सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना (Saryu Canal National Project): आज के आर्टिकल में हम सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना (Saryu Canal National Project) से सम्बन्धी अत्यंत महत्त्वपूर्ण जानकारी के बारे में जानेंगे। आज का हमारा यह आर्टिकल IAS, SSC,RPSC, RSMSSB, SI, Rajasthan Police, एवं अन्य परीक्षाओं की दृष्टि से अतिमहत्वपुर्ण है।

सरयू नहर परियोजना (Saryu Canal Project)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में 9,802 करोड़ रुपये लागत की सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना (Saryu Canal National Project) का उद्घाटन किया।
- सरयू नहर परियोजना उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी परियोजना है।
- इससे उत्तर प्रदेश के 9 जिलों बहराइच, गोंडा, बस्ती, श्रावस्ती, बलरामपुर, संत कबीर नगर, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर और महाराजगंज के 25-29 लाख किसानों को लाभ होगा।
- इस नहर से 14.04 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की सुविधा होगी, साथ ही क्षेत्र के कई बाढ़ संभावित क्षेत्रों में बाढ़ के खतरे को कम किया जा सकेगा।
- अब इन जिलों के किसानों की फसल पानी के अभाव में नहीं सूखेगी, जिस नदी में पानी कम होगा उसमें बड़ी नदी से पानी बैराज के जरिये पहुंचाया जाएगा.
- इस परियोजना के तहत सिंचित क्षेत्र 4.04 लाख हेक्टेयर होगा।
परियोजना के तहत जुड़ी नदियाँ
- इनसे पांच नहरें निकाली गयी हैं.
- बड़ी नदी के पानी को छोटी नदियों तक पहुंचाने के लिए बैराज बनाए गए हैं.
- इस परियोजना के तहत पांच नदियों घाघरा, राप्ती, बाणगंगा, सरयू और रोहिणी को जोड़ा गया है।
नहर की लंबाई
नहर की कुल लंबाई 6,600 किलोमीटर है और इन्हें 318 किलोमीटर लंबी मुख्य नहर से जोड़ा गया है।
परियोजना का इतिहास
- 1978 में परियोजना की नींव पड़ी थी. तब इसे लेफ्ट बैंक घाघरा कैनाल नाम दिया गया था. गोण्डा और बहराइच जिलों के लिए इसे तैयार किया जाना था, लेकिन 1982 में इसमें सात और जिले जोड़ दिए गए और इसका नाम बदलकर सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना कर दिया गया।
- 78.68 करोड़ रुपये की लागत से दो जिलों में सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए 1978 में इस परियोजना को छोटे पैमाने पर शुरू किया गया था।
- इस परियोजना की लागत 2021 तक बढ़कर 9,802 करोड़ रुपये हो गई।
सरयू नदी (Saryu River)
सरयू नदी उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में नंदा कोट पर्वत के दक्षिण में एक पहाड़ी से निकलती है। यह कपकोट, सेराघंट और बागेश्वर कस्बों से होकर बहती है और अंत में पंचेश्वर में शारदा नदी में गिरती है, जो भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है। इसके बाद यह उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में घाघरा नदी में मिल जाती है। लोअर घाघरा को सरयू नदी के नाम से भी जाना जाता है, खासकर जब यह अयोध्या शहर से होकर बहती है। रामायण में इस नदी का कई बार उल्लेख किया गया है।
किसानों की बदलेगी किस्मत
- अब कम से कम तराई और पूर्वांचल के 9 जिलों के किसानों की खेती पानी की कमी के कारण नहीं सूखेगी. जिस नदी में पानी कम होगा उसमें बड़ी नदी से पानी बैराज के जरिये पहुंचाया जाएगा. फिर नहरों के जरिये पानी खेत तक पहुंच सकेगा. इससे न सिर्फ खरीफ बल्कि रबी की फसल के समय भी पानी की कमी नहीं होगी. मॉनसून के फेल होने की सूरत में भी सिंचाई का भरपूर इंतजाम रहेगा.