतिरिक्त राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावन पाया जाता है।
- जोधपुर में स्थित जाम्मेश्वर राज्य का दूसरा बड़ा आखेट निषिध क्षेत्र है
Q. राज्य का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा आखेट निषिद्ध क्षेत्र कौनसा है?
A. रानीपुरा
B. साथीन
C. संवत्सर-कोटसर
D. धावा डोली
Answer: C
Q. राज्य का सर्वाधिक क्षेत्रफल वाला आखेट निषिद्ध क्षेत्र “संवत्सर-कोटसर” किस जिले मे स्थित है?
A. नागौर
B. जोधपुर
C. जैसलमेर
D. चूरू
Answer: D
Q. क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे छोटा आखेट निषिद्ध क्षेत्र कौनसा है
A. संवतसर – कोटसर
B. धावा डोली
C. कनक सागर
D. साथीन
Answer C
Q. राजस्थान के सर्वाधिक आखेट निषिद्ध क्षेत्र किस जिले में है?
A. नागौर
B. जोधपुर
C. जैसलमेर
D. बाड़मेर
Answer: B (7)
देश का पहला गोडावण ब्रीडिंग सेंटर 20 साल बाद फिर से देश में सोरसन (बारां) को राज्य पक्षी गोडावण से पहचान मिलेगी। देश का पहला गोडावण ब्रीडिंग सेंटर सोरसन वन क्षेत्र में बनेगा। सोरसन में आखिरी गोडावण 1999 में देखा गया था। गोडावण ब्रीडिंग सेंटर के 30 साल के प्रोजेक्ट पर करीब 30 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। सोरसन में अमलसरा व नियाणा गांव से करीब 3 से 4 किमी की दूरी पर घास के मैदानों में एनक्लोजर बनाया जाएगा। |