राजस्थान की प्रमुख छतरियां

राजस्थान की प्रमुख छतरियां: नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट में आप राजस्थान की प्रमुख छतरियां से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।

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राजस्थान की प्रमुख छतरियां

गैटोर की छतरियां

  • गैटोर की छतरियां नाहरगढ़ (जयपुर) में स्थित है।
  • यह छतरियां पंचायन शैली में बनी है
  • ये कछवाहा शासको की छतरियां है।
  • जयसिंह द्वितीय से मानसिंह द्वितीय की छतरियां है।
  • इन छतरियों में सबसे प्रसिद्ध छतरी महाराजा जयसिंह द्वितीय की हैं, इस छतरी की एक अनुकृति लंदन के केनसिंगल म्यूजियम में रखी गई हैं।

NOTE: यहाँ जयपुर के सभी राजाओं की छतरियों है, सिवाय सवाई ईश्वर सिंह के जिनकी छतरी चन्द्रमहल (सिटी पैलेस) में है। इसका निर्माण सवाई माधोसिंह ने करवाया था।

देवकुण्ड की छतरियां

  • देवकुण्ड की छतरियां  रिड़मलसर (बीकानेर) में स्थित है।
  • कल्याण सागर के किनारे स्थित राव बीकाजी व रायसिंह की छतरियां प्रसिद्ध है।

बड़ा बाग की छतरियां

  • बड़ा बाग की छतरियां जैसलमेर में स्थित है।
  • यहां भाटी शासकों की छतरियां स्थित है।

क्षारबाग की छतरियां

  • क्षारबाग की छतरियां कोटा में स्थित है।
  • यहां हाड़ा शासकों की छतरियां स्थित है।

छात्र विलास की छतरी – कोटा में स्थित है।

केसर बाग की छतरीबूंदी में स्थित है।

84 खम्भों की छतरी

  • चौरासी खंभों की छतरी एक बरामदा है जो 84 खंभों पर स्थित है।
  • यह छतरी देवपुरा बूंदी में स्थित है। यह तीन मंजिला है।
  • इस छतरी में पशु पक्षियों के चित्र उकेरे गये हैं।
  • यह छतरी राजा अनिरूद के दाई माता देवा की छतरी है।
  • यह छतरी भगवान शिव को समर्पित है।

80 खम्भों की छतरी

  • 80 खम्भों की छतरी अलवर में स्थित हैं।
  • यह 19वीं सदी के राजपूत स्थापत्य का एक नमूना है।
  • मुसी रानी की छतरी का निर्माण महाराजा बख्तावरसिंह एवं उनकी रानी मूसी की याद में विनयसिंह ने करवाया था।
  • 2 मंजिला इस छतरी की निचली मंजिल लाल पत्थर एवं उपरी मंजिल सफ़ेद पत्थर से बनी है।
  • इस छतरी में रामायण व महाभारत के भिति चित्र देखने को मिलते हैं

NOTE:  इस छतरी को मूसी महारानी की छतरी भी कहते है।

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आहड़ की छतरियां

  • आहड़ की छतरियां  उदयपुर में स्थित हैं
  • इन्हे महासतियां भी कहते है।
  • महाराणा प्रताप के बाद बनने वाले राजाओं की छतरिया यहाँ पर है।
  • यहाँ पहली छतरी महाराणा अमरसिंह की है।

जसवंत थड़ा

  • जोधपुर दुर्ग मेहरानगढ़ के पास ही सफ़ेद संगमरमर का एक स्मारक बना है जिसे जसवंत थड़ा कहते है।
  • इसे सन 1899 में जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय (1888-1895) की यादगार में उनके उत्तराधिकारी महाराजा सरदार सिंह जी ने बनवाया था।
  • जसवंत थड़ा जोधपुर राजपरिवार के सदस्यों के दाह संस्कार के लिये स्थान है ।
  • जसवंत थड़े के पास ही महाराजा सुमेर सिह जी, महाराजा सरदार सिंह जी, महाराजा उम्मेद सिंह जी व महाराजा हनवन्त सिंह जी के स्मारक बने हुए हैं।
  • उपनाम – राजस्थान का ताजमहल

रैदास की छतरी – चित्तौड़गढ में स्थित है।

गोपाल सिंह यादव की छतरीकरौली में स्थित है।

8 खम्भों की छतरी

  • बांडोली (उदयपुर) में स्थित है।
  • यह वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की छतरी है।
  • इस छतरी का निर्माण में महाराणा अमरसिंह ने केजड़ बांध पर करवाया था।

न्याय की छतरी/ 32 खम्भों की छतरी

  • इस की छतरी का निर्माण हम्मीरदेव ने अपने पिता जैत्रसिंह की स्मृति में करवाया था। यह छतरी धौलपुर के लाल पत्थर से निर्मित तथा 32 खम्भों पर टिकी है।
  • रणथम्भौर (सवाई माधोपुर) में स्थित है।

जगन्नाथ कच्छवाहा की छतरी

  • मांडल गढ (भीलवाड़ा) में स्थित 32 खम्भों की छतरी का संबंध जगन्नाथ कच्छवाहा से है।
  • शाहजहाँ द्वारा निर्मित यह छतरी हिन्दू व मुस्लिम स्थापत्य का अनूठा उदाहरण है।

रानी सूर्यकंवरी की छतरी – 32 खम्भों पर टिकी यह छतरी पंचकुण्ड (जोधपुर) में है।

जोधसिंह की छतरी – 32 खम्भों पर निर्मित जोधसिंह की छतरी बदनौर (भीलवाड़ा) में स्थित है।

16 खम्भों की छतरी

  • नागौर दुर्ग में स्थित हैं
  • यह अमर सिंह की छतरी है। ये राठौड वंशीय थे।

टंहला की छतरीयां – अलवर जिले के टहला कस्बे की छतरियाँ मध्यकालीन छतरी निर्माण तथा भित्ति चित्रकला की जीती-जागती प्रतिमाएँ हैं।

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कुत्ते की छतरी – यह छतरी रणथम्भौर दुर्ग के निकट कुक्कराज की घाटी में स्थित है।

कपूरबाबा की छतरी – यह छतरी उदयपुर शहर के मध्य जगमंदिर के समीप स्थित है। इस छतरी का निर्माण शाहजहाँ ने कपूर बाबा के सम्मान में करवाया था।

राजा बख्तावर सिंह की छतरी अलवर में स्थित है।

राणा सांगा की छतरी – माण्डल (भीलवाड़ा) अशोक परमार द्वारा 8 खम्भों पर निर्मित है।

रैदास की छतरी – मीराबाई के आध्यात्मिक गुरु संत रैदास की 8 खम्भों पर स्थित छतरी चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित है।

जोगीदास की छतरी – उदयपुरवाटी (झुंझुनूं) में। इस छतरी में चित्रकार देवा द्वारा चित्रित भित्ति चित्र शेखावटी के प्राचीनतम भित्ति चित्र है।

राजा जोधसिंह की छतरी – बदनौर (भीलवाडा) में स्थित है।

राजा मानसिंह की छतरी – आमेर में स्थित है। राजस्थान में पाये गये भित्ति चित्रों में इस छतरी के चित्र प्राचीनतम (जहाँगीर कालीन) कहे जाते हैं।

बंजारों की छतरी – लालसोट (दौसा) में स्थित 6 खम्भों की छतरी। छठी सदी में निर्मित।

गोराधाय की छतरी – जोधपुर में महाराजा अजीतसिंह द्वारा अपनी धायमाता गोराधाय की स्मृति में निर्मित चार खम्भों की छतरी।

एक खम्भे की छतरी – रणथम्भौर (सवाईमाधोपुर) में

शृंगार चंवरी की छतरी – चित्तौड़ दुर्ग में राणा कुंभा द्वारा निर्मित चार खम्भों की छतरी।

नैड़ा की छतरियाँ

  • अलवर के सरिस्का वन क्षेत्र के समीप नैड़ा अंचल में स्थित छतरियाँ।
  • इसमें दशावतार का चित्रण किया गया है जिसमें काले और कत्थई वानस्पतिक रंग प्रयुक्त किये गये हैं।
  • इनमें ‘मिश्रजी की छतरी / 8 खम्भों की छतरी’ विशेष प्रसिद्ध है जिसे 1432 ई. के आसपास बनाया गया है।

उड़ना पृथ्वीराज की छतरी (12 खम्भों की छतरी)

  • कुम्भलगढ़ दुर्ग में निर्मित मेवाड़ के पृथ्वीराज सिसोदिया की छतरी। इस छतरी के खम्भों पर विभिन्न प्रकार से नारियों के चित्र अंकित हैं।

20 खम्भों की छतरी/सिंघवियों की छतरियाँ

  • जोधपुर नरेश भीमसिंह के सेनापति सिंघवी अखैराज की छतरी प्रमुख है। 20 खम्भों की बनी यहाँ की छतरियाँ नक्काशी के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • अहाड़ा हिगोला की छतरी तथा जैसलमेर रानी की छतरी भी जोधपुर में स्थित है।

अमरसिंह की छतरी (16 खम्भों की छतरी)

  • वीर अमरसिंह राठौड़ की 16 खम्भों की छतरी नागौर दुर्ग में स्थित है।

मामा-भान्जा की छतरी

  • जोधपुर दुर्ग में महाराजा अजीतसिंह द्वारा 10 खम्भों पर निर्मित छतरी।
  • इसे ‘धन्ना-भियां की छतरी’ भी कहा जाता है।

NOTE:

  • मामा-भांजा की मजार – पल्लू (हनुमानगढ़)
  • मामा-भांजा का मंदिर – अटरु (बारां)

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18 खम्भों की छतरी (राजसिंह चम्पावत की छतरी) – जोधपुर में

अकबर की छतरी – बयाना दुर्ग के समीप (भरतपुर)

गुसाइयों की छतरियाँ – मेड़ गाँव (विराटनगर – जयपुर) के समीप 16वीं व 18वीं सदी में निर्मित तीन छतरियाँ

आँतेड़ की छतरियाँ – अजमेर में स्थित दिगम्बर जैन सम्प्रदाय की छतरियाँ।

सन्तोष बावला की छतरी – पुष्कर (अजमेर) में

मिश्रजी की छतरी

  • नैड़ा अंचल (अलवर) में 1489 ई. में निर्मित छतरी की भित्तियों पर दसों अवतारों के साथ सहस्त्रबाहु का परशुराम द्वारा वध, अर्द्धनारीश्वर, समुद्र मंथन, रामलीला के प्रसंग चित्रित किये गये हैं।
  • यहाँ चित्रकारी ‘कड़ा लिपाई विधि के तहत की गई है।
  • छतरी का स्थापत्य राजपूत शैली के अनुसार है।

थानेदार नाथूसिंह की छतरी – शाहबाद (बारां) में कोटा महाराव उम्मेदसिंह द्वारा निर्मित छतरी।

मंडोर की छतरी  

  • मंडोर में स्थित छतरियों में ब्राह्मण देवता की छतरी, कागा की छतरी, मामा-भांजा की छतरी, गोराधाय की छतरी प्रमुख हैं।
  • कागा की छतरियों के मध्य प्रधानमंत्री की छतरी है। महाराजा जसवंतसिंह की प्राण रक्षा हेतु प्रधानमंत्री राजसिंह कूंपावत द्वारा आत्म बलिदान दिये जाने की स्मृति में प्रधानमंत्री की छतरी का निर्माण किया गया।

महाराव बैरिसाल की छतरी

  • सिरोही में दूधिया तालाब के किनारे महाराव बैरिसाल की छतरी स्थित है।
  • इस तालाब के किनारे सिरोही के राजाओं तथा राजपरिवार के सदस्यों की छतरियाँ बनी हुई हैं।

राजस्थान  की अन्य महत्वपूर्ण छतरियां

  • रसिया की छतरी – टोंक
  • पद्‌मापीर की छतरी – कोटा में
  • गंगाबाई की छतरी – गंगापुर (भीलवाड़ा) में
  • दीवान दीपचंद की छतरी – कागा (जोधपुर) में
  • ब्राह्मण देवता की छतरी – पंचकुण्ड (मण्डोर, जोधपुर) में
  • कीरतसिंह सोढ़ा की छतरी – मेहरानगढ़ दुर्ग (जोधपुर) में
  • सेनापति की छतरी – नागौरी गेट (जोधपुर) में
  • राव जैतसी की छतरी – हनुमानगढ़ में
  • लाछा गुजरी की छतरी – नागौर में
  • राव शेखा की छतरी – परशुरामपुरा (झुंझुनूं) में
  • सिंधुपति महाराजा दाहरसेन का स्मारक – अजमेर में
  • खाण्डेराव की छतरी – गागरसौली (भरतपुर) में
  • बदनौर की छतरियाँ – जोधपुर में
  • चेतक की छतरी – हल्दीघाटी (राजसमन्द) में
  • राणा उदयसिंह की छतरी – गोगुन्दा में
  • अप्पाजी सिंधिया की छतरी – ताउसर (नागौर) में
  • राव कल्याणमल की छतरी – बीकानेर
  • पीपाली की छतरी – चित्तौड़गढ़ में
  • वीर दुर्गादास की छतरी – उज्जैन (मध्यप्रदेश) में
  • जयमल व कल्ला राठौड़ की छतरी – चित्तौड़गढ़ दुर्ग में
  • महारानी की छतरी – रामगढ़ (जयपुर) में स्थित छतरी

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