राजस्थान के कला एवं सांस्कृतिक संस्थान

राजस्थान के कला एवं सांस्कृतिक संस्थान: आज के आर्टिकल में हम राजस्थान के कला एवं सांस्कृतिक संस्थान के बारे में जानेंगे।  आज का हमारा यह आर्टिकल RPSC, RSMSSB, Rajasthan Police,  एवं अन्य परीक्षाओं की दृष्टि से अतिमहत्वपुर्ण है। राजस्थान के कला एवं सांस्कृतिक संस्थान से सम्बन्धी महत्वपूर्ण जानकारी यहाँ दी गई है।

राजस्थान के कला एवं सांस्कृतिक संस्थान-https://myrpsc.in

राजस्थान में कला एवं संस्कृति के संरक्षण एवं उन्नयन हेतु राज्य सरकार ने पर्यटन, कला एवं संस्कति विभाग का अलग से गठन किया है। सचिवालय स्तर पर कला एवं संस्कृति विभाग कला के क्षेत्र में रचनात्मक एवं सृजनात्मक प्रवृत्तियों के लिए विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं, कलाकारों आदि को आर्थिक सहायता व अनुदान देता है।

राजस्थान के कला एवं सांस्कृतिक संस्थान

जवाहर कला केन्द्र

  • स्थापना – 1993 ई.
  • जवाहर कला केंद्र राजस्थान के जयपुर में स्थित है|
  • जवाहर कला केन्द्र का वास्तु चित्र वास्तुकलाकार चार्ल्स कॉरिया ने 1986 में बनाया था।
  • इस केंद्र की स्थापना का उद्देश्य यही था कि राजस्थान की समृद्ध कला एवं शिल्प को संरक्षित रखा जाए।

राजस्थान ललित कला अकादमी

  • स्थापना : जयपुर में 24 नवम्बर, 1957 को स्थापित
  • राज्य में कला के प्रचार-प्रसार एवं कलाकारों के स्तर को ऊँचा उठाना एवं युवा रंगकर्मियों को प्रोत्साहित करना।
  • यह कलात्मक गतिविधियों का संचालन, कला प्रदर्शनियों का आयोजन और लब्ध प्रतिष्ठित कलाकारों का सम्मान एवं फैलोशिप प्रदान करता है।

राजस्थान संगीत नाटक अकादमी

  • स्थापना :- 16 दिसंबर, 1957 जोधपुर में
  • उद्देश्य :- राज्य में सांगीतिक, नृत्य एवं नाट्य विद्याओं के प्रचार-प्रसार, संरक्षण एवं उन्नयन करने तथा उनके माध्यम से राष्ट्र की सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देना। यह एक स्वायत्तशासी संस्था है।
  • कार्य: राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत संबंधित संस्थाओं के मध्य समन्वय स्थापित करना।
  • भारतीय नृत्य, नाटक एवं संगीत के क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित करना एवं साहित्य सृजन एवं प्रसार में सहायता करना।
  • राजस्थान में रंगमंचों की स्थापना एवं विकास को प्रोत्साहित करना। नृत्य, नाटक एवं संगीत की शिक्षा का विकास करना।
  • नृत्य, नाटक एवं संगीत के क्षेत्र में संस्था द्वारा एक आदर्श अनुसंधान व अध्ययन केन्द्र की स्थापना करना। नृत्य, नाटक एवं संगीत के क्षेत्र में कार्यरत श्रेष्ठ संस्थाओं को सहायता प्रदान करना।

राजस्थान संगीत संस्थान (जयपुर)

  • स्थापना:  1950 ई.
  • प्रथम निदेशक:  श्री ब्रह्मानंद गोस्वामी
  • राज्य में संगीत शिक्षा की समृद्धि के लिये राजस्थान संगीत संस्थान की स्थापना की गई।
  • लगभग तीस वर्ष तक राजस्थान के प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से जुङे रहने के बाद इस संस्थान को 1980 ई. में काॅलेज शिक्षा निदेशालय को सौंप दिया गया।

भारतीय लोक कला मंडल (उदयपुर)

  • स्थापना: 22 फ़रवरी 1952 ई. में पद्मश्री देवीलाल सामर द्वारा
  • इस संस्थान की स्थापना का उद्देश्य प्रदर्शनोपयोगी पारम्परिक लोक कलाओं एवं कठपुतलियों का शोध, सर्वेक्षण, प्रशिक्षण तथा लोक कलाओं एवं कठपुतलियों का शोध, सर्वेक्षण, प्रशिक्षण तथा लोक कलाओं का प्रचार-प्रसार करना था।
  • इस संस्थान में अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोक संस्कृति संग्रहालय है। इस संस्थान में ‘कठपुतली’ को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रवीन्द्र मंच (जयपुर)

  • स्थापना:  15 अगस्त, 1963 ई. को रामनिवास बाग (जयपुर) में की गई।
  • रवीन्द्र मंच बनने के बाद जयपुर में रंगमंचीय गतिविधियां उत्साहवर्धक ढंग से विकसित हुई हैं। रवीन्द्र मंच में मुख्य सभागार, ओपन एयर थियेटर, अपर हाॅल एवं पूर्वाभ्यास कक्ष हैं जिनमें सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा आये दिन कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं।

जयपुर कत्थक केन्द्र

  • स्थापना: 1978 ई.
  • जयपुर कत्थक घराने की प्राचीन एवं शास्त्रीय शैली को पुनर्जीवित कर उसके समुन्नयन हेतु राज्य सरकार द्वारा 1978 ई. में स्थापित केन्द्र। वर्तमान में यह संस्थान कत्थक नृत्य का प्रशिक्षण एवं नृत्य शिक्षा देने का कार्य कर रहा है।

रुपायन संस्थान (जोधपुर)

  • स्थापना: 1960 में
  • रुपायन संस्थान जोधपुर जिले के बोरुन्दा गाँव में है।
  • यह राज्य के लोक कलाओं, लोक संगीत एवं वाद्यों के संरक्षण, लुप्त हो रही कलाओं की खोज व उन्नयन एवं लोक कलाकारों को प्रोत्साहित कर उनके विकास हेतु स्व. कोमल कोठारी एवं विजयदान देथा द्वारा समर्पित सांस्कृतिक व शैक्षणिक संस्थान है।
  • कोमल कोठारी ने घुडला लोकनृत्य को प्रोत्साहन दिया। इन्हें पद्मश्री, पद्मभूषण और राजस्थान रत्न पुरस्कार मिल चुका है।
  • वर्तमान में इस संस्थान का मुख्यालय जोधपुर में है। इसे राज्य एवं केन्द्रीय सरकार से विभिन्न मदों से अनुदान प्राप्त होता है।

पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र (उदयपुर)

  • स्थापना:  1986 में
  • यह केन्द्र बागौर हवेली में संचालित है।
  • राजस्थान के कलाकारों को अधिकाधिक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा 1986 ई. में उदयपुर में इस केन्द्र की स्थापना की गई। इस केन्द्र के माध्यम से लुप्त हो रही लोक कलाओं के पुनरुत्थान का कार्य किया जा रहा है। वहीं हस्तशिल्पियों को भी संबल मिल रहा है।
  • भारत सरकार ने ऐसे 7केन्द्र स्थापित किए हैं जिनमें उत्तरी भारत में उदयपुर, इलाहाबाद और पटियाला तीन केन्द्र हैं। हस्तशिल्पियों के विकास हेतु उदयपुर के निकट शिल्पग्राम भी स्थापित किया गया है।

राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट एंड क्राफ्टस

  • महाराजा सवाई रामसिंह II द्वारा 1857 ई. जयपुर में मदरसा-ए-हुनरी यानी कला प्रशिक्षण देने के लिए संस्थान शुरू किया।
  • 1886 में इसका नाम बदलकर महाराजा स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स कर दिया गया। 1988 में राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स हो गया।

गुरू नानक संस्थान (जयपुर)

  • यह संस्थान कला, संस्कृति व साहित्य के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर रहा है।

नाट्य विभाग राजस्थान विश्वविद्यालय (जयपुर)

  • स्थापना : 1977 ई.
  • राजस्थान विश्वविद्यालय में 1977 ई. में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सौजन्य से नाट्य विभाग की स्थापना की गयी। प्रारंभ में इस विभाग द्वारा एक वर्षीय सर्टिफिकेट कोर्स संचालित होता था जो बाद में डिप्लोमा व डिग्री कोर्स में परिणित हो गया। विभाग द्वारा डिप्लोमा प्राप्त प्रशिक्षार्थियों से नाटकों के मंचन करवाये जाते है। नाटक के विषय विशेषज्ञों द्वारा समय- समय पर नाट्य संगोष्टियां भी आयोजित की जाती है।

पारसी रंग मंच (जयपुर)

  • स्थापना – 1878 ई.
  • जयपुर के शासक रामसिंह द्वितीय के द्वारा स्थापित है। इसे राम प्रकाश थियेटर भी कहा जाता है।

राजस्थान संस्कृत अकादमी (जयपुर)

  • स्थापना – 1980 में
  • इस अकादमी का सर्वोच्च पुरस्कार ‘माघ पुरस्कार’ है।
  • स्वरमंगला राजस्थान संस्कृत अकादमी की त्रैमासिकी पत्रिका संस्कृतशोध पत्रिका है।

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